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अभी तक डेरे ने नहीं खोले हैं पत्ते, इस बार किसे मिलेगा समर्थन? - हरियाणा में डेरा फेक्टर

सिरसा के डेरा सच्चा सौदा पर सबकी निगाहें टिकी हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया था लेकिन इस बार अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं.

dera factor in haryana
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Published : Oct 1, 2019, 8:10 PM IST

सिरसाः डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम साध्वी यौन शोषण केस में सलाखों के पीछे है. इस वक्त तमाम राजनीतिक पार्टियां इंतजार कर रही हैं कि डेरा किसका समर्थन करेगा. क्योंकि डेरे के अभी लाखों समर्थक हैं. जिनके वोट पाने के लिए राजनेता हमेशा डेरे की परिक्रमा करते रहे हैं.

डेरे के फैसले पर सबकी निगाहें
डेरा सच्चा सौदा के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं. क्योंकि अभी तक डेरे ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. डेरा पॉलिटिकल विंग के सदस्य रामदास कहते हैं कि अभी बहुत वक्त बचा है. अभी तो चुनाव का शुरुआती दौर है. वक्त आने पर सब बता दिया जाएगा.

अभी तक डेरे ने नहीं खोले हैं पत्ते, इस बार किसे मिलेगा समर्थन?

इस बार किसे वोट देंगे डेरा समर्थक ?
वोट देने के सवाल पर एक महिला डेरा समर्थक ने कहा कि अभी तक उन्हें कोई संदेश नहीं मिला है कि किसे वोट देना है. बस एकता का संदेश दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जैसे डेरे से आदेश मिलेंगे हम वैसा ही करेंगे. एक और डेरा समर्थक ने बताया कि वोट किसे देना है ये फैसला डेरे की पॉलिटिकल विंग करती है. इस बार भी वही फैसला लेंगे. हम सब एक साथ हैं जो भी आदेश आएगा उसका पालन करेंगे.

अब ये है डेरे की पॉलिटिकल विंग का हाल
जब राम रहीम जेल नहीं गया था उस वक्त डेरे की पॉलिटिकल विंग बहुत व्यस्त रहती थी. क्योंकि तब राजनेताओं का डेरे के दर पर आना आम बात थी लेकिन जब से राम रहीम जेल गया है तब से डेरे की पॉलिटिकल विंग के ज्यादातर सदस्य भी गायब हैं. लेकिन फिर भी डेरा समर्थकों का कहना है कि वोट देने का फैसला तो पॉलिटिकल विंग ही करेगी.

इन हलकों में है डेरे का प्रभाव
डेरे के समर्थक सिरसा की 5 विधानसभा सीटों और फतेहाबाद की 3 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रबाव रखते हैं. इसके अलावा कैथल की 4 सीटों पर भी डेरे का अच्छा खासा प्रभाव है. इसके अलावा जींद के कुछ हलकों पर भी डेरे का प्रभाव है.

डेरा समर्थकों के समर्थन का मतलब
डेरा समर्थको का समर्थन प्राप्त होने का ये मतलब कतई नहीं है कि जिसे वो समर्थन कर दें वो जीत ही जाएगा. इसके लिए सबसे बड़ा उदाहरण है 2014 में सिरसा. सिरसा में डेरे का सबसे ज्यादा प्रभाव माना जाता है. और 2014 में डेरे ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया था. लेकिन सिरसा की पांचों विधानसभा में से बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

डेरा के प्रभाव वाली सीटों पर 2014 में कौन जीता ?
जिन विधानसभा सीटों पर डेरा समर्थकों का सबसे ज्यादा प्रभाव है 2014 में उनमें से ज्यादातर सीटें इनेलो ने जीती थी.

विधानसभा सीट विजेता पार्टी
कालांवली बलकौर सिंह अकाली दल
डबवाली नैना चौटाला इनेलो
रानियां रामचंद्र कंबोज इनेलो
सिरसा

माखन लाल सिंगला

इनेलो
ऐलनाबाद अभय चौटाला इनेलो
टोहाना सुभाष बराला बीजेपी
फतेहाबाद बलवान सिंह दौलतपुरिया इनेलो
रतिया रविंद्र बलियाला इनेलो
कैथल रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस
गुहला कुलवंत बाजीगर बीजेपी
कलायत जय प्रकाश निर्दलीय
पूंडरी दिनेश कौशिक बीजेपी
नरवाना पृथ्वी सिंह इनेलो

डेरे का इतिहास जानिये
डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में है. डेरे की स्थापना 1948 में मस्ताना जी महाराज ने की थी. 1960 में शाह सतनाम इस डेरे की गद्दी पर बैठे. इसके बाद 1990 में मात्र 23 साल की उम्र में गुरमीत राम रहीम इस डेरे का प्रमुख बना. गुरमीत राम रहीम के प्रमुख बनने के बाद ही डेरे में राजनीतिक गतिविधायां शुरू हुईं. और 1998 में बाकायदा डेरे की राजनीतिक विंग का गठन किया गया. जिसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल से करीब 35 सदस्य बनाए गए थे.

गुरमीत राम रही को जानिए
गुरमीत राम रहीम डेरा सच्चा सौदा का सबसे कम उम्र का प्रमुख बनने वाला व्यक्ति है. विवादों और गुरमीत राम रहीम का पुराना नाता रहा है. 2007 में राम रहीम के गुरू गोविंद सिंह की वेषभूषा में फोटो खिंचावाने के बाद काफी बवाल हुआ था. 2002 में एक कथित साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को एक गुमनाम पत्र लिखकर गुरमीत राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. उसके बाद ये मामला सीबीआई के पास चला गया. 15 साल चली लंबी जांच के बाद गुरमीत राम रहीम को 2017 में दोषी पाया गया और 20 साल की सजा सुनाई गई. जिसके बाद पंचकूला में काफी बवाल हुआ और कई लोगों की जान भी गई. जेल में रहने के दौरान ही छत्रपति मर्डर मामले में भी गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाई गई. कभी ऐश की जिंदगी जीने वाला गुरमीत राम रहीम अब रोहतक जेल में सजा काट रहा है.

सिरसाः डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम साध्वी यौन शोषण केस में सलाखों के पीछे है. इस वक्त तमाम राजनीतिक पार्टियां इंतजार कर रही हैं कि डेरा किसका समर्थन करेगा. क्योंकि डेरे के अभी लाखों समर्थक हैं. जिनके वोट पाने के लिए राजनेता हमेशा डेरे की परिक्रमा करते रहे हैं.

डेरे के फैसले पर सबकी निगाहें
डेरा सच्चा सौदा के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं. क्योंकि अभी तक डेरे ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. डेरा पॉलिटिकल विंग के सदस्य रामदास कहते हैं कि अभी बहुत वक्त बचा है. अभी तो चुनाव का शुरुआती दौर है. वक्त आने पर सब बता दिया जाएगा.

अभी तक डेरे ने नहीं खोले हैं पत्ते, इस बार किसे मिलेगा समर्थन?

इस बार किसे वोट देंगे डेरा समर्थक ?
वोट देने के सवाल पर एक महिला डेरा समर्थक ने कहा कि अभी तक उन्हें कोई संदेश नहीं मिला है कि किसे वोट देना है. बस एकता का संदेश दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जैसे डेरे से आदेश मिलेंगे हम वैसा ही करेंगे. एक और डेरा समर्थक ने बताया कि वोट किसे देना है ये फैसला डेरे की पॉलिटिकल विंग करती है. इस बार भी वही फैसला लेंगे. हम सब एक साथ हैं जो भी आदेश आएगा उसका पालन करेंगे.

अब ये है डेरे की पॉलिटिकल विंग का हाल
जब राम रहीम जेल नहीं गया था उस वक्त डेरे की पॉलिटिकल विंग बहुत व्यस्त रहती थी. क्योंकि तब राजनेताओं का डेरे के दर पर आना आम बात थी लेकिन जब से राम रहीम जेल गया है तब से डेरे की पॉलिटिकल विंग के ज्यादातर सदस्य भी गायब हैं. लेकिन फिर भी डेरा समर्थकों का कहना है कि वोट देने का फैसला तो पॉलिटिकल विंग ही करेगी.

इन हलकों में है डेरे का प्रभाव
डेरे के समर्थक सिरसा की 5 विधानसभा सीटों और फतेहाबाद की 3 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रबाव रखते हैं. इसके अलावा कैथल की 4 सीटों पर भी डेरे का अच्छा खासा प्रभाव है. इसके अलावा जींद के कुछ हलकों पर भी डेरे का प्रभाव है.

डेरा समर्थकों के समर्थन का मतलब
डेरा समर्थको का समर्थन प्राप्त होने का ये मतलब कतई नहीं है कि जिसे वो समर्थन कर दें वो जीत ही जाएगा. इसके लिए सबसे बड़ा उदाहरण है 2014 में सिरसा. सिरसा में डेरे का सबसे ज्यादा प्रभाव माना जाता है. और 2014 में डेरे ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया था. लेकिन सिरसा की पांचों विधानसभा में से बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

डेरा के प्रभाव वाली सीटों पर 2014 में कौन जीता ?
जिन विधानसभा सीटों पर डेरा समर्थकों का सबसे ज्यादा प्रभाव है 2014 में उनमें से ज्यादातर सीटें इनेलो ने जीती थी.

विधानसभा सीट विजेता पार्टी
कालांवली बलकौर सिंह अकाली दल
डबवाली नैना चौटाला इनेलो
रानियां रामचंद्र कंबोज इनेलो
सिरसा

माखन लाल सिंगला

इनेलो
ऐलनाबाद अभय चौटाला इनेलो
टोहाना सुभाष बराला बीजेपी
फतेहाबाद बलवान सिंह दौलतपुरिया इनेलो
रतिया रविंद्र बलियाला इनेलो
कैथल रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस
गुहला कुलवंत बाजीगर बीजेपी
कलायत जय प्रकाश निर्दलीय
पूंडरी दिनेश कौशिक बीजेपी
नरवाना पृथ्वी सिंह इनेलो

डेरे का इतिहास जानिये
डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में है. डेरे की स्थापना 1948 में मस्ताना जी महाराज ने की थी. 1960 में शाह सतनाम इस डेरे की गद्दी पर बैठे. इसके बाद 1990 में मात्र 23 साल की उम्र में गुरमीत राम रहीम इस डेरे का प्रमुख बना. गुरमीत राम रहीम के प्रमुख बनने के बाद ही डेरे में राजनीतिक गतिविधायां शुरू हुईं. और 1998 में बाकायदा डेरे की राजनीतिक विंग का गठन किया गया. जिसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल से करीब 35 सदस्य बनाए गए थे.

गुरमीत राम रही को जानिए
गुरमीत राम रहीम डेरा सच्चा सौदा का सबसे कम उम्र का प्रमुख बनने वाला व्यक्ति है. विवादों और गुरमीत राम रहीम का पुराना नाता रहा है. 2007 में राम रहीम के गुरू गोविंद सिंह की वेषभूषा में फोटो खिंचावाने के बाद काफी बवाल हुआ था. 2002 में एक कथित साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को एक गुमनाम पत्र लिखकर गुरमीत राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. उसके बाद ये मामला सीबीआई के पास चला गया. 15 साल चली लंबी जांच के बाद गुरमीत राम रहीम को 2017 में दोषी पाया गया और 20 साल की सजा सुनाई गई. जिसके बाद पंचकूला में काफी बवाल हुआ और कई लोगों की जान भी गई. जेल में रहने के दौरान ही छत्रपति मर्डर मामले में भी गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाई गई. कभी ऐश की जिंदगी जीने वाला गुरमीत राम रहीम अब रोहतक जेल में सजा काट रहा है.

Intro:एंकर - चुनावों की घंटी बजते ही एक बार फिर से हरियाणा की सियासत में डेरावाद गूंजने लगा है। हालांकि सिरसा के डेरा सच्चा सौदा  में इस वक़्त खामोशी का आलम है। हरियाणा के अलावा पंजाब की सियासत में पूरी दखल रखने वाले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख का चीफ गुरमीत सिंह इस समय जेल में है जिसके चलते डेरे में अधिकतर गतिविधि ठप्प है। हरियाणा में हुए साल 2014 के लोकसभा व अक्तूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था। पर इस बार स्थिति उलट है। डेरा चीफ के जेल में जाने के बाद डेरा में धार्मिक, सियासी गतिविधयां कम हो गई है। डेरा के राजनीतिक फैसले लेने वाली सियासी विंग के पदाधिकारी गायब हैं। ऐसे में डेरा के सियासी निर्णय को लेकर न केवल राजनेताओं में बेचैनी का आलम है, बल्कि डेरा के अनुयायियों में भी असमंजस की स्थिति है। हालाँकि चुनाव नजदीक आते ही अब सूबे के सियासी दल के नेताओ ने डेरा सच्चा सौदा के वोट बैंक पर अपनी नज़रे गड़ानी शुरू कर दी है,हर  नेता डेरे के वोटर्स का समर्थन चाहता है,यही वजह है की अभी से ही सूबे के अधिकतर नेता डेरा के पक्ष में ब्यानबाज़िया करने लग गए है.
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वीओ - आपको बता दे की डेरा सच्चा सौदा का हैडक्वार्टर सिरसा में है। 1948 में मस्ताना जी महाराज ने डेरा की स्थापना की थी। 1960 में शाह सतनाम इस डेरे के गद्दीनशीन बने। इसके बाद साल 1990 में महज 23 बरस की उम्र में गुरमीत सिंह इस डेरे के प्रमुख बने। गुरमीत के डेरा चीफ बनने के बाद ही डेरा में राजनीतिक गतिविधियों का सिलसिला शुरू हुआ। साल 1998 में डेरा की राजनीतिक विंग बनाई गई। हरियाणाा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में इस विंग के करीब 35 सदस्य बनाए गए। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव से कुछ दिन पहले डेरा ने कांग्रेस को समर्थन दिया, लेकिन कांग्रेस यहां बड़े अंतर से चुनाव हार गई। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरा ने प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को समर्थन दिया। प्रदेश में भाजपा ने 47 सीटें लेकर सरकार बनाई। रोचक पहलू यह है कि सिरसा जहां, डेरा का मुख्यालय है 5 में से भाजपा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। जबकि सिरसा संसदीय क्षेत्र में 9 में 8 सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। रोचक पहलू यह है कि सिरसा में डेरा प्रमुख ने पहली बार अपना वोट डाला था।


वीओ - 25 अगस्त 2017 को साध्वी यौन शोषण मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से डेरा चीफ को सजा सुनाए जाने के बाद वे सुनारिया जेल में हैं। डेरा में अधिकतर गतिविधि लगभग ठप्प है। कुछ व्यवसायों में ताले बंदी है। डेरा की सियासी विंग के ओहदेदार डेरा चीफ को सजा सुनाए जाने के बाद गायब हैं। डेरा में प्रबंधन का काम देख रहे लोगों को भी इनकी जानकारी नहीं है।


वीओ - डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव मुख्य तौर से हरियाणा के साथ पंजाब , राजस्थान और कुछ हद तक दिल्ली में भी पड़ता है। अगर डेरे के प्रभाव की हरियाणा में बात करें तो खासकर सिरसा , फतेहाबाद , कैथल , नरवाना और टोहाना जैसे क्षेत्रों में इसका अधिक प्रभाव डालता है। हरियाणा के यही वो क्षेत्र हैं जहां से डेरा सच्चा सौदा में श्रद्धालू बड़ी संख्या में आते थे। पिछले चुनावों में जब डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर किसी भी तरह का आरोप साबित नही हुआ था और डेरे में हर तरह के कार्यक्रम आयोजित होते थे । तब हरियाणा , पंजाब , राजस्थान और दिल्ली के लगभग सभी पार्टियों के बड़े नेता डेरा सच्चा सौदा में राम रहीम से मिलने आते थे। डेरा प्रमुख के कहने पर ही डेरा की राजनीतिक मीडिया विंग फैसला लेती थी । और किसी पार्टी को स्पोर्ट करते थे। लेकिन इस बार का मंजर कुछ और है । डेरा प्रमुख रोहतक सुनारिया जेल में सजा काट रहा है । और उसके श्रद्धालुओं की संख्या में काफी हद तक कमी आयी है। इसलिए पहले डेरे में जो श्रद्धालु लाखों की संख्या में आते थे , अब वो सिमट कर चंद कुछ हजारों में रह गए हैं। अब देखना ये है कि इस लोकसभा चुनाव में डेरा श्रद्धालुओं का किस तरह प्रभाव पड़ेता है और वो किस पार्टी का समर्थन करते हैं।


वीओ - डेरा में हरियाणा-पंजाब के अलावा देश के अनेक दिगज नेता अतीत के चुनावों में डेरा में दस्तक दे चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, भजनलाल  कुलदीप बिश्रोई के अलावा कांग्रेस के महासचिव दिगिवजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय नेता कैलाश विजयवर्गीय सहित सैकड़ों की संख्या में मंत्री, विधायक दस्तक दे चुके हैं। खास बात यह है कि डेरा चीफ को सजा होने से करीब एक सप्ताह पहले ही हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा एवं उससे पहले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी डेरा में दस्तक दी।



वीओ -सिरसा के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र भाटिया ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को खुलकर समर्थन दिया था और इस बार डेरा भाजपा को ही समर्थन देने की संभावना जताई जा रही है।

बाइट सुरेंद्र भाटिया , वरिष्ठ पत्रकार।

वीओ डेरा प्रेमियों का कहना है कि डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग ही फैसला करेगी कि विधानसभा चुनावो में किस पार्टी को स्पोर्ट करना है। उन्होंने कहा कि सभी डेरा प्रेमी एकजुट होकर उस पार्टी को सपोर्ट करेंगे जिसका उम्मीदवार मानवता भलाई का काम करता हो।


बाइट - सुरेंद्र कुमार , डेरा प्रेमी।

बाइट डेरा प्रेमी ( महिलाएं )


वीओ- वही डेरा पोलिटिकल विंग के सदस्य रामदास ने बताया कि अभी चुनाव बहुत दूर है अभी कोई फैसला नहीं किया गया है चुनाव के नजदीक ही सभी बातें की जाएगी। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएगा उसी आधार ही फैसला किया जायेगा। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा में जो नेता आएगा उनकी कामना पूरी होगी।

बाइट- राम दास ,पोलिटिकल विंग सदस्य


Conclusion:वीओ - हरियाणा में 21 अक्तूबर को चुनाव होने हैं। ऐसे में अभी डेरा सच्चा सौदा को लेकर हरियाणा के नेता खामोशी भरा रवैया अपनाए हुए हैं। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। सूत्रों की माने तो पिछले साल हरियाणा में हुए पांच निकाय चुनाव में यमुनानगर व पानीपत में डेरा समर्थकों ने प्रत्यक्ष रूप से बैठकें कर भाजपा को वोट न देने का निर्णय लिया था। पर पांचों जगह पर भाजपा के मेयर बनने में कामयाब हुए थे। संसदीय चुनावों में भी डेरा की ओर से कोई ठोस फैसला नहीं किया गया था। लकिन अब जब विधानसभा चुनाव है तो डेरा सच्चा सौदा के समर्थक किसको अपना समर्थन देंगे ये तो वक़्त बताएगा।


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