सिरसा: कभी नैतिकता के आधार पर हलोपा के विधायक गोपाल कांडा (gopal kanda) से समर्थन न लेने वाली बीजेपी (haryana bjp) ने आज उसी व्यक्ति के भाई को न सिर्फ ऐलनाबाद उपचुनाव (ellenabad by election) के लिए उम्मीदवार बनाया बल्कि दोनों पार्टियों के नेता साथ-साथ नजर भी आ रहे हैं. न सिर्फ बीजेपी बल्कि जेजेपी के नेता भी कांडा भाईयों के साथ नजर आ रहे हैं. यहां ये बता दें कि कांडा परिवार और चौटाला परिवार में सालों पुरानी राजनीतिक लड़ाई है. इस झगड़े में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में डंडे भी बरसाए जा चुके हैं, लेकिन कहते हैं न ये राजनीति है, यहां मुर्दे गाड़े नहीं जाते बल्कि वक्त आने पर उन्हें जिंदा किया जाता है.
कुछ ऐसा ही नजारा शुक्रवार को भी देखने को मिला जब ऐलनाबाद के संग्राम को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी, जननायक जनता पार्टी और हरियाणा लोकहित पार्टी, तीनों ने मिलकर कार्यकर्ताओं से जीत के लिए जोर लगाने का आह्वान किया. बता दें कि, बीजेपी-जेजेपी की ओर से सिरसा से विधायक गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा गया है. गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी है.
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शुक्रवार को सिरसा में तीनों पार्टियों ने संयुक्त कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया. इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और ऐलनाबाद उपचुनाव के प्रभारी सुभाष बराला, पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी, हरियाणा लोकहित पार्टी के सुप्रीमो गोपाल कांडा, ऐलनाबाद से भाजपा प्रत्याशी गोविंद कांडा, हिसार से विधायक कमल गुप्ता, भाजपा नेता अमरपाल राणा, आदित्य चौटाला और जेजेपी के नेता दिग्विजय चौटाला भी मौजूद रहे.
गौरतलब है कि 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में सिरसा से गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. जिसके बाद बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. वहीं गोपाल कांडा ने भी बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन गोपाल कांडा के समर्थन की खबर आते ही बीजेपी के अंदर ही विरोध शुरू हो गया था. बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने खुलेआम गोपाल कांडा का समर्थन लेने पर अपनी ही पार्टी का विरोध किया था.
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हालांकि बाद में बीजेपी की तरफ से साफ किया गया कि गोपाल कांडा से समर्थन नहीं लिया गया. ये बात अलग है कि गोपाल कांडा बीजेपी सरकार के समर्थन में ही रहते हैं और सरकार के खिलाफ कम ही बयान देते हैं. गोपाल कांडा का विरोध क्यों किया गया आपको ये भी बताते हैं. दरअसल, एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा और उनकी मां अनुराधा शर्मा की आत्महत्या के मामले में गोपाल कांडा आरोपित हैं. 5 अगस्त 2012 को एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा ने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी. गीतिका शर्मा गोपाल कांडा की एयरलाइंस में ही काम करती थी.
इस मामले में हरियाणा के तत्कालीन मंत्री गोपाल कांडा व उनकी सहायक अरुणा चड्डा को दुष्कर्म, गर्भपात व प्रताड़ना का आरोपित बनाया गया था. कांडा पर आरोप था कि उन्होंने एयरहोस्टेस गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाया. अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने ही कांडा पर विभिन्न तरह के आरोप लगाए थे. इसमें शोषण और गलत इस्तेमाल प्रमुख था. इसके ठीक छह माह बाद गीतिका की मां अनुराधा शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने सुसाइड नोट में गोपाल कांडा व अरुणा का नाम लिया था, जिसमें कहा गया था कि कांडा व चड्डा की तरफ से उन्हें धमकाया जा रहा है. पहले दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. पुलिस ने कहा था कि जब अनुराधा शर्मा ने आत्महत्या की थी, उस वक्त आरोपित न्यायिक हिरासत में थे.
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गीतिका की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके साथ हुई दरिंदगी की बातें सामने आई थीं. रिपोर्ट के मुताबिक, गीतिका के साथ अप्राकृतिक सेक्स किया जाता था. रिपोर्ट के मुताबिक मौत से 48-72 घंटे पहले भी गीतिका से शारीरिक संबंध बनाए गए थे. यह भी सामने आया था कि गीतिका कई बार प्रेगनेंट हुई थीं और बार-बार उनका अबॉर्शन कराया गया था. जब ये मामला सामने आया तब कांडा कांग्रेस की हुड्डा सरकार में मंत्री थे. इस मामले के सामने आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. जिसके बाद कांडा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. कई साल तक चले इस मामले में कांडा को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी.
वहीं गोपाल कांडा ने साल 2014 में हरियाणा लोकहित नाम की पार्टी बनाई थी. इससे वह सिरसा से ही 2014 का विधानसभा चुनाव भी लड़े थे, लेकिन तब उन्हें इनेलो के मक्खन लाल सिंघल ने हरा दिया था. इससे पहले कांडा ने 2009 में भी विधानसभा चुनाव लड़ा था. तब वह सिरसा सीट से जीत भी गए थे. वहीं एक बार फिर 2019 के चुनाव में कांडा विधायक बने थे. बहरहाल 2019 में जहां बीजेपी ने नैतिकता की बात कहकर कांडा से समर्थन नहीं लिया वहीं अब ऐलनाबाद चुनाव में कांडा के भाई को ही उम्मीदवार बनाया और सभी नेता स्टेज पर भी साथ नजर आ रहे हैं. ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों में बीजेपी की नैतिकता पर सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं.
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