सिरसा: हरियाणा में ऐलनाबाद उप चुनाव (Ellenabad bypoll) की घोषणा हो चुकी है. ये चुनाव किसान आंदोलन की वजह से कई मायनों में बहुत मह्तवपूर्ण हो चुका है, इसलिए सभी पार्टियां हर एंगल से ठोक बजाकर अपने अपने प्रत्याशियों का चुनाव कर रही हैं, वहीं हरियाणा बीजेपी ने ऐलनाबाद चुनाव के लिए गोविंद कांडा (Govind Kanda) को अपना उम्मीदवार बनाया है. आपको बता दें कि गोविंद कांडा, हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री और वर्तमान में सिरसा से विधायक गोपाल कांडा (Gopal Kanda) का भाई हैं.
अतीत पर नजर डालें तो गोपाल गोयल कांडा एअर हॉस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या कांड (Geetika Sharma Suicide Case) में कल तक आरोपी बने फिर रहे थे, आज जब उन्होंने राजनीति में दोबारा कदम रखा तो वो बीजेपी (BJP) की आंखों का तारा बन गए. आज गोपाल कांडा (Gopal Kanda) बीजेपी के पक्के वाले समर्थक हैं. यही वजह है कि उन्हें बीजेपी भी इतनी तरजीह दे रही है. इसी की बानगी है कि बीजेपी ने ऐलनाबाद जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में गोविंद कांडा का नाम फाइनल किया है.
बीजेपी का गोपाल कांडा प्रेम तो साल-2019 में भी देखने को मिला था. जब हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो गोपाल कांडा ही पहले विधायक थे जिसने बीजेपी को समर्थन दिया. चर्चा तो ये भी थी कि बीजेपी गोपाल कांडा की इसी निष्ठा से खुश होकर उन्हें मंत्री पद का दर्जा भी देने वाली थी, लेकिन शपथ से कुछ घंटे पहले ही बवाल शुरू हो गया और बीजेपी को उनका नाम मंत्री पद से हटाना पड़ा.
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इसमें कोई दो राय नहीं है कि साल 2019 हरियाणा विधानसभा (Haryana Assembly Election 2019) के नतीजे आने के बाद गोपाल कांडा (Gopal Kanda) ने बीजेपी को मजबूती देने का काम किया, लेकिन सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर गोपाल कांडा की छवि को लेकर बहस छिड़ गई. ऐसे में बीजेपी को ऐलान करना पड़ा कि गोपाल कांडा उनकी पार्टी नहीं ज्वॉइन कर रहे हैं, मगर शायद हरियाणा बीजेपी (Haryana BJP) के दिग्गज नेता आज भी गोपाल कांडा के एहसान को भूले नहीं हैं. यही वजह थी कि आज जब मौका मिला तो तीन दिन में ही गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को पार्टी ज्वॉइन करवाई और ऐलनाबाद के लिए अपना प्रत्याशी भी चुन लिया.
आपको याद दिला दें कि गीतिका शर्मा आत्महत्या कांड (Geetika Sharma Suicide Case) में गोपाल कांडा को सत्ता सुख से विमुख होकर तिहाड़ जेल (Tihar Jail) की तन्हा कोठरियों में कैद होना पड़ा. इसी के चलते साल 2012 में कांडा को राजनीतिक कुर्सी भी गंवानी पड़ी. बता दें कि गोपाल कांडा को साल 2009 में राज्यमंत्री बनाया गया था, उन्हें शहरी स्थानीय निकाय विभाग का स्वतंत्र कार्यभार लिया था और गृह विभाग का जिम्मा मुख्यमंत्री के साथ मिला था.
2012 में जेल पहुंचे कांडा साल 2014 में तिहाड़ से निकल कर बाहर आ पाए. उसके बाद 2014 में कांडा ने लोकसभा चुनाव लड़ा. उस चुनाव में हारना तय था सो हार भी गए. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिरसा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और अच्छे मार्जिन से विजयी हुए. आज उसी गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. कल तक जिस गोपाल कांडा से बीजेपी को परहेज था, आज उसी के भाई बीजेपी को जिताऊ उम्मीदवार लग रहे हैं. खैर, ये तो वक्त ही बताएगा कि ऐलनाबाद की जनता गोविंद कांडा को अपना आशीर्वाद देती भी है या नहीं.
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