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सिरसा में बेटे ने महिलाओं से दिलवाया मां की अर्थी को कंधा

सिरसा जिले के गांव केहरवाला में महिलाओं ने एक अर्थी को कंधा दिया. ये पहल मृतक महिला के बेटे राजाराम ने की है. राजाराम का मानना है कि इससे समाज की सोच में बदलाव आ सकता है.

funeral with the help of women
महिलाओं ने दिया अर्थी को कंधा
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Published : May 14, 2020, 10:39 AM IST

सिरसा: जिले के गांव केहरवाला में महिलाओं ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए कुछ ऐसा कर दिखाया जो पूरे समाज लिए मिसाल बन गया. केहरवाला गांव में सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ महिलाओं ने अर्थी को कंधा दिया. आमतौर पर महिलाएं अर्थी को कंधा नहीं देती हैं, लेकिन मृतक महिला के बेटे की पहल पर महिलाओं ने अर्थी को कंधा देकर लोगों को रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ने का संदेश दिया.

केहरवाला गांव में रहने वाले राजाराम ने अपनी माता के देहांत के बाद उनकी अर्थी को न सिर्फ घर की महिलाओं से कंधा दिलवाया. बल्कि अंतिम संस्कार के लिए भी सभी प्रक्रियाओं में शामिल होने के लिए महिलाओं को श्मशान घाट लेकर गए. राजाराम द्वारा की गई पहल की घर की महिलाओं के साथ ग्रामीण भी तारीफ कर रहे हैं.

देखिए वीडियो.

राजाराम का कहना है कि इससे समाज में महिलाओं को और ऊपर उठने में मदद मिलेगी और वो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो सकेंगी. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ये पहल समाज में एक नई परम्परा का निर्माण करेगी और महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.

पढ़ें- 15 मई से इन इलाकों में चलेंगी बसें, कुछ बातों का रखना होगा विशेष ध्यान

राजाराम ने एक और नई पंरपरा की शुरुआत करते हुए अपनी माता की अस्थि गंगा-यमुना में विसर्जित करने की बजाए गांव की जमीन के भीतर दबाकर उसपर बगरद का पेड़ लगाया. राजाराम ने लोगों से भी नई पंरपरा अपनाने की अपील की है.

सिरसा: जिले के गांव केहरवाला में महिलाओं ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए कुछ ऐसा कर दिखाया जो पूरे समाज लिए मिसाल बन गया. केहरवाला गांव में सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ महिलाओं ने अर्थी को कंधा दिया. आमतौर पर महिलाएं अर्थी को कंधा नहीं देती हैं, लेकिन मृतक महिला के बेटे की पहल पर महिलाओं ने अर्थी को कंधा देकर लोगों को रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ने का संदेश दिया.

केहरवाला गांव में रहने वाले राजाराम ने अपनी माता के देहांत के बाद उनकी अर्थी को न सिर्फ घर की महिलाओं से कंधा दिलवाया. बल्कि अंतिम संस्कार के लिए भी सभी प्रक्रियाओं में शामिल होने के लिए महिलाओं को श्मशान घाट लेकर गए. राजाराम द्वारा की गई पहल की घर की महिलाओं के साथ ग्रामीण भी तारीफ कर रहे हैं.

देखिए वीडियो.

राजाराम का कहना है कि इससे समाज में महिलाओं को और ऊपर उठने में मदद मिलेगी और वो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो सकेंगी. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ये पहल समाज में एक नई परम्परा का निर्माण करेगी और महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.

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राजाराम ने एक और नई पंरपरा की शुरुआत करते हुए अपनी माता की अस्थि गंगा-यमुना में विसर्जित करने की बजाए गांव की जमीन के भीतर दबाकर उसपर बगरद का पेड़ लगाया. राजाराम ने लोगों से भी नई पंरपरा अपनाने की अपील की है.

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