रोहतक: पहलवानों के प्रदर्शन के मामले पर ओलंपियन योगेश्वर दत्त ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने पहलवानों के अवॉर्ड लौटाने के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से ये खिलाड़ी भूपेंद्र हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा और प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं. उससे साफ जाहिर है कि ये जो विवाद है. अब राजनीतिक रूप ले चुका है. उन्होंने पहलवान द्वारा पुरस्कार लौटने को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
उनका कहना है कि ये पुरस्कार खिलाड़ी का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का सम्मान होता है और इसमें जितना खिलाड़ी का और उसके परिवार का योगदान होता है. उतना ही सरकार का भी योगदान होता है, क्योंकि हर एक खिलाड़ी के ऊपर करोड़ों खर्च होते हैं साथ में ट्रेनिंग होती है. जेब खर्च मिलता है. तब जाकर कहीं एक प्लेयर तैयार होता है. उन्होंने इस सारे प्रकरण को दुखदाई बताया है.
उन्होंने कहा खिलाड़ियों द्वारा दोबारा से किए गए विवाद के कारण खेल मंत्रालय को फेडरेशन की एक्टिविटी को सस्पेंड करना पड़ा. फेडरेशन बनने से खिलाड़ियों में उम्मीद जगी थी, लेकिन फेडरेशन के सस्पेंशन के बाद सबसे ज्यादा नुकसान जूनियर खिलाड़ियों को हुआ है और उसमें भी हरियाणा के खिलाड़ियों का ज्यादा नुकसान है, क्योंकि कुश्ती के खेल में हरियाणा के बच्चे ज्यादा निकलते हैं.
योगेश्वर दत्त ने कहा कि ये नुकसान साल भर से होता आ रहा है. खिलाड़ियों के विवाद के कारण अंडर 15 अंडर 17 और जूनियर फ्लेयरों का ना तो कोई कैंप लगा है और ना ही कोई राष्ट्रीय प्रतियोगिता हो पाई है. जिससे हर खिलाड़ी के खेल के 1 साल पर चोट लगी है. जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. इन्हीं खिलाड़ियों के विवाद के कारण कुश्ती सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. जिसका परिणाम हमारे सबके सामने है.
उन्होंने कहा कि चाहे कॉमनवेल्थ गेम हो और चाहे एशियन गेम. हमारी परफॉर्मेंस कुश्ती के क्षेत्र में नीचे गिर गई है. ये कुश्ती को बड़ा नुकसान है. किसी भी खेल को चलाने के लिए फेडरेशन की बड़ी आवश्यकता होती है, क्योंकि फेडरेशन ही है जो खेल के साथ कॉरपोरेट को जोड़ती है. जिस पैसे को खिलाड़ियों पर खर्च किया जाता है, लेकिन बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट द्वारा दोबारा से शुरू किए गए इस प्रकरण से खिलाड़ियों में निराशा है और पहलवानों को काफी दुख हुआ है.