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झींगा मछली पालन से किसानों की आय होगी तीन गुना! केंद्र के साथ वर्ल्ड बैंक भी कर रहा सहयोग - मत्स्य पालन प्रोजेक्ट वर्ल्ड बैंक

केंद्र सरकार और वर्ल्ड बैंक के सहयोग से किसानों के लिए झींगा मछली पालन का प्रोजेक्ट लाया गया है. इसी सिलसिले में वर्ल्ड बैंक के कृषि अर्थशास्त्री एडवर्ड वर्जन भी रोहतक के लाहली गांव पहुंचे. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

fish farming is farmer beneficiary
एडवर्ड वर्जन, वर्ल्ड बैक के अर्थशास्त्री
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Published : Feb 5, 2020, 8:25 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 11:37 PM IST

रोहतक: आज सरकार किसानों की आय को दोगुना करने पर जोर दे रही है, लेकिन रोहतक के एक किसान का कहना है कि अगर किसान ठान ले तो उसकी खेती दो गुनी नहीं तीन गुनी हो सकती है. इसके लिए बस किसान को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए. जिसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. उसी में से एक प्रोजेक्ट है रोहतक जिले के लाहली गांव में, जहां पर बंजर जमीन पर झींगा मछली की खेती की जाती है.

केंद्र की इस योजना में वर्ल्ड बैंक कर रहा है सहयोग
इस खेती को ज्यादा लोगों के पास पहुंचाया जाए उसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट शुरू किया है, उसी प्रोजेक्ट को देखने के लिए वर्ल्ड बैंक के कृषि अर्थशास्त्री एडवर्ड वर्जन भी पहुंचे. एडवर्ड वर्जन ने बताया कि हरियाणा और पंजाब में बहुत-सी जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं है, लेकिन उस पर मछली पालन किया जा सकता है.

झींगा मछली पालन से किसानों की आय होगी तीन गुना! केंद्र के साथ वर्ल्ड बैंक भी कर रहा सहयोग

किसानों की आय बढ़ सके, इसलिए वो वहां पर यह प्रोजेक्ट देखने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि मछली पालन की खेती के लिए राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट चलाया गया है और उस प्रोजेक्ट पर कुल 11 सौ करोड़ रुपये खर्चा आना है. जिसमें से 50% वर्ल्ड बैंक वहन करेगा.

ये प्रोजेक्ट किसानों के लिए फायदेमंद: गोपाल कृष्णा
उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट से जहां किसानों को तो लाभ मिलता ही है, साथ ही विद्यार्थियों को भी अच्छी जानकारी इस व्यवसाय को लेकर मिल जाती है और वो उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा पाते. वहीं केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान मुंबई के निदेशक गोपाल कृष्णा भी लाहली गांव पहुंचे और उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन खेती में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बंजर जमीन पर इस खेती को करने के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत महत्वपूर्ण है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस खेती के बारे में प्रशिक्षित करना है.

ये भी पढ़ेंः- करनाल की बेटी प्रिया गुप्ता बनी जज, हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में हासिल की तीसरी रैंक

'क्या काम करता है केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान'
उनका संस्थान भारत सरकार की तरफ से बनाई गई नीतियों को लेकर काम करता है. जिस तरह का यह व्यवसाय है उससे किसानों की आय दोगुनी नहीं 3 गुना हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय को करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि हर 4 महीने में 6 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी प्रति हेक्टेयर हो सकती है.

रोहतक: आज सरकार किसानों की आय को दोगुना करने पर जोर दे रही है, लेकिन रोहतक के एक किसान का कहना है कि अगर किसान ठान ले तो उसकी खेती दो गुनी नहीं तीन गुनी हो सकती है. इसके लिए बस किसान को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए. जिसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. उसी में से एक प्रोजेक्ट है रोहतक जिले के लाहली गांव में, जहां पर बंजर जमीन पर झींगा मछली की खेती की जाती है.

केंद्र की इस योजना में वर्ल्ड बैंक कर रहा है सहयोग
इस खेती को ज्यादा लोगों के पास पहुंचाया जाए उसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट शुरू किया है, उसी प्रोजेक्ट को देखने के लिए वर्ल्ड बैंक के कृषि अर्थशास्त्री एडवर्ड वर्जन भी पहुंचे. एडवर्ड वर्जन ने बताया कि हरियाणा और पंजाब में बहुत-सी जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं है, लेकिन उस पर मछली पालन किया जा सकता है.

झींगा मछली पालन से किसानों की आय होगी तीन गुना! केंद्र के साथ वर्ल्ड बैंक भी कर रहा सहयोग

किसानों की आय बढ़ सके, इसलिए वो वहां पर यह प्रोजेक्ट देखने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि मछली पालन की खेती के लिए राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट चलाया गया है और उस प्रोजेक्ट पर कुल 11 सौ करोड़ रुपये खर्चा आना है. जिसमें से 50% वर्ल्ड बैंक वहन करेगा.

ये प्रोजेक्ट किसानों के लिए फायदेमंद: गोपाल कृष्णा
उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट से जहां किसानों को तो लाभ मिलता ही है, साथ ही विद्यार्थियों को भी अच्छी जानकारी इस व्यवसाय को लेकर मिल जाती है और वो उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा पाते. वहीं केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान मुंबई के निदेशक गोपाल कृष्णा भी लाहली गांव पहुंचे और उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन खेती में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बंजर जमीन पर इस खेती को करने के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत महत्वपूर्ण है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस खेती के बारे में प्रशिक्षित करना है.

ये भी पढ़ेंः- करनाल की बेटी प्रिया गुप्ता बनी जज, हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में हासिल की तीसरी रैंक

'क्या काम करता है केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान'
उनका संस्थान भारत सरकार की तरफ से बनाई गई नीतियों को लेकर काम करता है. जिस तरह का यह व्यवसाय है उससे किसानों की आय दोगुनी नहीं 3 गुना हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय को करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि हर 4 महीने में 6 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी प्रति हेक्टेयर हो सकती है.

Intro:बंजर जमीन पर मछली पालन से किसानों की आय हो सकती है 3 गुना।

वर्ल्ड बैंक भी आया साथ

एंकर-अगर मछली पालन की खेती सही तरीके से की जाए तो किसानों की आय दोगुनी नहीं तीन गुना हो सकती है।जिसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। उसी में से एक प्रोजेक्ट है रोहतक जिले के लाहली गांव में, जहां पर बंजर जमीन पर झींगा मछली की खेती की जाती है। इस खेती को ज्यादा लोगों के पास पहुंचाया जाए उसके लिए। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट शुरू किया है, इस प्रोजेक्ट पर 1100 करोड रुपए खर्च आएगा जिसमें से 50% वर्ल्ड बैंक की ओर से वहन किया जाएगा। उसी प्रोजेक्ट को देखने के लिए वर्ल्ड बैंक के कृषि अर्थशास्त्री एडवर्ड वर्जन भी पहुंचे।

Body:एडवर्ड वर्जन ने बताया कि हरियाणा और पंजाब में बहुत सी जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं है। लेकिन उस पर मछली पालन किया जा सकता है। ताकि किसानों की आय बढ़ सके, इसलिए वे यहां पर यह प्रोजेक्ट देखने के लिए आए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मछली पालन की खेती के लिए राष्ट्रीय खेती उच्चतर शिक्षा का प्रोजेक्ट चलाया गया है और उस प्रोजेक्ट पर कुल 11 सौ करोड रुपए खर्चा आना है। जिसमें से 50% वर्ल्ड बैंक वहन करेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट से जहां किसानों को तो लाभ मिलता ही है, साथ ही विद्यार्थियों को भी अच्छी जानकारी इस व्यवसाय को लेकर मिल जाती है और वह उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा पाते।

बाईट एडवर्ड वर्जन, वर्ल्ड बैंक के कृषि अर्थशास्त्रीConclusion:वही केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान मुंबई के निदेशक गोपाल कृष्णा भी लाहली गांव पहुंचे और उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन खेती में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बंजर जमीन पर इस खेती को करने के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस खेती के बारे में प्रशिक्षित करना है। उनका संस्थान भारत सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों को लेकर काम करता है। जिस तरह का यह व्यवसाय है उससे किसानों की आय दोगुनी नहीं 3 गुना हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय को करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से ₹25 लाख का खर्च आता है। जबकि हर 4 महीने में 6 से ₹10 लाख तक की आमदनी प्रति हेक्टेयर हो सकती है।

बाईट गोपाल कृष्णा, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान मुंबई के निदेशक
Last Updated : Feb 5, 2020, 11:37 PM IST
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