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यहां बना था वो बम जो शहीद भगत सिंह ने फेंका था सेंट्रल असेंबली में

पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा है. आजादी की 74वीं सालगिरह के मौके पर ईटीवी भारत आपको आजादी के कुछ किस्सों से रूबरू करा रहा है. क्या आप जानते हैं कि महान क्रांतिकारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने जो बम असेंबली में फेंके थे. वो कहां बनाए गए थे ? नहीं तो इस रिपोर्ट में पढ़िए-

the bomb was made in rohtak which was thrown by bhagat singh in the central assembly
हरियाणा के रोहतक में बना था वो बम जो भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में फेंका था
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Published : Aug 14, 2020, 9:56 PM IST

Updated : Aug 15, 2020, 6:40 AM IST

रोहतक: 'बहरों तक आवाज पहुंचाने के लिए धमाके की जरूरत होती है' और ये धमाका इतना जोरदार था कि पूरी ब्रिटिश सरकार हिल गई थी. हम बात कर रहे हैं 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में फेंके गए दो बमों की. जिन्हें महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंका था.

8 अप्रैल,1929 को दिल्ली सेंट्रेल असेंबली में हुआ था धमाका

धमाके के बाद खुद की गिरफ्तारी देने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे, लेकिन उस धमाके के लिए इस्तेमाल होने वाला बम कहां बना था ? इस बात की जानकारी शायद ही आपको होगी. बहुत कम लोग जानते होंगे कि सेंट्रल असेंबली में फेंकने के लिए बनाया गया बम हरियाणा के रोहतक में बना था.

हरियाणा के रोहतक में बना था वो बम जो भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में फेंका था.

वो धमाका जिसकी गूंज से थर्राए थे अंग्रेज

आजादी की 74वीं सालगिरह के मौके पर आज ईटीवी भारत आपको आजादी के कुछ किस्सों से रूबरू करा रहा है. देश से अंग्रेजी सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए हरियाणा में कई योजनाएं बनाई गईं. देश के क्रांतिकारियों का यहां आना-जाना रहा. क्रांति के सपनों को पूरा करने के लिए रोहतक जिले की तंग गलियों में बम और असलहों की फैक्ट्री बनाई गई थी और यहीं बनाया गया था वो बम जिसे देश के अमर सपूत भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बहरी अंग्रेज सरकार को सुनाने के लिए फेंका था.

रोहतक के स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण दास उस क्रांति टीम के अहम सदस्य थे. जिन्हें आप इस बम केस के योजनाकार भी कह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने ही क्रांतिकारी वेद लेखराज के साथ मिलकर रोहतक में गुप्त बम फैक्ट्री की स्थापना की थी.

स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण दास के पोते राजेश जैन बताते हैं कि एक बार निर्माण के दौरान बम जैन मंदिर में ही फट गया था, लेकिन इससे पहले की अंग्रेज बम फैक्ट्री तक पहुंच पाते. लक्ष्मण दास ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ सभी बमों को पास के ही एक कुएं में डिफ्यूस कर दिया था.

ये भी पढ़िए: कई पीढ़ियों से तिरंगा बना रहा अंबाला का ये परिवार, इसी दुकान में बना था कारगिल का विजय ध्वज

बाबरा मोहल्ला, ये वही मोहल्ला है जहां की गलियों में किसी वक्त आजाद भारत का सपना संजोए क्रांतिकारियों ने गुप्त बम फैक्ट्री बनाई थी. इन्हीं गलियों में से एक गली में आज भी जैन मंदिर मौजूद है. जहां चोरी छिपे बम बनाए गए थे. वही बम जो 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में शहीद भगत सिंह द्वारा फेंके गए थे.

रोहतक: 'बहरों तक आवाज पहुंचाने के लिए धमाके की जरूरत होती है' और ये धमाका इतना जोरदार था कि पूरी ब्रिटिश सरकार हिल गई थी. हम बात कर रहे हैं 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में फेंके गए दो बमों की. जिन्हें महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंका था.

8 अप्रैल,1929 को दिल्ली सेंट्रेल असेंबली में हुआ था धमाका

धमाके के बाद खुद की गिरफ्तारी देने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे, लेकिन उस धमाके के लिए इस्तेमाल होने वाला बम कहां बना था ? इस बात की जानकारी शायद ही आपको होगी. बहुत कम लोग जानते होंगे कि सेंट्रल असेंबली में फेंकने के लिए बनाया गया बम हरियाणा के रोहतक में बना था.

हरियाणा के रोहतक में बना था वो बम जो भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में फेंका था.

वो धमाका जिसकी गूंज से थर्राए थे अंग्रेज

आजादी की 74वीं सालगिरह के मौके पर आज ईटीवी भारत आपको आजादी के कुछ किस्सों से रूबरू करा रहा है. देश से अंग्रेजी सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए हरियाणा में कई योजनाएं बनाई गईं. देश के क्रांतिकारियों का यहां आना-जाना रहा. क्रांति के सपनों को पूरा करने के लिए रोहतक जिले की तंग गलियों में बम और असलहों की फैक्ट्री बनाई गई थी और यहीं बनाया गया था वो बम जिसे देश के अमर सपूत भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बहरी अंग्रेज सरकार को सुनाने के लिए फेंका था.

रोहतक के स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण दास उस क्रांति टीम के अहम सदस्य थे. जिन्हें आप इस बम केस के योजनाकार भी कह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने ही क्रांतिकारी वेद लेखराज के साथ मिलकर रोहतक में गुप्त बम फैक्ट्री की स्थापना की थी.

स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण दास के पोते राजेश जैन बताते हैं कि एक बार निर्माण के दौरान बम जैन मंदिर में ही फट गया था, लेकिन इससे पहले की अंग्रेज बम फैक्ट्री तक पहुंच पाते. लक्ष्मण दास ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ सभी बमों को पास के ही एक कुएं में डिफ्यूस कर दिया था.

ये भी पढ़िए: कई पीढ़ियों से तिरंगा बना रहा अंबाला का ये परिवार, इसी दुकान में बना था कारगिल का विजय ध्वज

बाबरा मोहल्ला, ये वही मोहल्ला है जहां की गलियों में किसी वक्त आजाद भारत का सपना संजोए क्रांतिकारियों ने गुप्त बम फैक्ट्री बनाई थी. इन्हीं गलियों में से एक गली में आज भी जैन मंदिर मौजूद है. जहां चोरी छिपे बम बनाए गए थे. वही बम जो 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में शहीद भगत सिंह द्वारा फेंके गए थे.

Last Updated : Aug 15, 2020, 6:40 AM IST
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