रोहतक: बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण खेत मे भरें पानी को देख कर धरती का अन्नदाता कहे जाने वाला किसान अपने आंसू नहीं रोक पाया. खेत में पानी भरने के कारण गेहूं की बिजाई न होने से कैमरे के सामने ही किसान रो पड़ा.
समाधान नहीं बीमा की पॉलिसी समझिए !
वहीं समाधान तो छोड़ों रोहतक डीसी किसानों को फसल बीमा का गुणा-भाग समझाने में लगे रहे. डीसी का मानना है कि खुद के आकलन करने से फसल में सौ प्रतिशत नुकसान नहीं होता बल्कि नुकसान की सूचना 72 घंटे में देनी होती है. वहीं अधिकारी भी मान रहे हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार गेहूं की बिजाई कम हुई है.
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किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण धान, गन्ना और अब गेहूं की फसल में नुकसान हुआ है. यही नहीं अगर एक बार बारिश और होती है तो अगले सीजन में भी बिजाई होना मुश्किल है. वहीं इस सब पर डीसी का मानना है कि इस तरह की आपदाओं से खुद के आकलन की बजाए 72 घंटे में अधिकारियों को सूचना देनी होती है, तब अधिकारी नुकसान का आकलन कर फसल बीमा कंपनी को अवगत कराते हैं.
'कम हुई गेहूं की बिजाई'
कृषि अधिकारी ने भी माना कि बेमौसम बारिश की वजह से पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष गेहूं की बिजाई कम हुई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल करीब एक लाख पांच हजार हैक्टेयर में बिजाई हुई थी जबकि अबकी बार एक लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बिजाई हो पाई है जो पिछले साल की अपेक्षा कम है.