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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अहम कदम, अब प्लास्टिक के कचरे से बनेंगी सड़कें

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ की मदद से अब गांवो में सड़के बनाने के लिए चलाए जाएंगे प्रोजेक्ट. प्रोजेक्ट की खास बात ये है कि सड़कें गांवों से प्लास्टिक खरीद कर बनाई जाएंगी. पहले चरण में रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों में प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा.

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Published : Feb 25, 2019, 10:58 AM IST

सड़क का निर्माण कार्य. फाइल फोटो

रोहतक:हजारों वर्ष तक ना गलने वाले प्लास्टिक को अब स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ के सहयोग से सड़केबनाने में प्रयोग किया जाएगा. तीन जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों को इसके लिए पहले चरण में चुना गया है. जिसमें रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक को कचरे के तौर पर एकत्रित किया जाएगा.

सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ की ओर से गांवों में रिक्शा भेजकर प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया जाएगा. यह प्लास्टिक दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा. इसके बाद पहले से किए गए समझौते के तहत हरियाणा स्टेट रोड डेवलपमेंट कॅारपोरेशन (एचएसआरडीसी) की ओर से इस प्लास्टिक को सड़केबनाने में चारकोल के साथ प्रयोग में लिया जाएगा. आपको बता दें की दूसरे फेज में जींद और पानीपत को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा.बैंगलुरु, इंदौर और पश्चिम बंगाल के बाद इस योजना को प्रदेश में लाया गया है. अभी तक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और संबंधित एनजीओ के मार्फत तीन जिलों के गांवों को छंटनी कर काम भी शुरू कर दिया गया है.

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सड़क का निर्माण कार्य. फाइल फोटो

प्रोजेक्ट का आधार

  • 5 जिलों में करीब 70 लाख आबादी
  • 13 लाख परिवारों को किया जाएगा कवर
  • 1 घर से 12-14 किग्रा प्लास्टिक का कचरा निकलता है
  • 10 गांव पर लगाई जाएगी एक रिक्शा
  • 3 माह में पूरे हरियाणा को किया जाएगा कवर, साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए लगाएंगे वर्कशॉप


स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के सहायक अशोक कुमार ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांवों में प्लास्टिक कचरे को अलग करने और एकत्रित करने का काम एनजीओ ने शुरू कर दिया है. गांवों में वर्कशाप लगाई जाएगी, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और वे कचरे को फेंकने के बजाए योजना में सहयोग करें.

प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर विजय कुमार सरोहा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. साथ ही उन्होंने कहा कि जमीन में प्लास्टिक कचरा दबने के बाद हजारों साल तक नहीं गल पाता. हम इस प्रोजेक्ट के तहत लोगों को पर्यावरण और इकोलॉजी सिस्टम से जोड़ेंगे.

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रोहतक:हजारों वर्ष तक ना गलने वाले प्लास्टिक को अब स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ के सहयोग से सड़केबनाने में प्रयोग किया जाएगा. तीन जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों को इसके लिए पहले चरण में चुना गया है. जिसमें रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक को कचरे के तौर पर एकत्रित किया जाएगा.

सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ की ओर से गांवों में रिक्शा भेजकर प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया जाएगा. यह प्लास्टिक दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा. इसके बाद पहले से किए गए समझौते के तहत हरियाणा स्टेट रोड डेवलपमेंट कॅारपोरेशन (एचएसआरडीसी) की ओर से इस प्लास्टिक को सड़केबनाने में चारकोल के साथ प्रयोग में लिया जाएगा. आपको बता दें की दूसरे फेज में जींद और पानीपत को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा.बैंगलुरु, इंदौर और पश्चिम बंगाल के बाद इस योजना को प्रदेश में लाया गया है. अभी तक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और संबंधित एनजीओ के मार्फत तीन जिलों के गांवों को छंटनी कर काम भी शुरू कर दिया गया है.

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सड़क का निर्माण कार्य. फाइल फोटो

प्रोजेक्ट का आधार

  • 5 जिलों में करीब 70 लाख आबादी
  • 13 लाख परिवारों को किया जाएगा कवर
  • 1 घर से 12-14 किग्रा प्लास्टिक का कचरा निकलता है
  • 10 गांव पर लगाई जाएगी एक रिक्शा
  • 3 माह में पूरे हरियाणा को किया जाएगा कवर, साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए लगाएंगे वर्कशॉप


स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के सहायक अशोक कुमार ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांवों में प्लास्टिक कचरे को अलग करने और एकत्रित करने का काम एनजीओ ने शुरू कर दिया है. गांवों में वर्कशाप लगाई जाएगी, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और वे कचरे को फेंकने के बजाए योजना में सहयोग करें.

प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर विजय कुमार सरोहा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. साथ ही उन्होंने कहा कि जमीन में प्लास्टिक कचरा दबने के बाद हजारों साल तक नहीं गल पाता. हम इस प्रोजेक्ट के तहत लोगों को पर्यावरण और इकोलॉजी सिस्टम से जोड़ेंगे.

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हरियाणा / अब गांवों से प्लास्टिक खरीदकर बनाई जाएंगी सड़कें




             
  • पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ चलाएंगे प्रोजेक्ट

  •          
  • पहले चरण में रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों में शुरू होंगे काम



रोहतक (रत्न पंवार). हजारों वर्ष तक ना गलने वाले प्लास्टिक को अब स्वच्छ भारत मिशन और एनजीओ के सहयोग से सड़कें बनाने में प्रयोग किया जाएगा। तीन जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों को इसके लिए पहले चरण में चुना गया है। इसके लिए रोहतक, सोनीपत और झज्जर के गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक को कचरे के तौर पर एकत्रित किया जाएगा।





 

सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ की ओर से गांवों में रिक्शा भेजकर प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया जाएगा। यह प्लास्टिक दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। इसके बाद पहले से किए गए समझौते के तहत हरियाणा स्टेट रोड डेवलपमेंट काॅरपोरेशन (एचएसआरडीसी) की ओर से इस प्लास्टिक को सड़कें बनाने में चारकोल के साथ प्रयोग में लिया जाएगा। 





दूसरे फेज में जींद और पानीपत होंगे शामिल 

बैंगलुरु, इंदाैर और पश्चिम बंगाल के बाद योजना को प्रदेश में लाया है। पहले से प्लास्टिक को रोड बनाने में प्रयोग किया है। चारकोल के साथ खराब से खराब प्लास्टिक को प्रयोग किया जाता है। अभी तक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और संबंधित एनजीओ के मार्फत तीन जिलों के गांवों को छंटनी कर इनमें काम भी शुरू कर दिया है। रोहतक, सोनीपत और झज्जर के बाद जींद और पानीपत को भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इससे जिलों की संख्या पांच हो जाएगी। वहीं दूसरे चरण में सोनीपत के अर्बन एरिया को चयनित किया है। 



फैक्ट फिगर : प्रोजेक्ट का आधार 




             
  • 05 जिलों में करीब 70 लाख आबादी 

  •          
  • 13 लाख परिवारों को किया जाएगा कवर

  •          
  • 01 घर से 12-14 किग्रा प्लास्टिक का कचरा निकलता है 

  •          
  • 10 गांव पर लगाई जाएगी एक रिक्शा 

  •          
  • 03 माह में पूरे हरियाणा को किया जाएगा कवर





लोगों को जागरूक करने के लिए लगाएंगे वर्कशॉप 

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांवों में प्लास्टिक कचरे को अलग करने और एकत्र करने को एनजीओ के मार्फत काम शुरू कर दिया है। गांवों में वर्कशाप लगाई जाएगी, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और वे कचरे को फेंकने के बजाए योजना में सहयोग करें। -अशोक कुमार, सहायक समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण।



पर्यावरण को सुरक्षित रखना मकसद : सरोहा 

इस प्रोजेक्ट का मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। जमीन में प्लास्टिक कचरा दबने के बाद हजारों साल तक नहीं गल पाता है। इसके तहत लोगों को पर्यावरण और इकोलॉजी सिस्टम से जोड़ जाएगा। -विजय कुमार सरोहा, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, सस्टनेबिलिटी विजन फाउंडेशन।


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