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रोहतक: लॉकडाउन में रिक्शा चालकों पर गहराया संकट - रोहतक में लॉकडाउन

लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा संकट रिक्शा चालकों पर आया है. सुबह से लेकर शाम तक ग्राहकों का इंतजार कर रहे रिक्शा चालक खाली हाथ ही घर लौट जाते हैं. लॉकडाउन से पहले 200 से 300 रुपये प्रतिदिन कमाने वाले चालक भूखे मरने की कगार पर हैं.

rickshaw drivers deepen in lockdown in rohtak
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Published : May 8, 2020, 8:31 PM IST

रोहतक: कोरोना वायरस की वजह से देश में लगे लॉकडाउन के कारण जहां अर्थव्यवस्था चौपट होती जा रही है. वहीं मजदूरों के लिए भी संकट पैदा हो गया है. कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन में इस वक्त सबसे ज्यादा संकट रिक्शा चालकों पर आ गया है. ये रिक्शा चालक पूरी तरह से लोगों पर निर्भर है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं.

रोहतक: लॉकडाउन में रिक्शा चालकों पर गहराया संकट

रिक्शा चालक भी भूखे मरने की कगार पर है. इनके आगे रोटी-रोजी का संकट गहराता जा रहा है. रिक्शा चालक सुबह से लेकर शाम तक ग्राहकों के इंतजार में शहर की गलियों की तरफ आंख गढ़ाए रहते हैं और शाम होती ही अपने घर खालकी हाथ लौट जाते हैं. इन रिक्शा चालकों का कहना है कि...

लॉकडाउन से पहले 200 से 300 रुपये तक दिन में कमा लेते थे, लेकिन जब से लॉगडाउन लगा है, मुश्किल से 20 से 30 रुपये ही कमा पाते हैं. इससे गुजारा करना मुश्किल है. सरकार की ओर से रिक्शा चालकों के खाते में 500 रुपये डालने का फैसला किया गया था, लेकिन इनमें से कई चालकों के पास तो बैंक खाता ही नहीं है.

ये भी पढ़ें:- पड़ताल: लॉकडाउन में चारे की कमी ने तोड़ी डेयरी उद्योग की कमर, आधा दूध दे रहे पशु

गौरतलब है कि जब तक लॉकडाउन रहेगा, रिक्शा चालकों पर ये संकट बना रहेगा. ऐसे में सरकार को आगे आकर इन्हें चिन्हित करना होगा ताकि इन्हें भी भूखा मरने से बचा जा सके. ना तो इनके पास प्रोपर खाना पहुंच रहा है और ना ही सरकारी मदद.

रोहतक: कोरोना वायरस की वजह से देश में लगे लॉकडाउन के कारण जहां अर्थव्यवस्था चौपट होती जा रही है. वहीं मजदूरों के लिए भी संकट पैदा हो गया है. कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन में इस वक्त सबसे ज्यादा संकट रिक्शा चालकों पर आ गया है. ये रिक्शा चालक पूरी तरह से लोगों पर निर्भर है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं.

रोहतक: लॉकडाउन में रिक्शा चालकों पर गहराया संकट

रिक्शा चालक भी भूखे मरने की कगार पर है. इनके आगे रोटी-रोजी का संकट गहराता जा रहा है. रिक्शा चालक सुबह से लेकर शाम तक ग्राहकों के इंतजार में शहर की गलियों की तरफ आंख गढ़ाए रहते हैं और शाम होती ही अपने घर खालकी हाथ लौट जाते हैं. इन रिक्शा चालकों का कहना है कि...

लॉकडाउन से पहले 200 से 300 रुपये तक दिन में कमा लेते थे, लेकिन जब से लॉगडाउन लगा है, मुश्किल से 20 से 30 रुपये ही कमा पाते हैं. इससे गुजारा करना मुश्किल है. सरकार की ओर से रिक्शा चालकों के खाते में 500 रुपये डालने का फैसला किया गया था, लेकिन इनमें से कई चालकों के पास तो बैंक खाता ही नहीं है.

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गौरतलब है कि जब तक लॉकडाउन रहेगा, रिक्शा चालकों पर ये संकट बना रहेगा. ऐसे में सरकार को आगे आकर इन्हें चिन्हित करना होगा ताकि इन्हें भी भूखा मरने से बचा जा सके. ना तो इनके पास प्रोपर खाना पहुंच रहा है और ना ही सरकारी मदद.

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