रोहतक: हुड्डा सरकार में भर्ती हुए 1983 पीटीआई टीचरों की भर्ती प्रक्रिया रद्द होने के बाद शुक्रवार को सभी टीचरों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. वहीं कुछ टीचरों ने थाली बजाकर अपना विरोध जताया. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंस की जमकर धज्जियां उड़ाई गई. इस संबंध में जब पीटीआई टीचरों से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें सोशल डिस्टेंस का ज्ञान है, लेकिन रोजी-रोटी के चलते उन्हें यह करना पड़ रहा है.
क्या है पीटीआई टीचर भर्ती मामला ?
साल 2010 में हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइ कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
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इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल 2020 को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
प्रदर्शन कर रहे पीटीआई टीचर महावीर सिंह ने कहा कि जब उनकी भर्ती हुई थी तो सभी कागजात सही थे, लेकिन सरकार और बोर्ड की गलती पीटीआई टीचरों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह एक दिन का सांकेतिक धरना पूरे हरियाणा में किया जा रहा है.
वहीं सोशल डिस्टेंस के बारे में पूछने पर पीटीआई टीचर राधारानी ने बताया कि उन्हें सोशल डिस्टेंस का ज्ञान है, लेकिन सवाल रोजी-रोटी का है. इसलिए उन्हें यह करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान सभी पीटीआई मास्क का प्रयोग कर रहे हैं.