रोहतक: हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने गन्ने के रेट 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाए जाने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार किसान हितैषी है और सरकार ने अपने सामर्थ्य के मुताबिक ही रेट में बढ़ोतरी की है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान धरना-प्रदर्शन छोड़कर शुगर मिल को चलाएं, क्योंकि गन्ना खेत में रखने से उन्हें नुकसान होगा. कृषि मंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि आने वाले साल में सरकार किसानों को और अच्छा भाव देगी.
कृषि मंत्री जेपी दलाल बुधवार को जाट शिक्षण संस्था रोहतक में एक समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने गन्ने के रेट बढ़ोतरी की मांग को लेकर किसानों के ट्रैक्टर मार्च निकाले जाने पर कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है. हरियाणा सरकार लगातार किसान हितैषी फैसले ले रही है. हाल ही में डेढ़ लाख एकड़ में पानी की समस्या को लेकर सरकार ने 12 सौ करोड़ रुपए मंजूर किए हैं.
उन्होंने कहा कि फिलहाल सिर्फ एक राज्य को छोड़कर देश में सबसे ज्यादा गन्ने का रेट हरियाणाा में ही है. उन्होंने बताया कि शुगर मिलों को 5 हजार 300 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है. अगर सभी शुगर मिलों को बेचना भी चाहें तो भी इनकी कीमत 5 हजार 300 करोड़ से कम होगी. इसके बावजूद सरकार ने किसानों के हित को देखते हुए रेट में बढ़ोतरी की है.
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कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि शुगर मिल की कमेटी ने यह अनुशंसा की है कि शुगर मिलों के घाटे को कम करने के लिए एथेनॉल और पावर प्लांट लगाए जाएं. गन्ने की रिकवरी को ठीक किया जाए. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले समय में चीनी के रेट भी बढ़ेंगे, क्योंकि चीनी के रेट से ही गन्ने का रेट तय होता है.
गुरनाम सिंह चढूनी की है राजनीतिक मंशा: एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि यह सही है कि किसानों को 10 रुपए प्रति क्विंटल रेट बढ़ाया जाना कम लगता है, लेकिन पिछले साल 12 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाए गए थे, तब उन्होंने कुछ नहीं कहा था. अब किसानों के बीच में आंदोलनकारी कूद गए हैं, तो उन्हें यह रेट कम लगता है.
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इसी दौरान उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी को लेकर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चढूनी की राजनीतिक मंशा हैं, चढूनी ने पार्टी बनाई और पंजाब में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. वहां की जनता ने उन्हें नकार दिया. अब उन्होंने तेलंगाना में के.चंद्रशेखर राव से मुलाकात की है. दरअसल चढूनी किसानों के नाम पर राजनीति करते हैं. वे लोकसभा या विधानसभा में पहुंचने का रास्ता ढूंढ रहे हैं.