रोहतकः PGIMS के रेजीडेंट डॉक्टर्स गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे. वहीं एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में बुधवार को 4 घंटे तक ओपीडी में हड़ताल कर विरोध जताया गया. रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को 48 घंटों का अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि सरकार अगर बॉन्ड पॉलिसी (Protest against bond policy in Rohtak) को लेकर उनकी मांगें नहीं मानती तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी.
अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी- बता दें कि पीजीआईएमएस में रेजीडेंट डॉक्टर्स गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में जुट गए हैं. उन्नहोंने साफ तौर पर कहा है कि संस्थान की किसी भी ओपीडी में मरीज को वो नहीं देखेंगे. बुधवार को रेजीडेंट डॉक्टर्स ने एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में 4 घंटे तक ओपीडी में हड़ताल कर रोष जताया. इसी के साथ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है.
उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर दी जाएगी. वहीं प्रदर्शनकारी एमबीबीएस विद्यार्थियों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से समाधान की अपील की है क्योंकि विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान भी हो रहा है. बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ पीजीआईएमएस में एमबीबीएस विद्यार्थियों के प्रदर्शन को 23 दिन बीत चुके हैं.
विद्यार्थियों को मिला पीजीआईएमएस की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का समर्थन- बता दें कि 1 नवंबर से इस प्रदर्शन की शुरुआत की गई थी. 2 नवंबर से एमबीबीएस (MBBS students strike) विद्यार्थी डीन और डायरेक्टर ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गए थे. इस प्रदर्शन में विद्यार्थियों को अब पीजीआईएमएस की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का भी पूर्ण (Support of Resident Doctors Association of PGIMS) समर्थन मिल चुका है. रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सबसे पहले शनिवार को संस्थान की सभी ओपीडी में एक घंटे तक हड़ताल की थी. फिर सोमवार को 2 घंटे और मंगलवार को 3 घंटे तक हड़ताल रखी गई थी. बुधवार को सभी ओपीडी में दोपहर 12 बजे से रेजीडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल कर की. यह हड़ताल शाम 4 बजे तक की गई.
मरीजों पर हड़ता का असर- दरअसल पीजीआईएमस में रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक ओपीडी सेवाएं चलती हैं. दोपहर 2 बजे मरीजों के कार्ड बनाए जाते हैं. ऐसे में दोपहर 12 बजे से हड़ताल पर चले जाने की वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ. अंकित गुलिया ने कहा कि सरकार ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए जो बांड पॉलिसी लागू की है, वो पूर्ण रूप से गलत है. इसका विरोध करते हुए डॉ. अंकित ने कहा कि इसका असर सिर्फ एमबीबीएस विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि आम जनता पर भी पड़ेगा. उन्होंने प्रदेश सरकार को एमबीबीएस विद्यार्थियों की मांगों को मानने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया. साथ ही कहा की इमरजेंसी सेवाओं में भी रेजीडेंट डॉक्टर्स काम नहीं करेंगे.
एमबीबीएस छात्रों ने सीएम से की समाधान की मांग- वहीं एमबीबीएस विद्यार्थियों ने बुधवार को भी पीजीआईएमएस में डीन और डायरेक्टर ऑफिस के सामने धरना दिया. शाम के समय बैठक कर आगामी रणनीति के बारे में चर्चा की. इन छात्रों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से समाधान की मांग की हैं. एमबीबीएस छात्रों ने कहा कि एक दिन पहले पंचकूला में विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल की स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल चीफ सेक्रेट्री अनुपमा से भी इस संदर्भ में बातचीत हुई थी. इस दौरान अनुपमा ने साफ तौर पर पॉलिसी वापस लेने से इंकार कर दिया था. ऐसे में अब उनका मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि वे जल्द से जल्द समाधान कराएं.
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इस दौरान छात्रों ने कहा कि अब प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक अड़ियल सरकार उनकी मांगें पूरी तरह से नहीं मान लेती. वहीं एमबीबीएस विद्यार्थियों ने कहा कि पॉलिसी के नाम पर उन पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों से पैसे लूट कर सरकारी खजाना भरना चाहती है.