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भूख हड़ताल पर बैठी एक एमबीबीएस छात्रा की हालत बिगड़ी, इमरजेंसी में कराया गया भर्ती

हरियाणा में बांड पॉलिसी (Bond Policy in Haryana) के खिलाफ पीजीआईएमएस रोहतक में भूख हड़ताल पर बैठी एक छात्रा की हालत शनिवार को बिगड़ गई. उसे इलाज के लिए तुरंत इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है. फिलहाल छात्रा की हालत ठीक है.

रोहतक में एमबीबीएस छात्रों की भूख हड़ताल
रोहतक में एमबीबीएस छात्रों की भूख हड़ताल
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Published : Dec 3, 2022, 7:53 PM IST

रोहतक: बांड पॉलिसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत 24 नवंबर से पीजीआईएमएस में एमबीबीएस विद्यार्थियों ने क्रमिक भूख हड़ताल (Hunger Strike of MBBS students in Rohtak) शुरू की थी. जिसके तहत 48 घंटे के लिए 10 एमबीबीएस विद्यार्थी भूख हड़ताल पर बैठते हैं. 48 घंटे बाद अगले 10 विद्यार्थियों का नंबर आता है. इसी क्रम में भूख हड़ताल पर बैठी एमबीबीएस छात्रा राशि की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद एंबुलेंस के जरिए उसे तुरंत पीजीआईएमएस की इमरजेंसी में इलाज के लिए ले जाया गया. सीनियर डॉक्टर उसकी हालत पर नजर रखे हुए हैं.

एमबीबीएस विद्यार्थियों का नेतृत्व कर रहे पंकज बिट्टू व प्रिया कौशिक ने कहा कि इस आंदोलन में शामिल सभी छात्र व छात्राओं का एक ही मत है कि सरकार इस बांड पॉलिसी को पूर्ण रूप से वापस ले. यह पॉलिसी किसी भी सूरत में एमबीबीएस विद्यार्थियों के हित में नहीं है. इस पॉलिसी से उनके परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जान बूझकर इस पॉलिसी को एमबीबीएस विद्यार्थियों पर लाद रहे हैं. इस पॉलिसी को लागू करने से पहले किसी भी वर्ग की सलाह नहीं ली गई. आंदोलनकारियों ने कहा कि अगर सरकार की मंशा ठीक होती तो यह आंदोलन इतना लंबा ही नहीं चलता. इस बांड पॉलिसी के जरिए सरकारी मेडिकल एजुकेशन को बर्बाद करने पर प्रदेश सरकार जुटी हुई है.

ये भी पढ़ें- बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जारी, पीजीआई रोहतक में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक घंटे तक बंद रखी ओपीडी सेवाएं

बांड पॉलिसी के खिलाफ एक नवंबर से पीजीआईएमसस रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. इस दिन रोष मार्च निकाला गया था. फिर 2 नवंबर को पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर एमबीबीएस विद्यार्थी धरने पर बैठ गए थे. तब से लगातार धरना चल रहा है और रोजाना ही इस धरनास्थल पर विभिन्न संगठन पहुंचकर आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं.

रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी एमबीबीएस विद्यार्थियों का पुरजोर समर्थन करते हुए हड़ताल कर दी थी लेकिन 30 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चंडीगढ़ में मुलाकात के बाद हड़ताल खत्म कर दी थी. वे 2 दिसंबर से ओपीडी सेवाओं में काम पर लौट आए हैं. हालांकि रेजीडेंट डॉक्टर्स ने 19 नवंबर को एक घंटे, 21 नवंबर को 2 घंटे, 22 नवंबर को 3 घंटे और 23 नवंबर को 4 घंटे तक ओपीडी में हड़ताल की थी. 24 नवंबर से वे पूर्ण रूप से हड़ताल पर चले गए थे.

ये भी पढ़ें- बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में रोहतक पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, मरीज परेशान

रोहतक: बांड पॉलिसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत 24 नवंबर से पीजीआईएमएस में एमबीबीएस विद्यार्थियों ने क्रमिक भूख हड़ताल (Hunger Strike of MBBS students in Rohtak) शुरू की थी. जिसके तहत 48 घंटे के लिए 10 एमबीबीएस विद्यार्थी भूख हड़ताल पर बैठते हैं. 48 घंटे बाद अगले 10 विद्यार्थियों का नंबर आता है. इसी क्रम में भूख हड़ताल पर बैठी एमबीबीएस छात्रा राशि की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद एंबुलेंस के जरिए उसे तुरंत पीजीआईएमएस की इमरजेंसी में इलाज के लिए ले जाया गया. सीनियर डॉक्टर उसकी हालत पर नजर रखे हुए हैं.

एमबीबीएस विद्यार्थियों का नेतृत्व कर रहे पंकज बिट्टू व प्रिया कौशिक ने कहा कि इस आंदोलन में शामिल सभी छात्र व छात्राओं का एक ही मत है कि सरकार इस बांड पॉलिसी को पूर्ण रूप से वापस ले. यह पॉलिसी किसी भी सूरत में एमबीबीएस विद्यार्थियों के हित में नहीं है. इस पॉलिसी से उनके परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जान बूझकर इस पॉलिसी को एमबीबीएस विद्यार्थियों पर लाद रहे हैं. इस पॉलिसी को लागू करने से पहले किसी भी वर्ग की सलाह नहीं ली गई. आंदोलनकारियों ने कहा कि अगर सरकार की मंशा ठीक होती तो यह आंदोलन इतना लंबा ही नहीं चलता. इस बांड पॉलिसी के जरिए सरकारी मेडिकल एजुकेशन को बर्बाद करने पर प्रदेश सरकार जुटी हुई है.

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बांड पॉलिसी के खिलाफ एक नवंबर से पीजीआईएमसस रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. इस दिन रोष मार्च निकाला गया था. फिर 2 नवंबर को पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर एमबीबीएस विद्यार्थी धरने पर बैठ गए थे. तब से लगातार धरना चल रहा है और रोजाना ही इस धरनास्थल पर विभिन्न संगठन पहुंचकर आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं.

रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी एमबीबीएस विद्यार्थियों का पुरजोर समर्थन करते हुए हड़ताल कर दी थी लेकिन 30 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चंडीगढ़ में मुलाकात के बाद हड़ताल खत्म कर दी थी. वे 2 दिसंबर से ओपीडी सेवाओं में काम पर लौट आए हैं. हालांकि रेजीडेंट डॉक्टर्स ने 19 नवंबर को एक घंटे, 21 नवंबर को 2 घंटे, 22 नवंबर को 3 घंटे और 23 नवंबर को 4 घंटे तक ओपीडी में हड़ताल की थी. 24 नवंबर से वे पूर्ण रूप से हड़ताल पर चले गए थे.

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