रोहतक: बॉन्ड पॉलिसी को लेकर एमबीबीएस छात्रों और रेजीडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बैठक (mbbs student meeting with manohar lal) की. मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बातचीत का न्योता दिया था. इससे पहले भी एमबीबीएस छात्रों और रेजीडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल (10 एमबीबीएस और 4 रेजीडेंट डॉक्टर्स) की सरकार के अधिकारियों से दो दौर की बैठक हो चुकी है.
ये दोनों बैठक बेनतीजा रहीं. अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ तीसरे दौर की बैठक हुई. पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक डॉक्टर एसएस लोहचब ने पत्र जारी कर सीएम से मुलाकात के बारे में सूचित किया था. इससे पहले एमबीबीएस विद्यार्थियों और रेजीडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल की चंडीगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ दो दौर की वार्ता हो चुकी है. पहली वार्ता 25 नवंबर और दूसरी वार्ता 27 नवंबर को हुई थी.
जिसमें आंदोलनकारियों ने तमाम बिंदू अधिकारियों के सामने रखे, लेकिन किसी भी बिंदू का कोई हल नहीं निकला. इसलिए बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ अभी भी छात्रों का आंदोलन लगातार जारी है. मंगलवार को इस आंदोलन को 29 दिन हो गए हैं. बता दें कि 1 नवंबर को रोष मार्च के साथ आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से डीन और डायरेक्टर ऑफिस के सामने छात्रों का धरना (mbbs students protest in rohtak) चल रहा है.
पीजीआईएमएस में धरनास्थल पर बैठे विद्यार्थियों को रोजाना विभिन्न संगठनों का समर्थन मिल रहा है. एमबीबीएस विद्यार्थियों के इस आंदोलन में पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हो चुके हैं. रेजीडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार कर रखा है. एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में जिला बार एसोसिएशन भी आ गई है. एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को प्रधान लोकेंद्र फोगाट की अगुवाई में पीजीआईएमएस में धरनास्थल पर पहुंचे और बॉन्ड पॉलिसी का खुलकर विरोध किया.
उन्होंने 11 हजार रुपये की सहयोग राशि भी आंदोलनकारियों को दी. इस दौरान पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व सदस्य भगत सिंह मलिक ने आश्वासन दिया कि भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता की जरूरत पड़ी तो वो भी उपलब्ध कराई जाएगी. धरने पर बैठने के बाद वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल पीजीआईएमएस निदेशक डॉक्टर एसएस लोहचब से भी मुलाकात करने के लिए गया. प्रधान फोगाट के मुताबिक निदेशक ने बार एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल के साथ सही व्यवहार नहीं किया. इसलिए निदेशक के व्यवहार की कड़ी शब्दों में निंदा की गई. आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन ने भी विभिन्न कॉलेजों में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध किया.
क्या है बॉन्ड पॉलिसी? दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपये का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.
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एमबीबीएस छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं? MBBS छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले कर्ज में डूब जायेंगे. उन पर बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. छात्र हर साल 10 लाख रुपये कहां से लायेगा. हरियाणा के विपक्षी दल भी सरकार की इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.