रोहतक: प्रदेश भर के स्थानीय कर्मचारियों ने हरियाणा सरकार को मांगों को मानने के लिए एक अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया गया है. जिसके जरिए 29 अक्टूबर 2022 को हुए समझौते में मानी गई मांगों का पत्र जारी किए जाने की मांग की गई है. रविवार को यहां हुए नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में प्रदेशाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने सीधे तौर पर सरकार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अगर एक अप्रैल तक सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 2 अप्रैल से हड़ताल का ऐलान कर दिया जाएगा.
सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि 14 मार्च को अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर होने वाले संसद मार्च में भी कर्मचारी बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे. फिर 15 मार्च 25 मार्च तक सरकार की पोल खोल अभियान चलाया जाएगा. 27 मार्च से 4 अप्रैल तक नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम व अग्निशमन केंद्रों पर क्रमिक भूख हड़ताल की जाएगी. नरेश कुमार शास्त्री ने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया.
गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में मांगों को लेकर 11 दिन तक हड़ताल की गई थी. जिसके बाद 29 अक्टूबर को सरकार के साथ कुछ मांगों पर सहमति बनी थी. वहीं, सरकार ने मांगों को लेकर पत्र भी जारी कर दिए थे. लेकिन अब तक इन मांगों को लागू नहीं किया गया है. जिससे स्थानीय निकाय कर्मचारियों में रोष है. कर्मचारियों की प्रमुख मांग है, कि सफाई कर्मचारियों, सीवर मैन व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ठेके के बजाय नियमित भर्ती की जाए. कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए और वेतन में भी वृद्धि की जाए.
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कोरोना महामारी के दौरान मरने वाले कर्मचारियों के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए. अपनी मांगों को लेकर 12 फरवरी को कर्मचारियों ने करनाल में सीएम आवास का घेराव भी किया था. तब 15 दिन के अंदर सीएम मनोहर लाल से बातचीत कराने का अधिकारियों ने आश्वासन दिया था. लेकिन आज तक बैठक के लिए कोई बुलावा नहीं आया है और न ही कोई मांग मानी गई है. नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम को बंद करने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि सरकार 25 हजार सफाई कर्मचारियों और 5 हजार सीवरमैनों के नए पद सृजित कर नियमित भर्ती करे.
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