रोहतक: जिला रोहतक के गांव कारौर में किसान परिवार में जन्मे 28 वर्षीय भारतीय पहलवान सुमित मलिक ने ओलंपिक में अपनी जगह पक्की कर ली है. पहलवान सुमित मलिक ने विश्व ओलंपिक गेम्स क्वालीफाईंग टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने के साथ ही पुरुष 125 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल कर लिया है.
सुमित ने वेनेजुएला के डेनियल डियाज को 5-0 से हराया और खिताबी मुकाबले में उनका सामना रूस के सरगेई कोजिरेव से होगा. इस टूर्नामेंट में हर भारवर्ग के फाइनल में पहुंचने वाले पहलवान को टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल होगा.
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बता दें कि साल 2018 में सुमित कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. हरियाणा सरकार की ओर से सुमित को खेल विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद का ऑफर दे रखा है, जिसे सुमित ने स्वीकार कर लिया है.
चोट के बावजूद जगह की पक्की
कुश्ती टीम के चीफ कोच और सुमित मलिक के मामा नरेंद्र ने बताया कि मार्च में प्रैक्टिस के समय सुमित के दाहिने पैर पर चोट लग गई, डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दी. सुमित ने मामा नरेंद्र, सुशील पहलवान से सलाह ली और चोटिल हालत में ट्रायल में हुआ और प्रैक्टिस करते हुए बुल्गारिया ओलिंपिक कोटा हासिल किया.
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एक माह की उम्र में मां का हो गया था निधन
सुमित के मामा नरेंद्र ने बताया कि सुमित महज एक माह का था जब उसकी मां का निधन हो गया. पिता किताब सिंह किसान थे. 25 साल पहले गांव में आए दिन अपराध होते रहते थे. सुमित की बेहतर परवरिश के लिए वो उसे ननिहाल में ले आए. यहीं पर नानी और मामा नरेंद्र ने उसकी पढ़ाई करवाई और खेल का अभ्यास किया.