रोहतक: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरपंचों के आंदोलन को देखते हुए कुछ घोषणाएं की, जिसमें सरपंच द्वारा विकास के कार्यों पर खर्च करने का दायरा दो लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया. इसके अलावा सीएम ने एक सरपंच का मानदेय भी ₹5000 कर दिया है. लेकिन, हरियाणा सरकार के इस फैसले से सरपंच संतुष्ट नहीं हैं और अपना आंदोलन ज्यों का त्यों बरकरार रखते हुए 17 तारीख को विधानसभा का घेराव करने के लिए जाएंगे. सरपंचों का कहना है कि यह उनके आंदोलन को तोड़ने की एक साजिश है.
हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के महासचिव विकास खत्री ने कहा कि जो सरपंचों ने 17 तारीख को विधानसभा घेराव करने का फैसला लिया था, हरियाणा सरकार उसी के दबाव में नजर आ रही है और आज मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है वह कोई नई नहीं है. 9 तारीख को ही मुख्यमंत्री के साथ बैठक में यह सभी बातें हो चुकी थी और वहां पर भी सरपंचों ने असंतुष्टता जताई थी. अब हरियाणा सरकार सरपंचों के आंदोलन को तोड़ने का प्रयास कर रही है, जो किसी भी कीमत पर टूटने वाला नहीं है.
विकास खत्री ने कहा कि, सरपंच एसोसिएशन ने 50 लाख के तक के काम सरपंचों के द्वारा करने की मांग की थी, लेकिन सरकार केवल ₹500000 तक की घोषणा करके आंदोलन को तोड़ना चाहती है. यह फैसला 2 साल पुराना है और जहां तक ₹5000 मानदेय बढ़ाने की बात है, तो एक सरपंच का ₹5000 मानदेय से कैसे काम चल सकता है.
उन्होंने कहा कि हमें बरगलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन हम पढ़े-लिखे हैं. हम किसी के बहकावे में आने वाले नहीं हैं. हमें अपने पूरे अधिकार चाहिए और जब तक अधिकार नहीं मिलेंगे, आंदोलन इसी तरह से जारी रहेगा. अब 17 तारीख को ओर भी जोश के साथ विधानसभा का घेराव किया जाएगा. उन्होंने प्रदेश के सरपंचों से आह्वान किया है कि किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है, वह सभी विधानसभा के घेराव की तैयारियों में जुट जाएं.
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