रोहतक: प्रदेश के नंबरदारों की पदयात्रा शनिवार को रोहतक पहुंच गई. इस पदयात्रा में शामिल नंबरदारों ने मानसरोवर पार्क में जनसभा की और सरकार के प्रति रोष प्रकट किया. नंबरदार अपनी लंबित मांगों को लेकर पदयात्रा निकाल रहे हैं. नंबरदारों की प्रमुख मांग नए नंबरदारों की बंद की गई नियुक्ति को बहाल करने को लेकर है. इसके साथ ही नंबरदार मेडिकल चेकअप के दौरान बुजुर्ग नंबरदारों को नग्न किए जाने का भी विरोध कर रहे हैं. हर जिले में पदयात्रा के बाद चंडीगढ़ में महासम्मेलन किया जाएगा.
दरअसल, प्रदेश सरकार ने 23 नवंबर 2021 को एक पत्र जारी किया था. जिसमें नए नंबरदारों की नियुक्ति बंद कर दी गई और 60 साल से 75 साल के बुजुर्ग नंबरदारों का मेडिकल चेकअप अनिवार्य किया गया था. जबकि 75 साल से ज्यादा उम्र के नंबरदारों को हटा दिया गया लेकिन नंबरदारों का कहना है कि मेडिकल चेकअप नग्न करके किया जा रहा है, जो पूर्ण रूप से गलत है.
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ऐसे में नंबरदारों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा था. जिसमें मांग की गई कि नए नंबरदारों की नियुक्ति की जाए और मेडिकल चेकअप की प्रक्रिया को बदला जाए. हालांकि सरकार ने कह दिया कि मौजूदा समय में नंबरदारों की आवश्यकता ही नहीं है जिसके बाद पिछले साल 9 अप्रैल 2022 को कैथल में नंबरदार एसोसिएशन हरियाणा के बैनर तले प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाकर पदयात्रा शुरू करने का निर्णय लिया गया था.
एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष जिले सिंह ने बताया कि एक अप्रैल 2022 को कालका से पदयात्रा की शुरूआत की गई थी. जब यह पदयात्रा यमुनानगर में पहुंची तो सरकार ने नंबरदारों को मोबाइल फोन देने शुरू कर दिए और मेडिकल चेकअप भी बंद कर दिए गए. ऐसे में नंबरदारों ने सोचा कि सरकार ने उनकी मांग मान ली है और उन्होंने वहीं पर पदयात्रा समाप्त कर दी. इसके बावजूद सिरसा और हिसार में नंबरदारों को एक बार फिर नग्न कर मेडिकल चेकअप शुरू कर दिए गए.
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जिसके बाद दोबारा से पदयात्रा शुरू करने का निर्णय लिया गया और एक जनवरी को महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी से यात्रा की शुरूआत कर दी गई. अब यह यात्रा हर जिले से होती हुई चंडीगढ़ पहुंचेगी, जहां महासम्मेलन होगा. एसोसिएशन के प्रधान ने कहा कि उनकी मांग है कि प्रदेश सरकार 23 नवंबर 2021 को जारी किए गए पत्र को वापस ले, अन्यथा वे जेल भरो आंदोलन चलाएंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सरकार को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.