रोहतक: ये हैं अजीत नांदल जो भारतीय राष्ट्रीय टीम के पूर्व हॉकी खिलाड़ी हैं. अभी अजीत नांदल रोहतक के बोहर गांव में रह रहे हैं. अजीत ने युवा उम्र में ही पैसा और कामयाबी दोनों को हासिल किया. इतना सब कुछ पा लेने के बाद, शायद एक युवा आराम भरी जिंदगी चाहेगा, नाइट क्लब और मौज मस्ती में अपनी बाकी जिंदगी जीना चाहेगा या फिर दुनियाभर में सैर करना चाहेगा, लेकिन अजीत नांदल कुछ अगल हैं. खेलों को अलविदा कहने के बाद अजीत नांदल 23 बेटियों के पिता बन गए. नहीं-नहीं, जो आप सोच रहे हैं वैसा कुछ नहीं है. अजीत नांदल ने 23 बेटियों का पालन पोषण करने के लिए उन्हें को गोद लिया है.
पिता से मिली अचीत को प्रेरणा
वाकई अजीत नांदल जो काम कर रहे हैं, वो हटके भी है और लोगों के लिए प्रेरणादायक भी, लेकिन अजीत को इस काम की प्रेरणा कहां से मिली? खुद अजीत बताते हैं कि जब वो घर वापसी आए तभी से उनके दिल में कुछ अच्छा करने की ख्वाहिश थी, लेकिन क्या करना है ये नहीं जानते थे. उन्होंने अपने पिता से सलाह ली और तो उनके पिता ने आसपास के गांवों में रहने वाली गरीब बेटियों की मदद करने के लिए कहा. पिता से प्रेरणा लेकर अजीत नांदल ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 23 लड़कियों को गोद लिया.
हर बेटी को सफल बनाना चाहते हैं अजीत नांदल
अजीत नांदल का कहना है कि उनकी खुद की एक बेटी है इसलिए अब वह 23 बेटियों के पिता हैं. बेटियों को अच्छे मुकाम तक पहुंचाने के लिए मेहनत कर रहे हैं. सभी लड़कियां घुड़सवारी करती हैं, पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने फैसला किया है कि वो इन बेटियों को शीर्ष पर पहुंचा कर ही दम लेंगे. वहीं गोद ली हुई ये लड़कियां भी काफी उत्साहित हैं. बेटियों का कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी घुड़सवारी करेंगी, पोलो खेलेंगी, जिम जाएंगी और इतने अच्छे कपड़े पहनेंगी.
बेटियां और उनके अभिभावक भी हैं खुश
वहीं 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली सोनिया पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं, लेकिन परिवार की हालत इतनी खराब थी कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि वो 12वीं की पढ़ाई भी नहीं कर पाएंगी, लेकिन अब सोनिया अपने भविष्य को लेकर एक दम कॉन्फिडेंट है. अजीत नांदल के इस अतुल्नीय प्रयासों से इन बच्चियों के अभिभावक भी खुश हैं. वो अपनी बेटियों के सपने पूरे होते देख अजीत नांदल का शुक्रिया करते नहीं थकते.
समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं अजीत नांदल
अजीत नांदल आज जो कर रहे हैं, वो यकीनन काबिल-ए-तारीफ है, आज भी छोटी कुछ सोच वाले लोग बेटियों को अभिषाप समझता है, बेटियों की भ्रुण में भी हत्या कर दी जाती है, वहीं अजीत नांदल जैसे लोग पूरे समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जिन्होंने सिर्फ 23 बेटियों के पालन पोषण और पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी ली है, वहीं इन बेटियों की बेहतर मार्गदर्शन में उनके सपने पूरे करने की कोशिश भी कर रहे हैं.
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