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तीनों भारतीय सेनाओं में 1 लाख 35 हजार से ज्यादा पद खाली, दीपेंद्र हुड्डा ने भर्ती को लेकर सरकार से मांगा जवाब

भारतीय सेना में नई भर्ती (recruitment in indian army) नहीं निकलने के चलते कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से जवाब मांगा है. दीपेंद्र ने कहा है कि जब तीनों सेनाओं में पद ही खाली पड़े हैं, तो देश की सुरक्षा मजबूत कैसे होगी?

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Published : May 9, 2022, 8:07 PM IST

deepender hooda rajya sabha mp congress
deepender hooda rajya sabha mp congress

रोहतक: कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (deepender hooda rajya sabha mp congress) ने पिछले 3 साल से सेना भर्ती (deepender hooda on army recruitment) नहीं होने की जवह से केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. जिस पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने माना है कि सेना में गैर अधिकारी वर्ग के 8 हजार 139 पद और जेसीओ, ओआर के एक लाख 8 हजार 685 पद खाली हैं. नौ सेना में अधिकारी वर्ग के एक हजार 557 और नौसैनिक के 11 हजार 709 पद खाली हैं.

वहीं, वायु सेना में अधिकारी वर्ग के 571 और वायु सैनिकों के 4 हजार 970 पद खाली पड़े हैं. कुल मिलाकर तीनों भारतीय सेनाओं (थल सेना, जल सेना, वायु सेना) में 1 लाख 35 हजार 631 पद खाली हैं. इसपर सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जब तीनों सेनाओं में पद ही खाली पड़े हैं, तो देश की सुरक्षा मजबूत कैसे होगी. सेना में भर्ती (recruitment in indian army) खुलने से ना केवल बेरोजगारी दूर होगी, बल्कि इससे राष्ट्र की सुरक्षा भी मजबूत होगी.

दीपेंद्र ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के मामले में सरकार को खजाने की ओर नहीं देखना चाहिए. सरकार अगर ये सोचती है कि भर्ती नहीं होगी और वेतन नहीं देना पड़ेगा तो ये सोच गलत है. उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत सेना भर्ती शुरू करे और सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं को आयु सीमा में 3 साल की छूट, अतिरिक्त प्रयासों की अनुमति समेत उनकी सभी जायज मांगें स्वीकार करें. उन्होंने सरकार को चेताया कि अगर युवाओं की मांगें नहीं मानी गई तो कांग्रेस पार्टी सड़क से संसद तक उनके हकों की लड़ाई लड़ेगी.

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के गांव-गांव में किसी भी समय देखा जा सकता है कि युवा सेना भर्ती की तैयारी के लिए दौड़ लगा रहे हैं. दीपेंद्र ने कहा कि इन युवाओं का एक ही सपना है कि भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना. फौज में भर्ती होने के लिए प्रदेश के युवा दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मेहनत और देश सेवा की भावना की उपेक्षा कर रही है. 1962 की लड़ाई हो या 1965 की, 1971 की हो या करगिल की हर युद्ध, हर बार हरियाणा के सैनिकों ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले ही सर्वाधिक बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं की फौज में भर्ती की उम्र भी निकलती जा रही है.

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रोहतक: कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (deepender hooda rajya sabha mp congress) ने पिछले 3 साल से सेना भर्ती (deepender hooda on army recruitment) नहीं होने की जवह से केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. जिस पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने माना है कि सेना में गैर अधिकारी वर्ग के 8 हजार 139 पद और जेसीओ, ओआर के एक लाख 8 हजार 685 पद खाली हैं. नौ सेना में अधिकारी वर्ग के एक हजार 557 और नौसैनिक के 11 हजार 709 पद खाली हैं.

वहीं, वायु सेना में अधिकारी वर्ग के 571 और वायु सैनिकों के 4 हजार 970 पद खाली पड़े हैं. कुल मिलाकर तीनों भारतीय सेनाओं (थल सेना, जल सेना, वायु सेना) में 1 लाख 35 हजार 631 पद खाली हैं. इसपर सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जब तीनों सेनाओं में पद ही खाली पड़े हैं, तो देश की सुरक्षा मजबूत कैसे होगी. सेना में भर्ती (recruitment in indian army) खुलने से ना केवल बेरोजगारी दूर होगी, बल्कि इससे राष्ट्र की सुरक्षा भी मजबूत होगी.

दीपेंद्र ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के मामले में सरकार को खजाने की ओर नहीं देखना चाहिए. सरकार अगर ये सोचती है कि भर्ती नहीं होगी और वेतन नहीं देना पड़ेगा तो ये सोच गलत है. उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत सेना भर्ती शुरू करे और सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं को आयु सीमा में 3 साल की छूट, अतिरिक्त प्रयासों की अनुमति समेत उनकी सभी जायज मांगें स्वीकार करें. उन्होंने सरकार को चेताया कि अगर युवाओं की मांगें नहीं मानी गई तो कांग्रेस पार्टी सड़क से संसद तक उनके हकों की लड़ाई लड़ेगी.

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के गांव-गांव में किसी भी समय देखा जा सकता है कि युवा सेना भर्ती की तैयारी के लिए दौड़ लगा रहे हैं. दीपेंद्र ने कहा कि इन युवाओं का एक ही सपना है कि भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना. फौज में भर्ती होने के लिए प्रदेश के युवा दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मेहनत और देश सेवा की भावना की उपेक्षा कर रही है. 1962 की लड़ाई हो या 1965 की, 1971 की हो या करगिल की हर युद्ध, हर बार हरियाणा के सैनिकों ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले ही सर्वाधिक बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं की फौज में भर्ती की उम्र भी निकलती जा रही है.

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