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रावण पर भारी पड़ा कोरोना ! पुतले बनाने वालों में छाई है मायूसी, देखिए ये रिपोर्ट

कोरोना ने सबकी जिंदगी में भूचाल ला दिया है. इससे छोटे-बड़े सब कारोबारी प्रभावित हुए हैं. रोहतक में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर भी इससे अछूते नहीं बचे. जब ये कारीगर रो-रोकर दुख बयां करते हैं तो दिल बैठ जाता है.

corona effect on ravan's statue maker in rohtak
रावण के पुतले बनाने वालों पर भारी पड़ा कोरोना, ईटीवी भारत से बात करते हुए रो पड़े राजू रावण
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Published : Sep 23, 2020, 10:03 PM IST

रोहतक: पीढ़ी दर पीढ़ी रावण के पुतले बनाते-बनाते रावण नाम से मशहूर राजू रावण ने कभी सोचा नहीं होगा कि उनको ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा. जब वो निवाले के लिए मोहताज हो जाएंगे. उनका रोजगार छिन जाएगा. वो रावण भी नहीं बना पाएंगे, लेकिन उनके साथ ऐसा हो रहा है. इस समय चल रहे कोरोना ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है. उनमें से एक रोहतक के राजू रावण हैं. वैसे तो उनका नाम राजकुमार है, लेकिन लोग उनको राजू रावण के नाम से जानते हैं.

राजू रावण ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि वो हर साल 40 से 50 रावण के पुतले बनाते थे, लेकिन इस बार उनके पास एक भी ऑर्डर नहीं है. जिसकी वजह से वो बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कई पीढियां रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाती आ रही हैं. राजू हरियाणा ही नहीं देश के कई राज्यों के लिए पुतले बनाने का काम करते हैं.

रावण के पुतले बनाने वालों पर भारी पड़ा कोरोना, ईटीवी भारत से बात करते हुए रो पड़े राजू रावण

राजू रावण ने बताया कि इस बार रावण ना बनने के कारण उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास रावण के अलावा रोजी रोटी का कोई दूसरा जरिया नहीं है. मेले में भीड़ ना हो इसके चलते किसी ने रावण बनाने का ऑर्डर नहीं दिया. जिस कारण वो घर पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब ऑर्डर नहीं होगा तो वो अपने परिवार के पेट कैसे पालेंगे?

ये भी पढे़ं:-पार्कों में अतिक्रमण से परेशान शहरवासी, अधिकारियों का दावा- जल्द करेंगे समाधान

साथ ही राजू ने बताया कि वो करीब 40 सालों से रावण बना रहे हैं, लेकिन आज तक उन्होंने रावण दहन नहीं देखा. ये कहते-कहते राजू की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने कहा कि वो रावण की पूजा करते हैं. जिस वजह से वो उसे जलता नहीं देख सकते. वहीं दूसरे कारीगर किशन का कहना है कि कोरोना से उनका रोजगार छिन गया है. घर में खाने के लाले पड़ गए हैं. अब ऐसे में क्या करें समझ नहीं आ रहा.

कोरोना महामारी के कारण आज लगभग हर वर्ग आर्थिक तंगी झेल रहा है. वहीं अब पुतले बनाने वाले कारीगर भी इसकी जद में आ गए हैं. लोगों के घर में खाने के भी लाले पड़े हैं. ऐसे में अब ये लोग सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कोई मदद मिल जाए.

रोहतक: पीढ़ी दर पीढ़ी रावण के पुतले बनाते-बनाते रावण नाम से मशहूर राजू रावण ने कभी सोचा नहीं होगा कि उनको ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा. जब वो निवाले के लिए मोहताज हो जाएंगे. उनका रोजगार छिन जाएगा. वो रावण भी नहीं बना पाएंगे, लेकिन उनके साथ ऐसा हो रहा है. इस समय चल रहे कोरोना ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है. उनमें से एक रोहतक के राजू रावण हैं. वैसे तो उनका नाम राजकुमार है, लेकिन लोग उनको राजू रावण के नाम से जानते हैं.

राजू रावण ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि वो हर साल 40 से 50 रावण के पुतले बनाते थे, लेकिन इस बार उनके पास एक भी ऑर्डर नहीं है. जिसकी वजह से वो बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कई पीढियां रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाती आ रही हैं. राजू हरियाणा ही नहीं देश के कई राज्यों के लिए पुतले बनाने का काम करते हैं.

रावण के पुतले बनाने वालों पर भारी पड़ा कोरोना, ईटीवी भारत से बात करते हुए रो पड़े राजू रावण

राजू रावण ने बताया कि इस बार रावण ना बनने के कारण उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास रावण के अलावा रोजी रोटी का कोई दूसरा जरिया नहीं है. मेले में भीड़ ना हो इसके चलते किसी ने रावण बनाने का ऑर्डर नहीं दिया. जिस कारण वो घर पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब ऑर्डर नहीं होगा तो वो अपने परिवार के पेट कैसे पालेंगे?

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साथ ही राजू ने बताया कि वो करीब 40 सालों से रावण बना रहे हैं, लेकिन आज तक उन्होंने रावण दहन नहीं देखा. ये कहते-कहते राजू की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने कहा कि वो रावण की पूजा करते हैं. जिस वजह से वो उसे जलता नहीं देख सकते. वहीं दूसरे कारीगर किशन का कहना है कि कोरोना से उनका रोजगार छिन गया है. घर में खाने के लाले पड़ गए हैं. अब ऐसे में क्या करें समझ नहीं आ रहा.

कोरोना महामारी के कारण आज लगभग हर वर्ग आर्थिक तंगी झेल रहा है. वहीं अब पुतले बनाने वाले कारीगर भी इसकी जद में आ गए हैं. लोगों के घर में खाने के भी लाले पड़े हैं. ऐसे में अब ये लोग सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कोई मदद मिल जाए.

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