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बॉन्ड पॉलिसी विवाद: MBBS छात्रों ने नकारी संशोधित अधिसूचना, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे छात्र

रोहतक में बॉन्ड पॉलिसी (bond policy haryana) का विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्रों ने सरकार की संशोधित अधिसूचना को नकार दिया है. प्रदर्शनकारी छात्रों का नेतृत्व कर रहे 10 एमबीबीएस छात्र शुक्रवार शाम से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.

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Bond Policy Haryana: बॉन्ड पॉलिसी विवाद: एमबीबीएस छात्रों ने नकारी संशोधित अधिसूचना, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे 10 छात्र
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Published : Dec 23, 2022, 7:02 PM IST

रोहतक: पीजीआईएमएस में एमबीबीएस छात्रों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन (MBBS Students Strike Continue in rohtak) जारी रखने का ऐलान किया है. एमबीबीएस छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी की संशोधित अधिसूचना को भी नकार दिया है. विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे 10 एमबीबीएस छात्रों ने शुक्रवार शाम से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल (MBBS Students Strike) शुरू कर दी है. आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार जनहित और छात्रों के हित में कोई फैसला नहीं लेती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 2 दिन पहले ही बॉन्ड पॉलिसी को लेकर संशोधित अधिसूचना जारी की है. एमबीबीएस छात्रों और सरकार के बीच 30 नवंबर को हुई वार्ता के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसका ऐलान किया था. इस अधिसूचना का पिछले 2 दिनों से एमबीबीएस छात्र अध्ययन कर रहे थे. जिसके बाद इसे नकारते हुए आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया गया. एमबीबीएस छात्र पंकज बिट्टू व प्रिया कौशिक ने कहा कि 5 नवंबर को आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के बारे में सरकार ने कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है. वहीं, आंदोलन की वजह से हो रहे शैक्षणिक नुकसान की भरपाई का भी कोई जिक्र नहीं है.

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एमबीबीएस छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी की संशोधित अधिसूचना को भी नकार दिया है.

आंदोलन की टाइम लाइन: बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ (bond policy dispute) पीजीआईएमएस के एमबीबीएस छात्रों का आंदोलन एक नवंबर से शुरू हुआ था. 2 नवंबर से विद्यार्थियों ने डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरने की शुरूआत की थी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पीजीआईएमएस में आने से पहले 4 नवंबर की रात को कार्यक्रम स्थल के बाहर धरना दिया था. पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों को जबरन हिरासत में ले लिया था. जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. अगले दिन मुख्यमंत्री से आंदोलनकारियों की मुलाकात भी कराई गई, लेकिन मुख्यमंत्री ने बॉन्ड पॉलिसी वापस लेने से इंकार कर दिया.

पढ़ें: बॉन्ड पॉलिसी पर हरियाणा विधानसभा में लाएंगे काम रोको प्रस्ताव, सड़क से संसद तक गूंजेगी छात्रों की आवाज- दीपेंद्र

इस आंदोलन का विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने समर्थन किया है. आंदोलन में पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हुए और ओपीडी का भी बहिष्कार किया गया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर एमबीबीएस छात्रों की हौसला अफजाई की. 24 नवंबर से एमबीबीएस विद्यार्थी भी क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से 2 दौर की वार्ता हुई, लेकिन बात नहीं बनी.

पढ़ें: बॉन्ड पॉलिसी विवाद: वार्षिक परीक्षाओं का ​बहिष्कार करेंगे एमबीबीएस विद्यार्थी

फिर 30 नवंबर को मुख्यमंत्री के साथ एमबीबीएस छात्रों व रेजिडेंट डॉक्टर्स ने चंडीगढ़ में कई घंटे तक चर्चा की गई. मुख्यमंत्री ने बॉन्ड राशि 40 लाख रुपए की बजाय 30 लाख रुपए और समय सीमा 7 साल की बजाय 5 साल करने की घोषणा की है. एमबीबीएस छात्रों ने उस समय इस प्रस्ताव को नकार दिया और आंदोलन जारी रखा. रेजीडेंट डॉक्टर्स 2 दिसंबर से काम पर लौट आए. एमबीबीएस छात्र 30 नवंबर के बाद से ही बॉन्ड पॉलिसी को लेकर संशोधित अधिसूचना का इंतजार कर रहे थे.

रोहतक: पीजीआईएमएस में एमबीबीएस छात्रों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन (MBBS Students Strike Continue in rohtak) जारी रखने का ऐलान किया है. एमबीबीएस छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी की संशोधित अधिसूचना को भी नकार दिया है. विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे 10 एमबीबीएस छात्रों ने शुक्रवार शाम से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल (MBBS Students Strike) शुरू कर दी है. आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार जनहित और छात्रों के हित में कोई फैसला नहीं लेती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 2 दिन पहले ही बॉन्ड पॉलिसी को लेकर संशोधित अधिसूचना जारी की है. एमबीबीएस छात्रों और सरकार के बीच 30 नवंबर को हुई वार्ता के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसका ऐलान किया था. इस अधिसूचना का पिछले 2 दिनों से एमबीबीएस छात्र अध्ययन कर रहे थे. जिसके बाद इसे नकारते हुए आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया गया. एमबीबीएस छात्र पंकज बिट्टू व प्रिया कौशिक ने कहा कि 5 नवंबर को आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के बारे में सरकार ने कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है. वहीं, आंदोलन की वजह से हो रहे शैक्षणिक नुकसान की भरपाई का भी कोई जिक्र नहीं है.

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एमबीबीएस छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी की संशोधित अधिसूचना को भी नकार दिया है.

आंदोलन की टाइम लाइन: बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ (bond policy dispute) पीजीआईएमएस के एमबीबीएस छात्रों का आंदोलन एक नवंबर से शुरू हुआ था. 2 नवंबर से विद्यार्थियों ने डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरने की शुरूआत की थी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पीजीआईएमएस में आने से पहले 4 नवंबर की रात को कार्यक्रम स्थल के बाहर धरना दिया था. पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों को जबरन हिरासत में ले लिया था. जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. अगले दिन मुख्यमंत्री से आंदोलनकारियों की मुलाकात भी कराई गई, लेकिन मुख्यमंत्री ने बॉन्ड पॉलिसी वापस लेने से इंकार कर दिया.

पढ़ें: बॉन्ड पॉलिसी पर हरियाणा विधानसभा में लाएंगे काम रोको प्रस्ताव, सड़क से संसद तक गूंजेगी छात्रों की आवाज- दीपेंद्र

इस आंदोलन का विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने समर्थन किया है. आंदोलन में पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हुए और ओपीडी का भी बहिष्कार किया गया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर एमबीबीएस छात्रों की हौसला अफजाई की. 24 नवंबर से एमबीबीएस विद्यार्थी भी क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से 2 दौर की वार्ता हुई, लेकिन बात नहीं बनी.

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फिर 30 नवंबर को मुख्यमंत्री के साथ एमबीबीएस छात्रों व रेजिडेंट डॉक्टर्स ने चंडीगढ़ में कई घंटे तक चर्चा की गई. मुख्यमंत्री ने बॉन्ड राशि 40 लाख रुपए की बजाय 30 लाख रुपए और समय सीमा 7 साल की बजाय 5 साल करने की घोषणा की है. एमबीबीएस छात्रों ने उस समय इस प्रस्ताव को नकार दिया और आंदोलन जारी रखा. रेजीडेंट डॉक्टर्स 2 दिसंबर से काम पर लौट आए. एमबीबीएस छात्र 30 नवंबर के बाद से ही बॉन्ड पॉलिसी को लेकर संशोधित अधिसूचना का इंतजार कर रहे थे.

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