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हरियाणा में भी गरमाने लगा जातिगत जनगणना का मामला, पिछड़ा वर्ग संगठन सभी जिलों में निकालेंगे पदयात्रा

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Published : Apr 3, 2023, 7:16 AM IST

जातिगत जनगणना का मामला अब हरियाणा (Caste Census in Haryana) में भी गरमाने लगा है. कई विपक्षी दलों के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी इसकी मांग करने लगे हैं. पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा अब प्रदेश के सभी जिलों जातिवार जनगणना की मांग को लेकर पदयात्रा निकालने की तैयारी कर रही है.

Backward Classes Welfare Mahasabha Haryana
हरियाणा में जातिगत जनगणना

रोहतक: पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा, पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण और जातिवार जनगणना की मांग को लेकर प्रदेश भर में पद यात्रा निकालेगी. यह निर्णय रविवार को हुई महासभा की राज्य स्तरीय बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता महासभा के प्रदेशाध्यक्ष आरसी लिंबा ने की. बैठक में तय हुआ कि आगामी 2 माह में प्रत्येक जिले में पिछड़ा वर्ग की महापंचायत होगी. नारनौल से चंडीगढ़ और सिरसा से चंडीगढ़ तक पदयात्रा की जाएगी. जून माह में राज्य स्तरीय रैली होगी. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों व हितों के प्रति समाज को जागरूक करना रहा.

महासभा के मुख्य संरक्षक शांता कुमार आर्य ने बताया कि वर्ष 1995 में हरियाणा में मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू हुई थी. उसी समय से पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ए और ब्लॉक बी को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में क्रमशः 16 प्रतिशत व 11 प्रतिशत की दर से आरक्षण लागू है. लेकिन प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में दोनों ब्लॉकों को संयुक्त रूप से 27 प्रतिशत के स्थान पर सिर्फ 10 प्रतिशत आरक्षण वर्ष 2014 तक दिया गया. वर्ष 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में ब्लॉक ए को 10 प्रतिशत व ब्लॉक बी को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था, जो अभी भी अधूरा है. जिससे पिछड़ा वर्ग को भारी नुकसान हो रहा है.

रेवाड़ी से आए पिछड़ा वर्ग के नेता आरसी जांगड़ा ने पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ए का आरक्षण 8 प्रतिशत है जबकि हरियाणा में जनसंख्या 32 प्रतिशत है. यह आरक्षण जनसंख्या के हिसाब से होना चाहिए. इसी प्रकार शहरी स्थानीय निकाय में भी 27 प्रतिशत आरक्षण लागू होना चाहिए. जिला परिषद के अध्यक्ष और नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में भी आरक्षण लागू हो.

ये भी पढ़ें- जातिगत जनगणना क्यों नहीं चाहती सरकार, जबकि कई दल इसकी मांग कर रहे हैं

भिवानी के पिछड़ा वर्ग के नेता गणेशी लाल वर्मा ने जातिवार आधार पर जनगणना की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि जब देश में जानवरों की गिनती हो सकती है तो पिछड़ा वर्ग की जातिवार जनगणना क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए और हरियाणा सरकार को भी बिहार प्रांत की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग की जाति आधारित जनगणना करवानी चाहिए. पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के महासचिव इंद्र सिंह जाजनवाला ने इस बात पर चिंता जताई कि हरियाणा के सभी विश्वविद्यालयों व कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों में पिछड़ा वर्ग की संख्या बहुत ही कम है.

महासभा के अध्यक्ष आरसी लिंबा ने कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण संबंधी क्रीमी लेयर के निर्धारण की 17 नवंबर 2021 को जारी अधिसूचना को पूर्ण रूप से गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया. उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा व यादव कल्याण सभा की ओर से याचिका दायर की गई है. इस कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.

2011 में कांग्रेस सरकार के दौरान जातिवार जनगणना कराई गई थी लेकिन जाति के आंकड़ों को छोड़कर सोशियो इनोनॉमिक कास्ट सेंसस के सभी आंकड़े जारी कर दिये. भारत की कई विपक्षी पार्टियां जातिवार जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग करती रही हैं. अब ये बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है. बिहार की जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार अपने स्तर पर जातिवार जनगणना करा रही है. केंद्र की बीजेपी सरकार का कहना है कि मौजूदा जनगणना में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति को ही शामिल किया गया है. इसमें ओबीसी की गणना शामिल नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- बिहार में जातीय जनगणना शुरू, दो चरण में होगा सर्वे का काम

रोहतक: पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा, पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण और जातिवार जनगणना की मांग को लेकर प्रदेश भर में पद यात्रा निकालेगी. यह निर्णय रविवार को हुई महासभा की राज्य स्तरीय बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता महासभा के प्रदेशाध्यक्ष आरसी लिंबा ने की. बैठक में तय हुआ कि आगामी 2 माह में प्रत्येक जिले में पिछड़ा वर्ग की महापंचायत होगी. नारनौल से चंडीगढ़ और सिरसा से चंडीगढ़ तक पदयात्रा की जाएगी. जून माह में राज्य स्तरीय रैली होगी. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों व हितों के प्रति समाज को जागरूक करना रहा.

महासभा के मुख्य संरक्षक शांता कुमार आर्य ने बताया कि वर्ष 1995 में हरियाणा में मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू हुई थी. उसी समय से पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ए और ब्लॉक बी को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में क्रमशः 16 प्रतिशत व 11 प्रतिशत की दर से आरक्षण लागू है. लेकिन प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में दोनों ब्लॉकों को संयुक्त रूप से 27 प्रतिशत के स्थान पर सिर्फ 10 प्रतिशत आरक्षण वर्ष 2014 तक दिया गया. वर्ष 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में ब्लॉक ए को 10 प्रतिशत व ब्लॉक बी को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था, जो अभी भी अधूरा है. जिससे पिछड़ा वर्ग को भारी नुकसान हो रहा है.

रेवाड़ी से आए पिछड़ा वर्ग के नेता आरसी जांगड़ा ने पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लॉक ए का आरक्षण 8 प्रतिशत है जबकि हरियाणा में जनसंख्या 32 प्रतिशत है. यह आरक्षण जनसंख्या के हिसाब से होना चाहिए. इसी प्रकार शहरी स्थानीय निकाय में भी 27 प्रतिशत आरक्षण लागू होना चाहिए. जिला परिषद के अध्यक्ष और नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में भी आरक्षण लागू हो.

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भिवानी के पिछड़ा वर्ग के नेता गणेशी लाल वर्मा ने जातिवार आधार पर जनगणना की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि जब देश में जानवरों की गिनती हो सकती है तो पिछड़ा वर्ग की जातिवार जनगणना क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए और हरियाणा सरकार को भी बिहार प्रांत की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग की जाति आधारित जनगणना करवानी चाहिए. पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के महासचिव इंद्र सिंह जाजनवाला ने इस बात पर चिंता जताई कि हरियाणा के सभी विश्वविद्यालयों व कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों में पिछड़ा वर्ग की संख्या बहुत ही कम है.

महासभा के अध्यक्ष आरसी लिंबा ने कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण संबंधी क्रीमी लेयर के निर्धारण की 17 नवंबर 2021 को जारी अधिसूचना को पूर्ण रूप से गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया. उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा व यादव कल्याण सभा की ओर से याचिका दायर की गई है. इस कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.

2011 में कांग्रेस सरकार के दौरान जातिवार जनगणना कराई गई थी लेकिन जाति के आंकड़ों को छोड़कर सोशियो इनोनॉमिक कास्ट सेंसस के सभी आंकड़े जारी कर दिये. भारत की कई विपक्षी पार्टियां जातिवार जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग करती रही हैं. अब ये बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है. बिहार की जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार अपने स्तर पर जातिवार जनगणना करा रही है. केंद्र की बीजेपी सरकार का कहना है कि मौजूदा जनगणना में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति को ही शामिल किया गया है. इसमें ओबीसी की गणना शामिल नहीं हैं.

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