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रेवाड़ी: भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह आंदोलन - रेवाड़ी सत्याग्रह आंदोलन

रेवाड़ी में भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ के अवसर पर सत्याग्रह आंदोलन कर सरकार से श्रमिक विरोधी कानून को वापस लेने की मांग की गई.

Workers protest in Rewari on 78th anniversary of Quit India Movement
भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह आंदोलन
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Published : Aug 9, 2020, 4:02 PM IST

रेवाड़ी: जिले में भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ के अवसर पर सत्याग्रह आंदोलन किया गया. प्रदेश के 10 बड़े संगठनों ने इस सत्याग्रह आंदोलन में हिस्सा लिया. सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व कामरेड राजेंद्र सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से श्रमिक विरोधी कानून को वापस लेने की मांग की. इस दौरान विरोध प्रदर्शन करते हुए सत्याग्रह की प्रतियां भी जलाई गई और साथ ही जेल भरो आंदोलन किया गया.

भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह आंदोलन

राजेंद्र सिंह ने कहा कि 4 जून को किसान विरोधी कानून पास किया गया. उसके विरोध में आज 200 से ज्यादा जिले के किसानों ने आंदोलन में भाग लेकर विरोध जताया है. आंदोलनकारियों ने कहा कि देश की सरकार पूंजीपतियों की हितेषी है जो मजदूरों के हितों की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की बात करती है. आज सरकार श्रमिकों के हकों पर कुठाराघात कर उन्हें नुकशान पहुंचा रही है. जिसको ट्रेड यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में लगातार सुधर रहा है रिकवरी रेट, हॉट स्पॉट जिलों में 90 फीसदी मरीज हुए स्वस्थ

रेवाड़ी: जिले में भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ के अवसर पर सत्याग्रह आंदोलन किया गया. प्रदेश के 10 बड़े संगठनों ने इस सत्याग्रह आंदोलन में हिस्सा लिया. सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व कामरेड राजेंद्र सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से श्रमिक विरोधी कानून को वापस लेने की मांग की. इस दौरान विरोध प्रदर्शन करते हुए सत्याग्रह की प्रतियां भी जलाई गई और साथ ही जेल भरो आंदोलन किया गया.

भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर सत्याग्रह आंदोलन

राजेंद्र सिंह ने कहा कि 4 जून को किसान विरोधी कानून पास किया गया. उसके विरोध में आज 200 से ज्यादा जिले के किसानों ने आंदोलन में भाग लेकर विरोध जताया है. आंदोलनकारियों ने कहा कि देश की सरकार पूंजीपतियों की हितेषी है जो मजदूरों के हितों की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की बात करती है. आज सरकार श्रमिकों के हकों पर कुठाराघात कर उन्हें नुकशान पहुंचा रही है. जिसको ट्रेड यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी.

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