ETV Bharat / state

हरियाणा की रेखा चौकन ने 6180 मीटर ऊंची पर्वतमाला को किया फतह

हरियाणा के रेवाड़ी की रेखा चौकन ने हिमालय की 6180 मीटर ऊंची पर्वतमाला को 9 दिन में फतह किया है. जिसे इमजा आइसलैंड पीक के नाम से भी जानते हैं.

रेखा चौकान, परर्वतारोही
author img

By

Published : Apr 29, 2019, 8:32 AM IST

Updated : Apr 29, 2019, 8:48 AM IST

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी की रेखा चौकन ने हिमालय की 6180 मीटर ऊंची पर्वतमाला को फतह किया है. रेखा ने ये उपलब्धि 9 दिन में हासिल की है. रेखा ने जिस चोटी को फतह किया है, उसे इमजा आइसलैंड पीक के नाम से भी जानते हैं. रेखा चौकन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो केरला में जॉब कर रही है. रेखा ने बताया कि वह कोई पर्वतारोही नहीं है, मगर अब वह किसी अच्छे पर्वतारोही से कम भी नहीं है. यह प्रेरणा उसको अपनी बड़ी बहन सुनीता चौकन से मिली है जो 2011 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देती हुई माउंट एवरेस्ट को फतह कर गई थी. फिर अपनी बहन से प्रेरणा लेकर रेखा चौकन ने किलिमंजारो चोटी को फतह किया और अब इमजा आइसलैंड पीक को फतह किया है.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने 12 अप्रैल 2019 को रात 2 बजे चढ़ाई शुरू की थी. रेखा ने बताया कि हमारे ग्रुप में 6 लोग थे, जिसमें एकमात्र वही महिला थी. फाकडिंग, नामचि बाजार, टेंग और चुकुंग के रास्ते उन्होंने इमजा को फतह किया है.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने बताया कि एक बार ऐसा समय भी आया जब चुकुंग में भारी बर्फबारी हो रही थी. उस समय ऑक्सीजन की बहुत कमी हो गई और भयंकर ठंड की वजह से उसका सिर बुरी तरह दर्द करने लगा और ऐसा लगा कि अब आगे बढ़ना मुश्किल है और जान जा सकती है.

Rekha
पर्वतारोही

ऐसे में उसने अपनी बड़ी बहन सुनीता चौकन से फोन पर सम्पर्क कर परिस्थितियों से अवगत कराया. सुनीता ने उसे कुछ टिप्स बताए, जिन्हें इस्तेमाल करने पर उसे राहत मिली. रात्रि विश्राम के बाद सुबह फिर से पैरों में वही जोश भर गया और पथरीले, लुढ़कते हुए पत्थरों, बर्फ से ढकी झील और दूसरे खतरों को पार करती हुई मुकाम तक पहुंच गई.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने बताया कि उनके ग्रुप में सिर्फ 4 लोग ही मुकाम तक पहुंच पाए. रास्ते में एक जर्मन कपल मिला, जिसके दोनों हाथों की उंगलियां बर्फ से गल गई थी. सभी से उन्हें निगेटिव फीडबैक मिला. आगे के रास्ते को लेकर चिंतित हो गए मगर बहन की प्रेरणा ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और रेखा ने उस दुर्गम पीक को फतह कर लिया.

सरकार से मदद के बारे में रेखा ने बताया कि उन्हें सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है, लेकिन समय-समय पर सरकार उन्हें सम्मान देती रहती है. रेखा ने बताया कि अभी उसका एक और सपना हैं कि वह विश्व की दुर्गम और 6812 मीटर ऊंची आमा डबलाम पीक को फतह करे.

रेखा चौकान, परर्वतारोही

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी की रेखा चौकन ने हिमालय की 6180 मीटर ऊंची पर्वतमाला को फतह किया है. रेखा ने ये उपलब्धि 9 दिन में हासिल की है. रेखा ने जिस चोटी को फतह किया है, उसे इमजा आइसलैंड पीक के नाम से भी जानते हैं. रेखा चौकन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो केरला में जॉब कर रही है. रेखा ने बताया कि वह कोई पर्वतारोही नहीं है, मगर अब वह किसी अच्छे पर्वतारोही से कम भी नहीं है. यह प्रेरणा उसको अपनी बड़ी बहन सुनीता चौकन से मिली है जो 2011 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देती हुई माउंट एवरेस्ट को फतह कर गई थी. फिर अपनी बहन से प्रेरणा लेकर रेखा चौकन ने किलिमंजारो चोटी को फतह किया और अब इमजा आइसलैंड पीक को फतह किया है.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने 12 अप्रैल 2019 को रात 2 बजे चढ़ाई शुरू की थी. रेखा ने बताया कि हमारे ग्रुप में 6 लोग थे, जिसमें एकमात्र वही महिला थी. फाकडिंग, नामचि बाजार, टेंग और चुकुंग के रास्ते उन्होंने इमजा को फतह किया है.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने बताया कि एक बार ऐसा समय भी आया जब चुकुंग में भारी बर्फबारी हो रही थी. उस समय ऑक्सीजन की बहुत कमी हो गई और भयंकर ठंड की वजह से उसका सिर बुरी तरह दर्द करने लगा और ऐसा लगा कि अब आगे बढ़ना मुश्किल है और जान जा सकती है.

Rekha
पर्वतारोही

ऐसे में उसने अपनी बड़ी बहन सुनीता चौकन से फोन पर सम्पर्क कर परिस्थितियों से अवगत कराया. सुनीता ने उसे कुछ टिप्स बताए, जिन्हें इस्तेमाल करने पर उसे राहत मिली. रात्रि विश्राम के बाद सुबह फिर से पैरों में वही जोश भर गया और पथरीले, लुढ़कते हुए पत्थरों, बर्फ से ढकी झील और दूसरे खतरों को पार करती हुई मुकाम तक पहुंच गई.

Rekha
पर्वतारोही

रेखा ने बताया कि उनके ग्रुप में सिर्फ 4 लोग ही मुकाम तक पहुंच पाए. रास्ते में एक जर्मन कपल मिला, जिसके दोनों हाथों की उंगलियां बर्फ से गल गई थी. सभी से उन्हें निगेटिव फीडबैक मिला. आगे के रास्ते को लेकर चिंतित हो गए मगर बहन की प्रेरणा ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और रेखा ने उस दुर्गम पीक को फतह कर लिया.

सरकार से मदद के बारे में रेखा ने बताया कि उन्हें सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है, लेकिन समय-समय पर सरकार उन्हें सम्मान देती रहती है. रेखा ने बताया कि अभी उसका एक और सपना हैं कि वह विश्व की दुर्गम और 6812 मीटर ऊंची आमा डबलाम पीक को फतह करे.

रेखा चौकान, परर्वतारोही
Download link 
https://we.tl/t-76T4ujwElD



रेखा ने दुनियां की खतरनाक पर्वत श्रंखला इमजा को किया फतेह।
एजुकेट गर्ल, एम्पावरमेंट कंट्रोल पॉपुलेशन का दिया संदेश।
माउंट एवरेस्ट पर्वत श्रंखला की सबसे खतरनाक पीक है इमजा।
रेवाड़ी, 28 अप्रैल।
एंकर----दिल मे यदि कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो बड़ी से बड़ी बाधा भी उसका रास्ता नहीं रोक सकती, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रेवाड़ी की बेटी रेखा चोकन ने। हम आपको बतां दे रेखा चोकन एक युवा साफ्टवेयर इंजीनियर है जो  केरला में जॉब कर रही है। रेखा ने बताया कि वह कोई माउंटेरियान नहीं है मगर अब वह किसी अच्छे माउंटेरियान से कम भी नहीं है। यह प्रेरणा उसको अपनी बड़ी बहन सुनीता चोकन से मिली है जो 2011 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश देती हुई माउंट एवरेस्ट को फतह कर पाई थी। फिर बहन की प्रेरणा से ही उसने किलिमंजारो चोटी को भी फतह किया और अब इमजा आइसलैंड पीक को  फतह कर पाई है। रेखा ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि यह हिमालय की 6180 मीटर ऊंची पर्वतमाला है जो बहुत ही दुर्गम व खतरनाक है जिसे उसने 9 दिन में फतह कर लिया। 12 अप्रैल 2019 को रात्री 2 बजे चढ़ाई शुरू की थी। हमारे ग्रुप में 6 लोग थे जिसमें एकमात्र वही महिला थी। फाकडिंग, नामचि बाजार, टेंग व चुकुंग के रास्ते उन्होंने इमजा को फतेह किया। 
रेखा ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब चुकुंग में भारी स्नोफॉल हो रहा था, ऑक्सीजन की बहुत कमी हो गई और भयंकर ठंड की वजह से उसका सिर बुरी तरह दर्द करने लगा व ऐसा लगा कि अब आगे बढ़ना मुश्किल है जान जा सकती है। ऐसे में उसने अपनी बड़ी बहन सुनीता चोकन से फोन पर सम्पर्क कर परिस्थितियों से अवगत कराया। सुनीता ने उसे कुछ टिप्स बताए जिन्हें प्रयोग करने पर उसे बड़ी राहत मिली। रात्रि विश्राम के बाद सुबह फिर से पैरों में वही जोश भर गया और पथरीले, लुढ़कते हुए पत्थरों, बर्फ से ढकी झील व अन्य खतरों को पार करती हुई मुकाम तक पहुंची। 
रेखा ने बताया कि हमारे ग्रुप में हम सिर्फ 4 लोग ही मुकाम तक पहुंच पाए। रास्ते मे एक जर्मन कपल मिला जिसके दोनों हाथों की उंगलियां बर्फ से गल गई थी। सभी से हमें नेगेटिव फीड बैक मिला।हम आगे के रास्ते को लेकर चिंतित हो गए मगर बहन की प्रेरणा ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और मैंने उस दुर्गम पीक को फतेह कर लिया। 
सरकार से हेल्प के बारे में रेखा ने बताया कि मुझे सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है लेकिन समय समय पर सरकार उन्हें सम्मान देती रहती है।
अभी एक और सपना है बाकी।
रेखा ने बताया कि अभी उसका एक और सपना ही कि वह विश्व की  दुर्गम व 6812 मीटर ऊंची 
आमा डबलाम पीक को फतेह करना है। जो ऐसी समिट है जिस को फतेह करने का रेशों बहुत ही कम है। 
बाइट--रेखा चौकन, पर्वतारोही।

Last Updated : Apr 29, 2019, 8:48 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.