रेवाड़ी: गौ संरक्षण और गौ संवर्धन को लेकर मौजूदा केंद्र और राज्य सरकारों ने सराहनीय कदम उठाए हैं. सरकार ने गायों की सुरक्षा को लेकर नन्दीशालाएं भी खोली हैं. लेकिन रेवाड़ी में आकर सरकार की मेहनत खोखली साबित होते दिखाई दे रही है. रेवाड़ी की सड़कों पर बेसहारा पशु बेलगाम घूम रहे हैं. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सर्कुलर रोड और सब्जी मंडी से लेकर शहर की ऐसी कोई सड़क या चौराहा शेष नहीं, जहां ये बेसहारा पशु दिखाई ना दे.
इसे लेकर लोगों का कहना है कि दिनभर सड़कों पर घूमने वाले इन पशुओं के कारण कई हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं तो कोई अपनी जान तक गंवा चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें अधिकांश पशुपालकों के हैं, जो सुबह शाम दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर खुलेआम छोड़ देते हैं. वहीं उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों पर भी पशुपालकों से मिलीभगत का आरोप लगाया और पशुपालकों पर जुर्माना लगाने की मांग की है.
'नगर परिषद कागजों तक सीमित रह गई'
हालांकि इस बड़ी समस्या को देखते हुए शहर के एक जागरूक अधिवक्ता ने साल 2010 में एक याचिका पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट गुरुग्राम में डाली थी. जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इन बेसहारा पशुओं को गौशाला तक पहुंचाने के आदेश नगर परिषद को दिए. कुछ दिन तो इस पर काम हुआ, लेकिन उसके बाद स्थिति वही खोखली साबित हुई. वहीं अधिवक्ता का आरोप है कि नगर परिषद कागजों तक कार्रवाई करने में ही सीमित रह गई है.
नया टेंडर होगा शुरू
नगर परिषद अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर से मई 2019 तक 557 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला भिजवाया गया है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर नगर परिषद पूरी तरह सजग है, लेकिन ठेकेदार के बीच में ही काम छोड़ देने के कारण ये समस्या पैदा हुई है. जिसके लिए परिषद अब जल्द ही ठेकेदार का टेंडर कैंसिल कर नया टेंडर छोड़ेगी.