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रेवाड़ी: सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु बने दुर्घटनाओं का सबब - बेसहारा पशु बने दुर्घटनाओं का सबब

सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु से सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. दिनभर इन पशुओं के कारण शहर की सड़कों पर यातायात जाम की स्थिति भी बनी रहती है. लोगों ने पशुपालकों पर जुर्माना लगाने की मांग की है.

बेसहारा पशु
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Published : Sep 19, 2019, 2:11 PM IST

रेवाड़ी: गौ संरक्षण और गौ संवर्धन को लेकर मौजूदा केंद्र और राज्य सरकारों ने सराहनीय कदम उठाए हैं. सरकार ने गायों की सुरक्षा को लेकर नन्दीशालाएं भी खोली हैं. लेकिन रेवाड़ी में आकर सरकार की मेहनत खोखली साबित होते दिखाई दे रही है. रेवाड़ी की सड़कों पर बेसहारा पशु बेलगाम घूम रहे हैं. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सर्कुलर रोड और सब्जी मंडी से लेकर शहर की ऐसी कोई सड़क या चौराहा शेष नहीं, जहां ये बेसहारा पशु दिखाई ना दे.

इसे लेकर लोगों का कहना है कि दिनभर सड़कों पर घूमने वाले इन पशुओं के कारण कई हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं तो कोई अपनी जान तक गंवा चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें अधिकांश पशुपालकों के हैं, जो सुबह शाम दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर खुलेआम छोड़ देते हैं. वहीं उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों पर भी पशुपालकों से मिलीभगत का आरोप लगाया और पशुपालकों पर जुर्माना लगाने की मांग की है.

सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु बने दुर्घटनाओं का सबब, देखें वीडियो

'नगर परिषद कागजों तक सीमित रह गई'

हालांकि इस बड़ी समस्या को देखते हुए शहर के एक जागरूक अधिवक्ता ने साल 2010 में एक याचिका पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट गुरुग्राम में डाली थी. जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इन बेसहारा पशुओं को गौशाला तक पहुंचाने के आदेश नगर परिषद को दिए. कुछ दिन तो इस पर काम हुआ, लेकिन उसके बाद स्थिति वही खोखली साबित हुई. वहीं अधिवक्ता का आरोप है कि नगर परिषद कागजों तक कार्रवाई करने में ही सीमित रह गई है.

नया टेंडर होगा शुरू

नगर परिषद अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर से मई 2019 तक 557 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला भिजवाया गया है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर नगर परिषद पूरी तरह सजग है, लेकिन ठेकेदार के बीच में ही काम छोड़ देने के कारण ये समस्या पैदा हुई है. जिसके लिए परिषद अब जल्द ही ठेकेदार का टेंडर कैंसिल कर नया टेंडर छोड़ेगी.

ये भी पढ़े- करनालः राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में संदिग्ध हालत में 38 पशुओं की मौत, जांच मे जुटे वैज्ञानिक और अधिकारी

रेवाड़ी: गौ संरक्षण और गौ संवर्धन को लेकर मौजूदा केंद्र और राज्य सरकारों ने सराहनीय कदम उठाए हैं. सरकार ने गायों की सुरक्षा को लेकर नन्दीशालाएं भी खोली हैं. लेकिन रेवाड़ी में आकर सरकार की मेहनत खोखली साबित होते दिखाई दे रही है. रेवाड़ी की सड़कों पर बेसहारा पशु बेलगाम घूम रहे हैं. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सर्कुलर रोड और सब्जी मंडी से लेकर शहर की ऐसी कोई सड़क या चौराहा शेष नहीं, जहां ये बेसहारा पशु दिखाई ना दे.

इसे लेकर लोगों का कहना है कि दिनभर सड़कों पर घूमने वाले इन पशुओं के कारण कई हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं तो कोई अपनी जान तक गंवा चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें अधिकांश पशुपालकों के हैं, जो सुबह शाम दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर खुलेआम छोड़ देते हैं. वहीं उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों पर भी पशुपालकों से मिलीभगत का आरोप लगाया और पशुपालकों पर जुर्माना लगाने की मांग की है.

सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु बने दुर्घटनाओं का सबब, देखें वीडियो

'नगर परिषद कागजों तक सीमित रह गई'

हालांकि इस बड़ी समस्या को देखते हुए शहर के एक जागरूक अधिवक्ता ने साल 2010 में एक याचिका पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट गुरुग्राम में डाली थी. जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इन बेसहारा पशुओं को गौशाला तक पहुंचाने के आदेश नगर परिषद को दिए. कुछ दिन तो इस पर काम हुआ, लेकिन उसके बाद स्थिति वही खोखली साबित हुई. वहीं अधिवक्ता का आरोप है कि नगर परिषद कागजों तक कार्रवाई करने में ही सीमित रह गई है.

नया टेंडर होगा शुरू

नगर परिषद अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर से मई 2019 तक 557 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला भिजवाया गया है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर नगर परिषद पूरी तरह सजग है, लेकिन ठेकेदार के बीच में ही काम छोड़ देने के कारण ये समस्या पैदा हुई है. जिसके लिए परिषद अब जल्द ही ठेकेदार का टेंडर कैंसिल कर नया टेंडर छोड़ेगी.

ये भी पढ़े- करनालः राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में संदिग्ध हालत में 38 पशुओं की मौत, जांच मे जुटे वैज्ञानिक और अधिकारी

Intro:रेवाड़ी की सड़कों पर बेलगाम घूमते बेसहारा पशु बने दुर्घटनाओं का सबब
अब तक कई लोग हो चुके हैं हादसों का शिकार, कई गवां चुके हैं जान
इन पशुओं के कारण सड़कों पर दिनभर लगता है जाम
कोर्ट के आदेशों का भी नप अधिकारियों पर नही हुआ कोई असर
6 माह में 557 पशु पकड़ कुम्भकर्णी नींद सो रहे नगर परिषद अधिकारी
बीच में काम छोड़ ठेकेदार हुआ नदारद
साहब बोले; जल्द छोड़ेंगे नया टेंडर
रेवाड़ी 18 सितंबर।Body:गौ संरक्षण और गौ संवर्धन को लेकर मौजूदा केंद्र व राज्य सरकारों ने सराहनीय कदम उठाए। इस दिशा में एक नई पहल करते हुए सरकार द्वारा गायों की सुरक्षा को लेकर नन्दी शालाएं भी खोली गई। वहीं हर साल लाखों करोड़ों का बजट भी दिया गया, लेकिन रेवाड़ी में आकर सरकार के ये दावे खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं।
तस्वीरों में देखिए, पीतल नगरी कि इन सड़कों पर किस कदर ये बेसहारा पशु बेलगाम विचरण कर रहे हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सर्कुलर रोड और सब्जी मंडी से लेकर शहर की ऐसी कोई सड़क या चौराहा शेष नहीं, जहां ये बेसहारा पशु आपको दिखाई ना दे। इतना ही नहीं, फ्लाईओवर पर भी इन बेसहारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है। ये पशु सड़कों के बीचो बीच झुंड के रूप में खड़े होकर और झगड़कर जहां दुर्घटनाओं का सबब बने हुए हैं। वही दिनभर इन पशुओं के कारण शहर की सड़कों पर यातायात जाम की स्थिति भी बनी रहती है।
इसे लेकर लोगों का कहना है कि दिनभर सड़कों पर घूमने वाले इन पशुओं के कारण कई ऐसे हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं तो कोई अपनी जान तक गंवा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें अधिकांश पशु पालकों के हैं, जो सुबह शाम दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर खुलेआम छोड़ देते हैं। वहीं उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों पर भी पशुपालकों से मिलीभगत का आरोप लगाया और पशुपालकों पर जुर्माना लगाने की मांग की।
हालांकि इस बड़ी समस्या को देखते हुए शहर के एक जागरूक अधिवक्ता ने साल 2010 में एक याचिका पब्लिक यूटिलिटी कोर्ट गुरुग्राम में डाली, जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इन बेसहारा पशुओं को गौशाला तक पहुंचाने के आदेश नगर परिषद को दिए। कुछ दिन तो इस पर काम हुआ, लेकिन उसके बाद स्थिति वही ढाक के तीन पात वाली साबित हुई और कोर्ट के आदेशों की पालना ना होती देख इस अधिवक्ता ने एक याचिका जिला कोर्ट में दायर की। अधिवक्ता का आरोप है कि नगर परिषद कागजों तक कार्यवाही करने में ही सीमित रह गई है।
अब आप जरा नगर परिषद अधिकारियों को भी सुन लीजिए। उनका कहना है कि दिसंबर से मई 2019 तक 557 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला भिजवाया गया है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर नगर परिषद पूरी तरह सजग है, लेकिन ठेकेदार द्वारा बीच में ही काम छोड़ देने के कारण यह समस्या पैदा हुई है, जिसके लिए परिषद अब जल्द ही ठेकेदार का टेंडर कैंसिल कर नया टेंडर छोड़ेगी।
अब देखना होगा कि आखिर नगर परिषद कब तक रेवाड़ी वासियों को इस समस्या से निजात दिला पाती है या फिर लोगों को यूं ही दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ेगा।
बाइट: रायसिंह, स्थानीय नागरिक
बाइट: टेकचंद सैनी, स्थानीय नागरिक
बाइट: रामौतार छाबड़ी, निवर्तमान नगर पार्षद
बाइट: सुनील भार्गव, जागरूक अधिवक्ता
बाइट: अजय सिक्का, एमई नगर परिषद रेवाड़ीConclusion:नए मोटर अधिनियम के बाद हादसों में जहां गिरावट आई है लेकिन सड़कों पर घूमते बेलगाम बेसहारा पशु सड़क दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे है?
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