रेवाड़ीः हरियाणा में भले ही सड़कों का जाल बिछा हो और सरकार इसके लिए वाहवाही लूटने में भी पीछे ना रहती हो, लेकिन रेवाड़ी के राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राएं कॉलेज तक पहुंचने के लिए कीचड़ भरे रास्ते से गुजरने को मजबूर है.
गंदगी के चलते रास्ते से उठती है दुर्गंध
रेवाड़ी के गांव ढालियावास में स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय में करीब 36 सौ छात्राएं पढ़ाई करती है. लेकिन शहर से कॉलेज जाने वाले रास्ते की हालत बेहद खराब है, रास्ता टूटा-फूटा होने के साथ ही कीचड़ से भरा रहता है. रास्ते में फैले गंदगी से आने वाली बदबू के चलते रास्ते से गुजरना मुश्किल रहता है. लेकिन छात्राओं को कॉलेज जाने के लिए इस कीचड़ भरे बदबूदार रास्ते से गुजरना पड़ता है.
प्रशासन से गुहार लगा चुकी हैं छात्राएं
कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है की सरकार ने लड़कियों के पढ़ने के लिए कॉलेज तो बनवा दिया, लेकिन कॉलेज में पहुंचने के लिए रास्ता बनवाना ही भूल गई. ऐसा भी नहीं है कि छात्राओं ने इस गंदे कीचड़ भरे रास्ते को दुरुस्त करवाने के लिए प्रशासन से गुहार नहीं लगाई हो, लेकिन उन्हें गंदे बदबूदार रास्ते पर चलकर कपड़े, जूते और दूसरे सामान संभालते हुए ही कॉलेज तक पहुंचना पड़ता है.
बीमारियों का बना रहता है डर
कॉलेज पहुंचना छात्राओं के लिए किसी जंग को लड़ने से कम साबित नहीं होता है. कीचड़ भरे रास्ते में कपड़े खराब तो होते ही हैं, गंदगी से उठती दुर्गंध के चलते बीमारियों का भी डर बना रहता है. छात्राओं ने जिला प्रशासन और सरकार से इस रात को बनाने की अपील की है, ताकि उन्हें कॉलेज जाते समय किसी समस्या का सामना ना करना पड़े.
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अधिकारियों की लापरवाही से नहीं बन पा रही सड़क - सरपंच
वहीं गांव ढालियावास की सरपंच कांता देवी का कहना है कि इस रास्ते को बनाने के लिए ग्राम पंचायत प्रयास कर रही है. पंचायत के पास पैसों की कोई कमी नहीं है, वह इस रास्ते को बनाना भी चाहती है, लेकिन इस रास्ते के निर्माण से पहले सीवरेज लाइन डाली जानी है. जिसके लिए सरकार की ओर से परमिशन भी दे दी गई है, लेकिन पंचायत के फंड से पैसा रिलीज करने के लिए पंचायती राज विभाग के डायरेक्टर के सिग्नेचर होना बाकी है.
6 महीने से दफ्तरों में धूल फांक रही है फाइल
सरपंच का कहना है कि सीवर लाइन के निर्माण के लिए फाइल तैयार कर प्रशासन को रेवाड़ी बीडीओ कार्यालय भेजा गया था. लेकिन चार महीने फाइल को दफ्तर में ही दबाकर रख लिया गया और उनकी फाइल को आगे नहीं भेजा गया, जिसके चलते चार महीनों तक फाइल धूल फांकती रही. काफी प्रयास के बाद फाइल रेवाड़ी से निकलकर चंडीगढ़ तक पहुंच गई, अब पिछले दो महीनों से फाइल पर चंडीगढ़ की धूल जमा हो रही है.
डायरेक्टर के सिग्नेचर से बनेगी बात
सरपंच का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि आखिर फाइल रोकने के पीछे अधिकारियों की क्या मंशा है. फाइल पर सिग्नेचर होते ही सीवरेज और सड़क निर्माण का काम शुरू हो जाएगा और ग्रामीणों और छात्राओं को इस कीचड़ भरे बदबूदार रास्ते से छुटकारा मिल जाएगा. ऐसे में अब देखना होगा कि पंचायती राज विभाग के डायरेक्टर फाइल पर कब तक सिग्नेचर करते हैं और कब तक छात्राओं को सड़क और गांव वालों को सीवर की समस्या से निजात मिल पाता है.
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