रेवाड़ी: बर्खास्त पीटीआई टीचरों ने अपनी नौकरी बहाली की मांग को लेकर जिला सचिवालय पर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान पीटीआई अध्यापकों ने खेल मंत्री संदीप सिंह की शव यात्रा निकालकर उनका पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया.
बर्खास्त पीटीआई अध्यापक प्रमिला देवी ने कहा कि पीटीआई अध्यापक पिछले 21 दिनों से धरने पर बैठे हैं. पीटीआई अध्यापकों की बदौलत प्रदेश के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है और देश का नाम रोशन किया है. उन्होंने कहा कि खेल नर्सरी को संभालने वाले शारीरिक शिक्षक सरकार की गलत नीतियों के चलते बदहाल स्थिति में पहुंच गए हैं. इसलिए उन्होंने खेल मंत्री का पुतला दहन किया. उन्होंने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द पीटीआई अध्यापकों को बहाल करे.
वहीं पीटीआई होशियार सिंह ने कहा कि बिना किसी दोष के पीटीआई अध्यापकों को निकाल दिया गया. उन्होंने सरकार से मांग की है कि चयन प्रक्रिया में दोषपूर्ण नीति के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को दोषी ठहरा कर उस पर कार्रवाई की जाए. पीटीआई पिछले 21 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि उनकी कोई गलती नहीं है. सरकार उन्हें दोबारा बहाल करे वरना इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अब हमारी उम्र इस लायक नहीं है कि हम कहीं और जाकर नौकरी कर सकें.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
दरअसल, भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थी भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे उन्होंने भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद खट्टर सरकार ने 2010 में नियुक्ति सभी पीटीआई अध्यापकों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए इसे रद्द कर दिया. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.
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