रेवाड़ी: हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार ने साल 2006 में प्रदेशभर के 22 जिलों में एक साथ डीटीएच सेवा की शुरुआत की गई थी. अगर बात रेवाड़ी की करें तो जिले के सभी साढ़े चार सौ स्कूलों में डीटीएच लगाए गए थे ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके, लेकिन एक दशक बाद ये सभी डीटीएच खराब पड़े हैं.
सरकार की DTH योजना बनी सफेद हाथी !
इसके अलावा सीनियर सेकेंडरी में भी शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए एजुसेट लगाए गए थे, लेकिन आज 90 फीसदी एजुसेट बंद पड़े हैं. यहीं नहीं जिले में 400 से ज्यादा स्कूलों से बैट्री और छतरियां तक गायब हैं. इस बारे में जब टीचर्स ने पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी डीटीएच और एजुसेट को ठीक नहीं किया गया है.
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प्राइमरी स्कूलों में तो डीटीएच और एजुसेट की देखरेख के लिए चौकीदार भी रखे गए थे, लेकिन अब ना ही योजना काम कर रही है और ना ही स्कूलों में चौकीदार. इसके अलावा ग्रामीण स्कूलों में तो बिजली की भी दिक्कत रहती है, इससे भी ये योजना सफल नहीं हो पा रही है. एजुसेट भी ज्यादातर स्कूलों में बंद ही हो गए हैं.
इसलिए लगाए थे डीटीएच और एजुसेट
बता दें कि प्राइमरी स्कूलों में डीटीएच और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में एजुसेट इसलिए लगाए गए थे ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो सके. साथ ही विज्ञान जैसे विषयों के पाठ्यक्रम सीधे निदेशालय से ही कक्षा के मुताबिक शेड्यूल के हिसाब से जारी होते थे.
इससे उन स्कूलों के बच्चों को भी लाभ होता था, जिन स्कूलों में शिक्षकों का अभाव था. ऐसे में बिना शिक्षकों के भी बच्चे पाठ्यक्रम पढ़ा करते थे, लेकिन अब ना तो एजुसेट चल रहे हैं और ना ही डीटीएच. यानी करोड़ों खर्च के बाद भी सरकार की इस योजना का डिब्बा बंद नजर आ रहा है.