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रेवाड़ी: शोपीस बनी DTH योजना, प्राइमरी स्कूलों में लगे 400 DTH खराब - rewari latest news

2006 में सरकारी स्कूलों में डीटीएच और एजुसेट लगाए गए थे. अगर बात रेवाड़ी की करें तो जिले के सरकारी स्कूलों में लगे 400 डीटीएच खराब पड़े हैं.

dth scheme in government schools of rewari
शोपीज बनी DTH योजना
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Published : Dec 10, 2019, 9:08 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 10:55 AM IST

रेवाड़ी: हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार ने साल 2006 में प्रदेशभर के 22 जिलों में एक साथ डीटीएच सेवा की शुरुआत की गई थी. अगर बात रेवाड़ी की करें तो जिले के सभी साढ़े चार सौ स्कूलों में डीटीएच लगाए गए थे ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके, लेकिन एक दशक बाद ये सभी डीटीएच खराब पड़े हैं.

सरकार की DTH योजना बनी सफेद हाथी !

इसके अलावा सीनियर सेकेंडरी में भी शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए एजुसेट लगाए गए थे, लेकिन आज 90 फीसदी एजुसेट बंद पड़े हैं. यहीं नहीं जिले में 400 से ज्यादा स्कूलों से बैट्री और छतरियां तक गायब हैं. इस बारे में जब टीचर्स ने पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी डीटीएच और एजुसेट को ठीक नहीं किया गया है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़िए: शर्मनाक: टेस्ट में कम अंक आए तो प्रिंसिपल ने चौथी कक्षा की बच्ची का मुंह काला करके पूरे स्कूल में घुमाया

प्राइमरी स्कूलों में तो डीटीएच और एजुसेट की देखरेख के लिए चौकीदार भी रखे गए थे, लेकिन अब ना ही योजना काम कर रही है और ना ही स्कूलों में चौकीदार. इसके अलावा ग्रामीण स्कूलों में तो बिजली की भी दिक्कत रहती है, इससे भी ये योजना सफल नहीं हो पा रही है. एजुसेट भी ज्यादातर स्कूलों में बंद ही हो गए हैं.

इसलिए लगाए थे डीटीएच और एजुसेट
बता दें कि प्राइमरी स्कूलों में डीटीएच और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में एजुसेट इसलिए लगाए गए थे ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो सके. साथ ही विज्ञान जैसे विषयों के पाठ्यक्रम सीधे निदेशालय से ही कक्षा के मुताबिक शेड्यूल के हिसाब से जारी होते थे.

इससे उन स्कूलों के बच्चों को भी लाभ होता था, जिन स्कूलों में शिक्षकों का अभाव था. ऐसे में बिना शिक्षकों के भी बच्चे पाठ्यक्रम पढ़ा करते थे, लेकिन अब ना तो एजुसेट चल रहे हैं और ना ही डीटीएच. यानी करोड़ों खर्च के बाद भी सरकार की इस योजना का डिब्बा बंद नजर आ रहा है.

रेवाड़ी: हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार ने साल 2006 में प्रदेशभर के 22 जिलों में एक साथ डीटीएच सेवा की शुरुआत की गई थी. अगर बात रेवाड़ी की करें तो जिले के सभी साढ़े चार सौ स्कूलों में डीटीएच लगाए गए थे ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके, लेकिन एक दशक बाद ये सभी डीटीएच खराब पड़े हैं.

सरकार की DTH योजना बनी सफेद हाथी !

इसके अलावा सीनियर सेकेंडरी में भी शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए एजुसेट लगाए गए थे, लेकिन आज 90 फीसदी एजुसेट बंद पड़े हैं. यहीं नहीं जिले में 400 से ज्यादा स्कूलों से बैट्री और छतरियां तक गायब हैं. इस बारे में जब टीचर्स ने पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो कई बार इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी डीटीएच और एजुसेट को ठीक नहीं किया गया है.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

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प्राइमरी स्कूलों में तो डीटीएच और एजुसेट की देखरेख के लिए चौकीदार भी रखे गए थे, लेकिन अब ना ही योजना काम कर रही है और ना ही स्कूलों में चौकीदार. इसके अलावा ग्रामीण स्कूलों में तो बिजली की भी दिक्कत रहती है, इससे भी ये योजना सफल नहीं हो पा रही है. एजुसेट भी ज्यादातर स्कूलों में बंद ही हो गए हैं.

इसलिए लगाए थे डीटीएच और एजुसेट
बता दें कि प्राइमरी स्कूलों में डीटीएच और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में एजुसेट इसलिए लगाए गए थे ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो सके. साथ ही विज्ञान जैसे विषयों के पाठ्यक्रम सीधे निदेशालय से ही कक्षा के मुताबिक शेड्यूल के हिसाब से जारी होते थे.

इससे उन स्कूलों के बच्चों को भी लाभ होता था, जिन स्कूलों में शिक्षकों का अभाव था. ऐसे में बिना शिक्षकों के भी बच्चे पाठ्यक्रम पढ़ा करते थे, लेकिन अब ना तो एजुसेट चल रहे हैं और ना ही डीटीएच. यानी करोड़ों खर्च के बाद भी सरकार की इस योजना का डिब्बा बंद नजर आ रहा है.

Intro:कहीं बैट्री ख़राब तो कहीं छतरियां ग़ायब
प्राइमरी स्कूलों में लगे 4 सौ DTH ज्यादातर ख़राब
सीनियर सेकेंडरी में भी लगाए एजुसेट पड़े है 90 फ़ीसदी बंद
स्कूलों को न कोई लेशन प्लान मिल रहा और न ही विषयों की होती तैयारी
शिक़ायत के बावजूद सुधार नही, हर साल मांगी जाती है रिपोर्ट
पाठ्यक्रम का बच्चों को नही मिल रहा कोई लाभ
400 से ज़्यादा स्कूलों से बैट्री व छतरियों गायब
रेवाड़ी, 9 दिसंबर।Body:सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई के लिए एक दशक पहले लगाए गए एजुसेट व डीटीएच ज्यादातर विद्यालयों में देखरेख के अभाव में ख़राब हो चले है। प्राइमरी स्कूलों में DTH की कहीं बैटरियां ख़राब है तो किसी स्कूल में तो छतरियां ही ग़ायब है।
अब निदेशालय से भी लेशन प्लान नही मिल रहा है। जिसके चलते बच्चों को इसका कोई फ़ायदा नही मिल पा रहा है। प्राइमरी स्कूलों में तो इनकी देखरेख के लिए स्कूलों में चौकीदार भी रखे गए थे। ग्रामीण स्कूलों में तो ज्यादातर बिजली की भी दिक्कत रहती है, इससे भी यह इनकी सफ़लता में बड़ी बाधा रही। एजुसेट भी ज्यादातर स्कूलों में बंद ही हो गए है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षण संघ की और से इनको दुरुस्त कराने की मांग भी उठाई जाती रही है। लेकिन कोई समाधान आज तक शिक्षा विभाग की और से निकलकर सामने नही आया है।
कब शुरू की स्कूलों में DTH सेवा:
हरियाणा की हुड्डा सरकार ने साल 2006 में प्रदेशभर के 22 जिलों में एक साथ DTH सेवा की शुरुआत की गई थी। रेवाड़ी जिले के भी सभी साढ़े 4 सौ स्कूलों में डीटीएच लगाए गए थे ताकि शिक्षा की गुणवक्ता में सुधार किया जा सकें।
इसलिए लगाए थे DTH एजुसेट:
प्राइमरी स्कूलों में DTH और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में एजुसेट इसलिए लगाए गए थे कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार व विज्ञान विषयों के पाठ्यक्रम सीधे निदेशालय से ही कक्षा अनुसार शेड्यूल जारी होते थे। उसमें उन स्कूलों के बच्चों को भी लाभ होता था कि जिसमें शिक्षकों का अभाव रहता था। उन बच्चों को भी लेशन सीखने के लिए मिल जाते थे। लेकिन अब बताया जा रहा है कि शेड्यूल भी जारी नही होता है। ऐसे में बच्चों को इनका कोई लाभ नही मिल पा रहा है। अब देखना होगा की शिक्षा निदेशालय इसपर क्या संज्ञान लेता है या फ़िर शिक्षा गुणात्मक राम भरोसे ही चलेगी।
बाइट---मनीष, छात्र
बाइट---भूपसिंह पुनिया, JBT अध्यापक
बाइट---नरेंद्र सिंह, JBT अध्यापक
बाइट---धर्मबीर, JBT अध्यापक
बाइट---नरेंद्र कुमार, JBT अध्यापकConclusion:ब देखना होगा की शिक्षा निदेशालय इसपर क्या संज्ञान लेता है या फ़िर शिक्षा गुणात्मक राम भरोसे ही चलेगी।
Last Updated : Dec 10, 2019, 10:55 AM IST
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