रेवाड़ी: गांव सहारनवास व सूमाखेड़ा में सरप्लस जमीन (Rewari surplus land case) का कब्जा दिलवाने की मांग को लेकर जिला प्रशासन ने आज पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव (Captain Ajay Yadav) सहित 21 लोगों को नोटिस भेजा है. मुढलिया निवासी लक्ष्मण सिंह यादव व जनकराज सहरानवास ने बुधवार को पत्रकार वार्ता कर गांव सहारनवास (गांगोली) व सूमाखेड़ा में सरप्लस 367 एकड़ जमीन का कब्जा अलाटियों को दिलवाने की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रभावशाली परिवारों ने अपने प्रभाव का दुरूपयोग कर जमीन को गलत ढंग से अपने व अपने परिचितों के नाम करवाया हुआ है. जिसके नाम जमीन अलॉट होने से वर्षों से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं, लेकिन जांच के नाम पर उन्हें आज तक धक्कों के सिवाय कुछ नहीं मिला है.
जांच के नाम पर चल रहे खेल में कई परिवारों की तो तीन-तीन पीढ़ियां इंतजार कर दुनिया से अलविदा ले चुकी हैं, परंतु जांच का खेल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. जिससे दर्जनों परिवारों को अपनी ही जमीन का हक नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि एसडीएम रविंद्र यादव की तरफ से पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव सहित 21 लोगों को नोटिस जारी किया गया है. सभी को 18 जनवरी 2022 को अपना पक्ष रखने को कहा गया है. पहले नोटिस 3 नवंबर 2021 को जारी किया गया था जिसमें पेश होने की तिथि 20 दिसंबर तय हुई थी.
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इस पर पेश नहीं होने पर यह दूसरा नोटिस जारी हुआ है. मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार को आज दोनों गांव के कुछ किसानों द्वारा रेवाड़ी के एक निजी रेस्टोरेंट में बुलाई प्रेस वार्ता के माध्यम के सामने आई है. गांव के लोगों की मानें तो पहली बार प्रशासनिक तौर पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया है. ग्रामीण जनकराज यादव ने बताया है कि प्रशासन की तरफ से जारी नोटिस में साक्ष्य पेश किए हैं. जिनके आधार पर दावा किया गया है कि 367 एकड़ 3 कनाल 2 मरला भूमि दो गांव सुमाखेड़ा व साहरानवास गांव की है. जो कि 1979 में 2 इंतकालों के तहत हरियाणा सरकार के नाम होकर भूमिहीन किसानों को अलॉट हुई थी. मगर पिछले 41 सालों से पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव, उनके परिवार, रिश्तेदार का कब्जा चला रहा है.
ये है पूरा मामला
साल 1972 में लैंड सीलिंग एक्ट लागू हुआ था. उस समय कोई भी जमींदार 54 एकड़ से अधिक जमीन नहीं रख सकता था. कैप्टन अजय यादव के पिता राव अभय सिंह इलाके के बड़े जमींदार थे. उन्होंने उस समय अकेले सूमा गांव में ही 1,111 एकड़ जमीन या तो सरप्लस घोषित की थी या अपने काश्तकारों को बेची थी. इस मामले को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब कैप्टन अजय यादव का यह बयान आया कि मेरे पिता ने तो सूमा गांव के लोगों को 800 एकड़ जमीन बांटी थी.
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ग्रामीणों का कहना है कि कैप्टन के पिता ने वर्ष 1962 तक करीब 600 एकड़ जमीन बेचकर रजिस्ट्री करवा दी थी, लेकिन उनके द्वारा बेची जमीन में से करीब 100 एकड़ जमीन को कांग्रेस राज में हरियाणा सरकार के अधीन सरप्लस करवा दिया गया. उस समय सत्ता का दुरुपयोग किया गया था. पैसे देने के बाद भी जमीन सरप्लस होने पर ग्रामीण न्यायालय में गए थे. लंबे समय के बाद लगभग 50 एकड़ जमीन काश्तकारों के हक में आ गई, जबकि करीब 50 एकड़ जमीन पर अभी भी अदालतों में मामले चल रहे हैं.
वहीं इस मामले को लेकर कैप्टन अजय सिंह यादव का कहना है कि 1972 में उनके पिता विधायक थे और उन्होंने 1111 एकड़ जमीन सरप्लस घोषित की थी. उनके पिता गांधीवादी थे और गरीब व किसानों के हितैषी थे. उनके परिवार ने सरकार से उस समय गांव के लोगों को जमीन दिलवाकर काश्तकार से मालिक बनवाया था. उन्होंने कहा कि 800 एकड़ जमीन सरकार के माध्यम से उन किसानों को दी गई, जो हमारे पिता की जमीन पर काश्तकार थे.
कैप्टन ने दावा किया है कि उनके पिता चाहते तो कोई ट्रस्ट बनाकर इस जमीन को अपने पास रख सकते थे, लेकिन गांधीवादी विचारधारा के होने के कारण उन्होंने इस जमीन को मात्र 100 रुपये प्रति एकड़ के मामूली मूल्य पर सरकार को दे दिया. उस समय बाजार मूल्य करीब 10 से 20 हजार रुपये प्रति एकड़ था, लेकिन अपने काश्तकारों के हित में मेरे पिता ने ट्रस्ट बनाने की बजाय सरप्लस जमीन छोड़ना उचित समझा. मेरे दिल में सूमा के ग्रामीणों के प्रति सम्मान है, क्योंकि उन्हें मैं आज भी अपना मानता हूं लेकिन कोई राजनीतिक शक्ति ग्रामीणों को बरगला रही है. बता दें कि, जो 1,111 एकड़ जमीन सरप्लस घोषित की गई थी, उसी में से 367 एकड़ जमीन को लेकर विवाद चल रहा है.
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