रेवाड़ी: देश की सबसे बड़ी पेंट्स कंपनी कनसाई नेरोलेक ने अपने 400 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. रेवाड़ी में बावल के बनीपुर चौक स्थित नेरोलेक कंपनी ने बिना किसी नोटिस के अपने कंपनी के कर्मचारियों के लिए गेट बंद कर दिया. जिससे नाराज कर्मचारियों ने कंपनी के गेट पर ही धरना प्रदर्शन कर दिया.
आर्थिक मंदी के दौर में वृद्धि दर में कमी
इस कंपनी के कर्मचारियों को निकाले जाने की बड़ी वजह आर्थिक मंदी भी बताई जा रही है. जिसकी वजह से कंपनी ने इतनी बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों को कंपनी से बाहर निकाल दिया. देश आर्थिक मंदी के दौर गुजर रहा है. बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई 2019 में घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई थी, जबकि जुलाई 2018 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही थी.
रियल एस्टेट पर मंदी का असर
इसी तरह के हालात रियल एस्टेट सेक्टर में है, जहां मार्च 2019 तक भारत के 30 बड़े शहरों में 12 लाख 80 हजार मकान बनकर तैयार हैं, लेकिन उनके खरीदार नहीं मिल रहे. बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे हैं लोग उस गति से मकान खरीद नहीं पा रहे हैं.
मारुति ने निकाले कर्मचारी
एक के बाद कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को बाहर निकाल रही हैं. हाल ही में मारुति सुजुकी से जुड़े करीब 3,000 अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी. जिसका बड़ा कारण वाहन बिक्री में गिरावट बताई गई थी.
कृषि और टेक्सटाइल सेक्टर में आर्थिक मंदी
कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा 10 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले टेक्सटाइल सेक्टर की भी हालत खराब है. नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने तो बाकायदा अखबारों में विज्ञापन देकर खुलासा किया है कि देश के कपड़ा उद्योग में 34.6 फीसदी की गिरावट आई है. जिसकी वजह से 25 से 30 लाख नौकरियां जाने की आशंका है.
पारले के 10 हजार कर्मचारियों पर तलवार
पारले बिस्किट बनाने वाली कंपनी भी मंदी की मार से गुजर रही है. माना जा रहा है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर कंपनी 10,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. बताया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र के संकट के कारण फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी तीव्र गतिशीलता वाली उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री पर पिछली कुछ तिमाहियों से काफी असर पड़ा है.
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बैंक विलय की घोषणा का असर
देश में पूरा बाजार मांग की कमी से जूझ रहा है. अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र से नकारात्मक नतीजे आ रहे हैं. एक ओर सरकार ने बैंकों के विलय की घोषणा कर दी है. वहीं देश आर्थिक मंदी के दौर में पूरी तरह से फंस चुका है.
आंतरिम नीतियों की वजह से आर्थिक मंदी
हाल ही में नोटबंदी और जीएसटी का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार की इन दोनों नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है. साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था की सुस्ती के लिए वैश्विक कारणों को जिम्मेदार ठहराने को बेबुनियाद बताया था. पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि देश में मंदी आंतरिक आर्थिक नीतियों के चलते आई है.
अर्थव्यवस्था में चूक
भारतीय अर्थव्यवस्था आयात आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से रुपये के गिरने का भी फायदा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत को नहीं मिल रहा है. इस समय चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है. इसका फायदा भी स्पष्ट रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को नहीं मिल पा रहा है.