रेवाड़ी: किसानों की आय को दोगुना करने के लिए मधुमक्खी पालन बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, इसमें काफी कम लागत पर ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. डीसी यशेन्द्र सिंह ने शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्र बावल में महिलाओं के लिए आयोजित चार दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ करते हुए ये बात कही.
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए शिविर
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहा हैं. उपायुक्त ने कहा कि हमारे किसान मेहनती हैं, कृषि के क्षेत्र में महिलाओं का भी विशेष योगदान रहता है. मधुमक्खी पालन में महिलाएं निश्चित रूप से बेहतर कार्य करने में समर्थ हैं. केवल जरूरत है बेहतर मूल्य दिलाने के लिए मार्केटिंग की.
महिला किसानों को दी जा रही ट्रेनिंग
उन्होंने बी पॉजिटिव संस्था और हिसार कृषि विश्वविद्यालय से आए विशेषज्ञों का आह्वान किया कि वो प्रशिक्षण के दौरान उत्पादन का तकनीकी ज्ञान देने के साथ-साथ मार्केटिंग पर भी फोकस करें.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है मकसद
उपायुक्त ने कहा कि महिलाओं द्वारा उत्पाद दिए जाने वाले शहद की मार्केटिंग के लिए केवीके में प्रोसेसिंग और पैकिंग यूनिट स्थापित करने का विकल्प पर कृषि विश्वविद्यालय को विचार करना चाहिए.कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीएस मूर्ति आयुक्त बागवानी विभाग भारत सरकार ने कहा कि देश भर में 120000 टन शहद का उत्पादन हर साल होता है जिसमें से 50 प्रतिशत निर्यात हो जाता है. उन्होंने कहा कि शहद उत्पादकों के हित को देखते हुए केंद्र सरकार शहद का एमएसपी तय करने जा रही है, ताकि शहद उत्पादक किसानों को आर्थिक रूप से और मजबूत किया जा सके.
ये भी पढ़िए: 'हॉकी के जादूगर' ध्यानचंद नहीं चाहते थे उनके बेटे खेलें हॉकी, जानिए क्या थी वजह
कार्यक्रम में उमेश सहगल पूर्व मुख्य सचिव दिल्ली सरकार क्षेत्रीय निदेशक कृषि विज्ञान केंद्र विक्रम सिंह व एमडी आईएफएफडीसी एसपी सिंह सहित अन्य विशेष को ने मधुमक्खी पालन को लेकर अपने विचार साझा किए. इस प्रशिक्षण को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आंचल की महिलाओं को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग देकर उनको आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है.