रेवाड़ी: ये खबर आज के समाज के तथाकथित गौरक्षकों के लिए तमाचे से कम नहीं जो गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग करते हैं... ये खबर उन हुक्मरानों को भी मुंह चिढ़ा रही है जो गाय के नाम पर राजनीति करने से भी नहीं कतराते हैं. जो गाय को माता कहते हैं. ये वहीं देश है जहां गाय के नाम पर किसी इंसान की हत्या तक कर दी जाती है.
जीं हां, ये वहीं देश है. जहां एक गाय के लिए बवाल मचा दिया जाता है. लेकिन सच्चाई कुछ और है, दरअसल ये तस्वीरें बताती हैं कि यहां एक गर्भवती गाय को सरेराह कुत्ते नोच डालते हैं, उसके कोख से बच्चे को निकाल कर खा जाते हैं और किसी में जरा भी संवेदनशीलता नहीं झलकती. उस मंजर को देखकर किसी को जरा भी सिहरन नहीं होती.
ये तस्वीरें आपको विचलित जरूर कर सकती हैं, लेकिन भारतीयों में गायों के प्रति आस्था को बनाए रखने के लिए ये खबर दिखाना जरूरी भी है. दिन का वक्त है. रेलवे ट्रैक पर गाय का शव पड़ा हुआ है, जिसे खुंखार कुत्ते नोच रहे हैं. और लोग सारा मंजर देखते हुए भी बेपरवाही से गुजरते रहे. ऊपर से ट्रेनों का भी आवागमन जारी रहा, लेकिन ना तो किसी ने सुध ली... ना ही प्रशासन को सूचना दी गई.
हैरानी की बात तो ये है कि सूचना मिलने के बाद रेलवे पुलिस और कुछ कर्मचारी वहां जरूर पहुंचे. जिन्होंने मृत गाय और उसके कोख से निकले बच्चे को ट्रैक से जरूर हटा दिया, लेकिन किसी ने भी इन्हें यहां से उठाकर दफनाने की जहमत नहीं उठाई, जिसके चलते दिनभर कुत्ते इन्हें नोंचते रहे और हजारों लोग तमाशबीन की तरह यह नजारा देखते रहे. किसी ने देख कर अनदेखा कर दिया तो कोई अपने फेसबुक पोस्ट के लिए फोटो खींच कर चलता बना.
मौके पर मौजूद क्रिश्चियन समुदाय के साहिल ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जिन्हें आगे बढ़कर गौ माता की रक्षा करनी चाहिए थी, वो यहां तमाशबीन बनकर दिनभर यह नजारा देखते रहे, लेकिन किसी को जरा भी दया नहीं आई. सरकार की तरफ से गठित गौ संरक्षण आयोग और लम्बा चौड़ा करोड़ों का बजट कोई काम नहीं आया.
आखिरकार मीडिया के दखल के बाद यहां गौ सेवा समिति के कुछ लोग पहुंचे, जिन्होंने जेसीबी की मदद से गाय को वहां से हटाकर भारतीय संस्कृति के मुताबिक दफनाया गया. इस मामले में गौरक्षक दल के सदस्य भी सफाई देते नजर आए. उनका कहना है कि इस तरह की किसी भी सूचना के बाद वे मौके पर जरूर पहुंचते हैं, लेकिन इस घटना के बारे में उन्हें देर से जानकारी मिली. जैसे ही उन्हें सूचना मिली तो हिंदू संस्कृति के मुताबिक गाय और उसके बच्चे को दफनाने का काम किया है.
बेशक ये कहानी सिर्फ एक गाय की है, लेकिन ना जाने कितनी गाय सड़कों पर घूमती मिल जाएंगी. सरकार ने गौ सेवा आयोग भी बनाया है. लंबा चौड़ा बजट भी है. राजनीति भी जमकर होती है. मगर यह एक विडम्बना कहें कि इतनी सारी गौशाला होने के बावजूद गायों की हो रही दुर्गति पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा.