रेवाड़ी: सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी फैसले के बाद पूरे एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग में भारी आक्रोश है. रविवार को भीम आर्मी के भारत बंद के समर्थन में समस्त समाज की विशाल बैठक हुई. ये बैठक जिले के गुरु रविदास मंदिर संपन्न हुई. इस बैठक की अध्यक्षता रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी लालचंद जी ने की थी, जिसमें समाज के सभी संगठन शामिल हुए.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एससी-एसटी समाज
बैठक में उपस्थित सभी वक्ताओं ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आलोचना की और बैठक के बाद समस्त संगठनों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए डीसी कार्यालय पहुंचे. एसडीएम रविंद्र कुमार को राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम अपना ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में मुख्य रूप से सभी संगठनों ने मांग की कि जो अभी हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो 7 फरवरी 2020 को अपने निर्णय के तहत एससी-एसटी वर्ग को पदोन्नति में प्रदत आरक्षण के मूल अधिकार को समाप्त किया है.
केंद्र सरकार से फैसला बदलने की लगाई गुहार
इस निर्णय से भारत के एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग में भारी गुस्सा है. उन्होंने केंद्र सरकार से अध्यादेश के जरिए कोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की है. आपको बता दें कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश में स्पष्ट कहा गया था कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है. ये राज्यों की इच्छा पर निर्भर करता है. लोगों ने कहा कि ये निर्णय बिल्कुल ही असंवैधानिक है.
ये था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
संविधान के भाग 3 का शीर्ष ही मूल अधिकार है और इसी भाग के अनुच्छेद 16 में पदोन्नति में आरक्षण दिया जाना है, लेकिन इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय का ये कहना कि मूल अधिकारों में उदित पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान मूल अधिकार नहीं है. लोगों ने कहा कि इस प्रकार से निर्णय देने से सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर प्रश्न लगता है.
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लोगों ने केंद्र सरकार पर लगाया ये आरोप
ऐसा लगता है कि आज एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के अधिकारों को सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर सरकार समाप्त करना चाह रही है, जिससे वर्तमान केंद्र सरकार की मंशा पर भी शंका पैदा होती है. पूरे देश का समस्त एससी, एसटी और ओबीसी समाज मांग करता है कि केंद्र सरकार इस मामले में अध्यादेश लाकर इसे कोर्ट के फैसले को राष्ट्रहित में निरस्त करें.
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने लिया था हिस्सा
आपको बता दें कि रविवार में हुए विशाल प्रदर्शन में समाज के हजारों लोगों के साथ समाज की महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर अपने हकों की आवाज को बुलंद किया था.