रेवाड़ी: कोरोना संक्रमण से हर वर्ग की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा है. रेवाड़ी जिले के कोसली स्थित यदुवंशी शिक्षा निकेतन के 20 से ज्यादा शिक्षको की सैलरी मार्च महीने के बाद से स्कूल प्रशासन ने नहीं दी. देश में शिक्षा के माध्यम से बच्चों का भविष्य बनाने वाले अध्यापकों के सामने अब घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.
इतना ही नहीं जिन अध्यापकों पर पूरे घर की जिम्मेवारी थी. वो अब अपने बूढ़े माता पिता को दवा तक नहीं दिल पा रहे हैं. रेवाड़ी जिला के कोसली स्थित यदुवंशी शिक्षा निकेतन में कार्यरत संगीत की टीचर पारुल भारद्वाज ने बताया कि उन्हें स्कूल में बुलाकर काम तो कराया जा रहा है. ऑनलाइन कक्षाएं भी उनसे लगवाई जा रही हैं. घर-घर जाकर बच्चों का होमवर्क चैक कराया जा रहा है.
उनका कहना है कि बच्चों के अभिभावकों से फीस भी उनकी के जरिए कलेक्ट कराई जा रही है, लेकिन काम के बदले पगार नहीं दी जा रही है. नौकरी के अलावा उनके पास और कोई दूसरा कमाई का साधन नहीं होने की वजह से उनके घरों का चूल्हा अब ठंडा पड़ा है. जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए पीड़ित अध्यापकों ने उन्हें मेहनत की कमाई दिलाने की मांग की. ताकि वो अपने परिवार का पेट पाल सकें.
पारुल का कहना है कि सैलरी नहीं मिलने से उनके सामने खाने के भी लाले पड़ गए हैं. बिजली का बिल और बीमार पिता का इलाज तक नहीं करवा पा रही हैं. वहीं अन्य पीड़ित शिक्षकों का कहना है कि कुछ दिनों तक तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों से मदद लेकर खर्चा चलाया, लेकिन अब उन्होंने भी मना कर दिया है.
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यदुवंशी शिक्षा निकेतन के अध्यापकों ने स्कूल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. स्कूल प्रबंधन उनका कोरोना के बाद लगातार शोषण कर रहा है. स्कूल CBSE के नियमों को ताक पर रखकर अवैद्य तरीके से स्कूल का संचालन कर रहा है. जिसके सभी सबूत उन्होंने नगराधीश को सौंपे, ताकि ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. अब देखना होगा कि अध्यापकों का शोषण करने और अवैध तरीके से स्कूल चलाने के मामले में प्रशासन क्या कार्रवाई अमल में लाएगा?