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खस्ता हालत में रेवाड़ी का ये सरकारी स्कूल, लड़कियों के लिए शौचालय तक नहीं - rewari school officer mukesh yadav

रेवाड़ी के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की दयनीय स्थिति हो चुकी है. स्कूल 12वीं कक्षा तक है लेकिन जर्जर कमरों के चलते यहां सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही छात्राएं पढ़ती हैं. 10वीं से 12वीं क्लास की छात्राओं को स्कूल से दूर सेक्टर-4 जाना पड़ता है. सेक्टर-4 तक पहुंचने के लिए ऑटो करना पड़ता है इसको लेकर छात्राएं कई बार धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है.

bad condition of govt girls school of rewari
जर्जर हुई स्कूल की बिल्डिंग
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Published : Jan 18, 2020, 11:48 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 12:33 AM IST

रेवाड़ी: जिले के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की हालत खराब हो चुकी है. ये सरकारी स्कूल कई सालों पुराना है. ना तो यहां पीने के लिए पानी है और ना ही छात्राओं के लिए शौचालय. स्कूल की इमारत भी जर्जर हो चुकी है. हालात ये हैं कि स्कूल की इमारत की छत की पपड़ी भी टूटकर गिरने लगी है. पहले इस स्कूल में करीब साढ़े 3 हज़ार छात्राएं आती थीं, जिनकी संख्या अब घटकर मात्र 15 सौ ही रह गई हैं.

जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर छात्राएं

हालांकि ये स्कूल 12वीं कक्षा तक है लेकिन जर्जर कमरों के चलते यहां सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही छात्राएं पढ़ती हैं. 10वीं से 12वीं क्लास की छात्राओं को स्कूल से दूर सेक्टर-4 जाना पड़ता है. सेक्टर-4 तक पहुंचने के लिए ऑटो करना पड़ता है इसको लेकर छात्राएं कई बार धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है. छात्राओं का कहना है कि वो गरीब परिवार से संबंध रखती है. इसलिए ऑटो का किराया वहन नहीं कर सकती. दूसरा उन्हें सुरक्षा संबंधी समस्या भी रहती है.

जान जोखिम में डालकर शिक्षा ले रही रेवाड़ी की बेटियां, देखें वीडियो

स्कूल में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं

स्कूल में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्कूल की छात्राओं का कहना है कि यहां पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी मुकेश यादव का कहना है कि इस फाइल को 10 से 15 दिनों के भीतर पास करवा लिया जाएगा और उसके बाद जल्द ही स्कूल को मॉडर्न बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.

सरकार ने इमारत को कर रखा है कंडम घोषित

आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपने रिकॉर्ड में इस सरकारी स्कूल के भवन को कंडम घोषित कर रखा है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां पाठशाला लगाई जा रही है. हालात इस कद्र है कि छात्राओं को नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. ऊपर से प्लास्टर झड़ कर नीचे गिर जाता है. स्कूल के कमरों की खिड़की में दरवाजों ही नहीं है. बारसात के दिनों में तो कमरों में पानी भर जाता है. यही नहीं पर्याप्त कमरे ने होने के कारण स्कूल को दो शिफ्टों में लगाना पड़ता है.

स्कूल को मॉडर्न बनाने के लिए हो चुका है 10 करोड़ 44 लाख का आवंटन

गौरतलब है पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने 18 कमरों का तीन मंज़िला मॉडर्न भवन बनाने के लिए 10 करोड 40 लाख 44 हज़ार का बजट आवंटित किया था, लेकिन चार साल से इस स्कूल को मॉडर्न बनाने वाली फाइल सिर्फ एक टेबल से दूसरी टेबल के चक्कर काट रही है. शिक्षा मंत्री की घोषणा मात्र घोषणा ही रह गई.

ये भी जानें- पलवल में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी तेज, 24 जनवरी को होगी फुल ड्रेस रिहर्सल

जिला शिक्षा अधिकारी ने किया ये दावा

जो काम पिछले चार साल से नहीं हुआ, वो काम शिक्षा अधिकारी मुकेश यादव कैमरे के सामने महज 15 दिनों में पूरा करने का दावा कर रहे हैं. बेहद चिंताजनक हैं. अगर सरकारी व्यवस्थाओं की ऐसी स्थिति होगी तो देश की बेटी ऐसे कैसे आगे बढ़ेगी.

रेवाड़ी: जिले के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की हालत खराब हो चुकी है. ये सरकारी स्कूल कई सालों पुराना है. ना तो यहां पीने के लिए पानी है और ना ही छात्राओं के लिए शौचालय. स्कूल की इमारत भी जर्जर हो चुकी है. हालात ये हैं कि स्कूल की इमारत की छत की पपड़ी भी टूटकर गिरने लगी है. पहले इस स्कूल में करीब साढ़े 3 हज़ार छात्राएं आती थीं, जिनकी संख्या अब घटकर मात्र 15 सौ ही रह गई हैं.

जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर छात्राएं

हालांकि ये स्कूल 12वीं कक्षा तक है लेकिन जर्जर कमरों के चलते यहां सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही छात्राएं पढ़ती हैं. 10वीं से 12वीं क्लास की छात्राओं को स्कूल से दूर सेक्टर-4 जाना पड़ता है. सेक्टर-4 तक पहुंचने के लिए ऑटो करना पड़ता है इसको लेकर छात्राएं कई बार धरना-प्रदर्शन भी कर चुकी है. छात्राओं का कहना है कि वो गरीब परिवार से संबंध रखती है. इसलिए ऑटो का किराया वहन नहीं कर सकती. दूसरा उन्हें सुरक्षा संबंधी समस्या भी रहती है.

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स्कूल में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं

स्कूल में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्कूल की छात्राओं का कहना है कि यहां पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी मुकेश यादव का कहना है कि इस फाइल को 10 से 15 दिनों के भीतर पास करवा लिया जाएगा और उसके बाद जल्द ही स्कूल को मॉडर्न बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.

सरकार ने इमारत को कर रखा है कंडम घोषित

आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपने रिकॉर्ड में इस सरकारी स्कूल के भवन को कंडम घोषित कर रखा है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां पाठशाला लगाई जा रही है. हालात इस कद्र है कि छात्राओं को नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. ऊपर से प्लास्टर झड़ कर नीचे गिर जाता है. स्कूल के कमरों की खिड़की में दरवाजों ही नहीं है. बारसात के दिनों में तो कमरों में पानी भर जाता है. यही नहीं पर्याप्त कमरे ने होने के कारण स्कूल को दो शिफ्टों में लगाना पड़ता है.

स्कूल को मॉडर्न बनाने के लिए हो चुका है 10 करोड़ 44 लाख का आवंटन

गौरतलब है पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने 18 कमरों का तीन मंज़िला मॉडर्न भवन बनाने के लिए 10 करोड 40 लाख 44 हज़ार का बजट आवंटित किया था, लेकिन चार साल से इस स्कूल को मॉडर्न बनाने वाली फाइल सिर्फ एक टेबल से दूसरी टेबल के चक्कर काट रही है. शिक्षा मंत्री की घोषणा मात्र घोषणा ही रह गई.

ये भी जानें- पलवल में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी तेज, 24 जनवरी को होगी फुल ड्रेस रिहर्सल

जिला शिक्षा अधिकारी ने किया ये दावा

जो काम पिछले चार साल से नहीं हुआ, वो काम शिक्षा अधिकारी मुकेश यादव कैमरे के सामने महज 15 दिनों में पूरा करने का दावा कर रहे हैं. बेहद चिंताजनक हैं. अगर सरकारी व्यवस्थाओं की ऐसी स्थिति होगी तो देश की बेटी ऐसे कैसे आगे बढ़ेगी.

Intro:बेटी पढ़ाओ का नारा हुआ तार-तार
मोत के साए में शिक्षा ग्रहण करती है छात्राएं
कंडम घोषित हुए भवन में लगती है पाठशाला
कमरे ने होने के कारण दो शिफ्टों में चलता है स्कूल
पानी व शौचालय की भी नहीं है उचित व्यवस्था
लाइट चले जाने पर कमरों में छा जाता है अंधेरा
10 करोड़ मंजूर होने के बावजूद चंडीगढ में अटकी है फाइल
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रेवाड़ी का मामला
रेवाड़ी, 18 जनवरी।



Body:सरकार का बेटी पढ़ाओ का नारा सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन धरातल पर तस्वीर इसके बिल्कुल उलट है।
रेवाड़ी के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की बात करें तो यहां यह नारा बिल्कुल तार तार होता नजर आ रहा है।
यहां करीब 15 सौ छात्राएं मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है लेकिन इसके बावजूद भी सरकार की कुम्भकर्णी नींद नहीं टूट रही है। लगता है कि सरकार को किसी बड़े हादसे का इंतजार है। तस्वीरों में आप जिस भवन को देख रहे हैं यह राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है। सरकार ने अपने रिकॉर्ड में तो है भवन कंडम घोषित कर रखा है। लेकिन उसके बावजूद भी यहां पाठशाला लगाई जा रही है। हालात इस कद्र है कि नीचे बेटियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं तो ऊपर से प्लास्टर झड़ कर नीचे गिर जाता है। खिड़की दरवाजों को गायब हुए तो मुद्दत ही हो गई। हालात यह यह भी है कि जब बिजली गुल हो जाती है तो पूरे कमरे में अंधेरा छा जाता है। अगर थोड़ी बहुत बरसात हो जाए तो कमरों में पानी भर जाता है। यही नहीं पर्याप्त कमरे ने होने के कारण स्कूल को दो शिफ्टों में लगाना पड़ता है। जिस बिल्डिंग को आप देख रहे हैं यहां 9वीं कक्षा तक छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं। 9वीं से 12वीं का स्कूल सेक्टर-4 में लगता है। इसको भी लेकर छात्राएं काफी हो-हल्ला कर चुकी है।
क्योंकि सेक्टर तक पहुंचने के लिए ऑटो करना पड़ता है इसको लेकर छात्राएं कई बार धरना प्रदर्शन कर चुकी हैं कि वह गरीब परिवार से संबंध रखती है। इसलिए वह ऑटो का किराया वहन नहीं कर सकती। 4 वर्ष पूर्व, पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने 18 कमरों का तीन मंज़िला मॉडर्न भवन बनाने के लिए 10 करोड 40 लाख 44 हज़ार का बजट आवंटित किया था। लेकिन चार वर्षों से इसकी फाइल चंडीगढ में एक टेबल से दूसरे टेबल पर ही दौड़ रही है। धरातल में तो शिक्षा मंत्री की घोषणा मात्र घोषणा ही रह गई। छात्राओं की माने तो उन्हें मूलभूत सुविधा पानी व शोचालय तक उपलब्ध नहीं है। ऊपर से बंदरों का आतंक सो अलग। हम आपको बता दे कि राजकीय कन्या विद्यालय शहर का वर्षों पुराना स्कूल है। इस विद्यालय में शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राएं भी यहां शिक्षा ग्रहण करने आती है। पहले यहां स्कूल में करीब साढ़े 3 हज़ार छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती थी तो अब घट कर मात्र 15 सौ छात्राएं ही रह गए हैं। यह स्कूल सरकार की उदासीनता का पहला उधारण नहीं है शहर में ऐसे और भी कई राजकीय विद्यालय चल रहे हैं जिनके भवन को कंडम घोषित किया जा चुका है। लेकिन उसके बावजूद नौनिहाल भय के साएं में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इतना होने के बावजूद सरकार की निंद्रा नहीं टूटी, लगता है कि सरकार को किसी अनहोनी का इंतजार है। जिला शिक्षा अधिकारी मुकेश यादव का कहना है कि अब यह फाइल आगे चल रही है और इसपर कुछ दिनों बाद ही काम शुरु हो जाएगा।
बाइट--1 से 5 सभी छात्राएं।
बाइट--मुकेश यादव, जिला शिक्षा अधिकारी।।


Conclusion:अब देखना होगा कि पिछले चार वर्षों से जो फाइल अटकी हुई है क्या अब वह आगे बढ़ पाएगी या फिर रेवाड़ी की इन बेटियों को यूं ही भय के सायें में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
Last Updated : Jan 19, 2020, 12:33 AM IST
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