पानीपत: कृषि के बाद देश में परिवहन क्षेत्र यानी ट्रांसपोर्ट सेक्टर रोजगार का प्रमुख स्रोत है, लेकिन आज ये सेक्टर कई मुश्किलों को सामना कर रहा है. इस रिपोर्ट में हम आपको हरियाणा के पानीपत जिले में ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सामने खड़ी हुई मुश्किलें और इस सेक्टर में काम करने वाले लोगों को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनके बारे में बताएंगे.
सहारा ढूंढ रहा है ट्रांसपोर्ट सेक्टर
उद्योगनगरी पानीपत में ट्रांसपोर्ट का बहुत बड़ा योगदान रहता है. ट्रांसपोर्ट पानीपत में दिनोदिन फूल रहे हैंडलूम व्यवसाय की रीड की हड्डी है, लेकिन आज यही ट्रांसपोर्ट सेक्टर खुद कोई सहारा ढूंढ रहा है. पहले तो कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में ट्रांसपोर्ट सेक्टर को बेहद नुकसान हुआ. उसके बाद जब काम पटरी पर लौटने लगा था तो पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों ने इस व्यवसाय को फिर एक बार घाटे की तरफ मोड़ दिया.
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पहले कोरोना फिर किसान आंदोलन ने दिया बड़ा झटका
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पहले कोरोना फिर बढ़ती महंगाई के बाद हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन से भी उन्हें एक बड़ा झटका लगा. आंदोलन के कारण रूट को डाइवर्ट करके माल डिलीवरी करने में बहुत खर्चा जाता है और एग्रीमेंट से अलग किराया भी नहीं वसूल सकते.
आज तक रजिस्ट्रड नहीं हुआ ट्रांसपोर्ट बिजनेस
यूं तो खेती के बाद ट्रांसपोर्ट को देश का सबसे बड़ा व्यवसाय माना जाता है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि ये व्यवसाय आज तक भी रजिस्टर्ड नहीं है. सबसे ज्यादा टैक्स सरकार को यही लोग देते हैं और दिन पर दिन उनके लिए नई मुसीबत खड़ी होती जा रही है.
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ड्राइवर्स भी रहते हैं परेशान
ट्रांसपोर्टरों के अलावा इस सेक्टर में काम करने वाले ड्राइवर भी खासे परेशान हैं. उन्हें कई कई दिनों तक घर से दूर रहना पड़ता है. सालों तक काम करने के बाद भी कम तनख्वाह है. जोखिम भरे इस काम में ड्राइवर कुछ नहीं बचा पा रहे. ऐसे में नई पीढ़ी भी इस लाइन में नहीं आना चाहती.
बहरहाल ट्रांसपोर्ट सेक्टर के जिस तरीके के हालात देखने को मिल रहे हैं, उसे देख कर तो यही कहा जा सकता है इन लोगों को अगर जल्द सरकार की तरफ कोई मदद या छूट नहीं मिली तो एक बड़ा तबका बेरोजगारी के आगोश में समा जाएगा.