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Martyrs Day: शहीद भगत सिंह के साथी थे पानीपत के क्रांति कुमार, जानें गुमनाम रहे सेनानी की कहानी

आज 23 मार्च के दिन ही देश के महान देशभक्तों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी. उनके बलिदान को याद करने के लिए इस दिन को शहीद दिवस (Shaheed Diwas 2023) के रूप में मनाते हैं. लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह के साथी रहे क्रांति कुमार को हम भूला चुके हैं. शहीद दिवस पर हम आपको पानीपत के इसी स्वतंत्रता सेनानी के बारे मे बता रहे हैं.

Shaheed Diwas 2023
Shaheed Diwas 2023: आजादी की लड़ाई में भगत सिंह के साथी थे पानीपत के क्रांति कुमार
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Published : Mar 23, 2023, 1:10 PM IST

Updated : Mar 23, 2023, 1:18 PM IST

पानीपत: आजादी के लिए देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अनेकों शहीदों को हम याद करते हैं. अनेकों शहीदों के नाम तो हमें इस कदर याद हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उनका नाम जुबान पर आ जाता है लेकिन कुछ ऐसे शहीद भी हैं, जिन्हें सरकारी तंत्र हो या आम लोग सभी ने भुला दिया है. आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले यह शहीद अब गुमनामी के अंधेरे में हैं.

भगत सिंह के दोस्त थे क्रांति कुमार: शहीद दिवस पर हम आज पानीपत के ऐसे ही एक शहीद के बारे में बता रहे हैं, जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था. इसी नाम का ही एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रखा था. लेकिन अब उन्हें और उनके परिवार को कोई नहीं जानता.

महात्मा गांधी के कहने पर कांग्रेस में हुए थे शामिल: पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार को 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. वे अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर वर्ष 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए अपनी आवाज उठाने लगे. क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साढ़े 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए.

पढ़ें : एसवाईएल मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई, पिछली तारीख पर केंद्र ने दाखिल किया था हलफनामा

भगत सिंह के भरोसेमंद साथी थे क्रांति कुमार: जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर ही किया करते थे. क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे. देश के विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे. 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान हुई हिस्सा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया था.

पढ़ें : Chandigarh MC Meeting: नगर निगम चंडीगढ़ वित्त और संविदा समिति की बैठक, 23.10 लाख का बजट पास

सरकार की अनदेखी का शिकार हुए क्रांति कुमार: देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार को आज सरकारी तंत्र भूला चुका है. इतना ही नहीं, क्रांति कुमार के दोनों बेटों में से एक 2017 तक पानीपत में रहा करते थे. वह दिव्यांग हो चुका था. वहीं दूसरा बेटा होटलों पर झूठे बर्तन धोता देखा गया था. सोशल मीडिया इस बात की काफी चर्चा हुई थी, उसके बाद क्रांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया.

पानीपत: आजादी के लिए देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अनेकों शहीदों को हम याद करते हैं. अनेकों शहीदों के नाम तो हमें इस कदर याद हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उनका नाम जुबान पर आ जाता है लेकिन कुछ ऐसे शहीद भी हैं, जिन्हें सरकारी तंत्र हो या आम लोग सभी ने भुला दिया है. आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले यह शहीद अब गुमनामी के अंधेरे में हैं.

भगत सिंह के दोस्त थे क्रांति कुमार: शहीद दिवस पर हम आज पानीपत के ऐसे ही एक शहीद के बारे में बता रहे हैं, जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था. इसी नाम का ही एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रखा था. लेकिन अब उन्हें और उनके परिवार को कोई नहीं जानता.

महात्मा गांधी के कहने पर कांग्रेस में हुए थे शामिल: पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार को 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. वे अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर वर्ष 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए अपनी आवाज उठाने लगे. क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साढ़े 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए.

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भगत सिंह के भरोसेमंद साथी थे क्रांति कुमार: जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर ही किया करते थे. क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे. देश के विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे. 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान हुई हिस्सा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया था.

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सरकार की अनदेखी का शिकार हुए क्रांति कुमार: देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार को आज सरकारी तंत्र भूला चुका है. इतना ही नहीं, क्रांति कुमार के दोनों बेटों में से एक 2017 तक पानीपत में रहा करते थे. वह दिव्यांग हो चुका था. वहीं दूसरा बेटा होटलों पर झूठे बर्तन धोता देखा गया था. सोशल मीडिया इस बात की काफी चर्चा हुई थी, उसके बाद क्रांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया.

Last Updated : Mar 23, 2023, 1:18 PM IST
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