ETV Bharat / state

कबड्डी की खान है हरियाणा का बुड़शाम गांव, 1987 में रखी गई थी नींव, अब 7 खिलाड़ी 'प्रो कबड्डी' में दिखाएंगे दम

हरियाणा अब सिर्फ कुश्ती और बॉक्सिंग ही नहीं बल्कि बाकि खेलों में अपनी धाक जमाने लगा है. हरियाणा के खिलाड़ी अब कबड्डी में भी देश का नाम रोशन करने को तैयार हैं. पानीपत के बड़शाम गांव (Budsham Village Panipat) में बच्चे से लेकर बड़ों तक कबड्डी का जुनून इस कदर सवार है कि युवा किसी दूसरे खेल की ओर रुख भी नहीं करते.

kabaddi village in haryana
kabaddi village in haryana
author img

By

Published : Sep 19, 2022, 11:01 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 9:30 PM IST

पानीपत: देश में जब-जब खेल और खिलाड़ियों की बात की जाती है तो हरियाणा का नाम सबसे ऊपर आता है. हरियाणा के युवाओं में खेलों को लेकर खासा जुनून भी देखने को मिलता है. खेलों की बदौलत हरियाणा में अधिकांश युवा नौकरी भी प्राप्त करते हैं और साथ ही देश का नाम भी रोशन करते हैं. हरियाणा का कोई गांव फुटबॉल, कोई बॉक्सिंग तो कोई बास्केटबॉल के लिए माना जाता है.

आज हम हरियाणा के एक ऐसे गांव की बात कर रहे हैं. जिस गांव में बच्चे से लेकर बड़ों तक कबड्डी का जुनून इस कदर सवार है कि युवा किसी दूसरे खेल की ओर रुख भी नहीं करते. हम बात कर रहे हैं पानीपत से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव बुड़शाम (Budsham Village Panipat) की. यहां के ज्यादातर युवा और बच्चे कबड्डी में रुचि रखते हैं और इसकी बदौलत ही कई युवा सरकारी नौकरियां प्राप्त कर चुके हैं. शाम होते ही छोटे बड़े सभी ग्राउंड की ओर निकल पड़ते हैं.

कबड्डी की खान है हरियाणा का बुड़शाम गांव, 1987 में रखी गई थी नींव, अब 7 खिलाड़ी 'प्रो कबड्डी' में दिखाएंगे दम

प्रो कबड्डी में दम दिखाने को तैयार: यहां के कोच रणबीर ने बताया कि गांव में नेशनल इंटरनेशनल और स्टेट लेवल के खिलाड़ियों की भरमार है और अगले महीने शुरू होने वाले प्रो कबड्डी (Haryana players in Pro Kabaddi) में भी इसी गांव के 7 खिलाड़ी रोहित गुलिया हरियाणा स्टीलर्स, मोनू बिनवाल पटना पाइरेट्स, साहिल गुलिया तेलुगु टाइटंस, सुशील गुलिया जयपुर पिंक पैंथर्स, सोमबीर गुड़िया पुनेरी पलटन और प्रशांत गुलिया भी अबकी बार हिस्सा लेंगे. इससे पहले होने वाले कबड्डी प्रो के सेशन में लगभग 12 खिलाड़ी अपना दमखम दिखा चुके हैं.

kabaddi village in haryana
कबड्डी की प्रेक्टिस करते बच्चे

1987 में रखी गई थी नींव: कहा जाता है कि इस गांव में युवाओं ने साल 1987 में कबड्डी खेल खेलना शुरू किया था. तब ग्रामीणों ने उन्हें ताना मारा था कि ये बनेंगे चैंपियन. इसके बाद उन युवाओं ने ग्रामीणों को चैंपियन बनकर दिखाया. खेल के बल पर उन खिलाड़ियों में से कुछ ने सरकारी नौकरी भी हासिल की. उनको देखने के बाद गांव में शुरू हो गया कबड्डी का चलन और 1987 से अब तक यहां के युवा यही खेल खेलते आ रहे हैं.

kabaddi village in haryana
यहां लगभग 400 बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करते हैं

खेल के जरिए मिलती है सरकारी नौकरी: यहां के 80 से 100 युवा खेल की बदौलत सेना में भर्ती हो चुके हैं और कुछ एयरफोर्स में तो कुछ अन्य जगहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कुछ युवा अन्य सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 300 से ज्यादा युवा इस कबड्डी की बदौलत सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं. कुछ साल पहले यहां सरकार द्वारा कबड्डी की नर्सरी भी खोली गई थी. पर कोरोना के चलते वो नर्सरी भी बंद हो गई और बाहर के खिलाड़ियों ने आना यहां बंद कर दिया.

kabaddi village in haryana
बुजुर्गों में भी इस खेल को लेकर काफी उत्साह है.

गांव में दो कबड्डी के ग्राउंड हैं. जहां लगभग 400 बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करते हैं और दोनों जगह पर 2 कोच जो फ्री सेवाएं देकर बच्चों को ट्रेंड करते हैं. उनका कहना है कि वो सिर्फ बच्चों के भविष्य के लिए ही अपनी सेवाएं देते हैं. वो नौकरी पर नहीं लग पाये तो खेलों की बदौलत बच्चों को एक अच्छे मुकाम पर पहुंचाना चाहते हैं. कबड्डी प्रो खेल चुके खिलाड़ी ने बताया कि कबड्डी प्रो के 6 सेशन को खेल चुके हैं और अब की बार वो हिस्सा नहीं ले पाए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार थोड़ा और ध्यान इस गांव की ओर दे तो और भी खिलाड़ी उभर कर सामने आ सकते हैं और देश का नाम दुनिया में रोशन कर सकते हैं.

पानीपत: देश में जब-जब खेल और खिलाड़ियों की बात की जाती है तो हरियाणा का नाम सबसे ऊपर आता है. हरियाणा के युवाओं में खेलों को लेकर खासा जुनून भी देखने को मिलता है. खेलों की बदौलत हरियाणा में अधिकांश युवा नौकरी भी प्राप्त करते हैं और साथ ही देश का नाम भी रोशन करते हैं. हरियाणा का कोई गांव फुटबॉल, कोई बॉक्सिंग तो कोई बास्केटबॉल के लिए माना जाता है.

आज हम हरियाणा के एक ऐसे गांव की बात कर रहे हैं. जिस गांव में बच्चे से लेकर बड़ों तक कबड्डी का जुनून इस कदर सवार है कि युवा किसी दूसरे खेल की ओर रुख भी नहीं करते. हम बात कर रहे हैं पानीपत से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव बुड़शाम (Budsham Village Panipat) की. यहां के ज्यादातर युवा और बच्चे कबड्डी में रुचि रखते हैं और इसकी बदौलत ही कई युवा सरकारी नौकरियां प्राप्त कर चुके हैं. शाम होते ही छोटे बड़े सभी ग्राउंड की ओर निकल पड़ते हैं.

कबड्डी की खान है हरियाणा का बुड़शाम गांव, 1987 में रखी गई थी नींव, अब 7 खिलाड़ी 'प्रो कबड्डी' में दिखाएंगे दम

प्रो कबड्डी में दम दिखाने को तैयार: यहां के कोच रणबीर ने बताया कि गांव में नेशनल इंटरनेशनल और स्टेट लेवल के खिलाड़ियों की भरमार है और अगले महीने शुरू होने वाले प्रो कबड्डी (Haryana players in Pro Kabaddi) में भी इसी गांव के 7 खिलाड़ी रोहित गुलिया हरियाणा स्टीलर्स, मोनू बिनवाल पटना पाइरेट्स, साहिल गुलिया तेलुगु टाइटंस, सुशील गुलिया जयपुर पिंक पैंथर्स, सोमबीर गुड़िया पुनेरी पलटन और प्रशांत गुलिया भी अबकी बार हिस्सा लेंगे. इससे पहले होने वाले कबड्डी प्रो के सेशन में लगभग 12 खिलाड़ी अपना दमखम दिखा चुके हैं.

kabaddi village in haryana
कबड्डी की प्रेक्टिस करते बच्चे

1987 में रखी गई थी नींव: कहा जाता है कि इस गांव में युवाओं ने साल 1987 में कबड्डी खेल खेलना शुरू किया था. तब ग्रामीणों ने उन्हें ताना मारा था कि ये बनेंगे चैंपियन. इसके बाद उन युवाओं ने ग्रामीणों को चैंपियन बनकर दिखाया. खेल के बल पर उन खिलाड़ियों में से कुछ ने सरकारी नौकरी भी हासिल की. उनको देखने के बाद गांव में शुरू हो गया कबड्डी का चलन और 1987 से अब तक यहां के युवा यही खेल खेलते आ रहे हैं.

kabaddi village in haryana
यहां लगभग 400 बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करते हैं

खेल के जरिए मिलती है सरकारी नौकरी: यहां के 80 से 100 युवा खेल की बदौलत सेना में भर्ती हो चुके हैं और कुछ एयरफोर्स में तो कुछ अन्य जगहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कुछ युवा अन्य सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 300 से ज्यादा युवा इस कबड्डी की बदौलत सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं. कुछ साल पहले यहां सरकार द्वारा कबड्डी की नर्सरी भी खोली गई थी. पर कोरोना के चलते वो नर्सरी भी बंद हो गई और बाहर के खिलाड़ियों ने आना यहां बंद कर दिया.

kabaddi village in haryana
बुजुर्गों में भी इस खेल को लेकर काफी उत्साह है.

गांव में दो कबड्डी के ग्राउंड हैं. जहां लगभग 400 बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करते हैं और दोनों जगह पर 2 कोच जो फ्री सेवाएं देकर बच्चों को ट्रेंड करते हैं. उनका कहना है कि वो सिर्फ बच्चों के भविष्य के लिए ही अपनी सेवाएं देते हैं. वो नौकरी पर नहीं लग पाये तो खेलों की बदौलत बच्चों को एक अच्छे मुकाम पर पहुंचाना चाहते हैं. कबड्डी प्रो खेल चुके खिलाड़ी ने बताया कि कबड्डी प्रो के 6 सेशन को खेल चुके हैं और अब की बार वो हिस्सा नहीं ले पाए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार थोड़ा और ध्यान इस गांव की ओर दे तो और भी खिलाड़ी उभर कर सामने आ सकते हैं और देश का नाम दुनिया में रोशन कर सकते हैं.

Last Updated : Oct 10, 2022, 9:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.