पानीपत: औद्योगिक नगरी पानीपत में फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी लोगों के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है. यहां पर फैक्ट्रियों के बाहर जगह-जगह गंदे पानी के तालाब बन गए हैं. इन तालाबों से उठने वाली बदबू से यहां के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. बारिश के दिनों में स्थिति ये हो जाती है कि सड़क पर निकलना भी दुभर हो जाता है. ये गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है. जिसकी वजह से कई खतरनाक बीमारियां भी फैल जाती हैं.
फैट्रियों के बाहर बने जोहड़
लोगों का कहना है कि इंडस्ट्री सरकार को इतना टैक्स देती है, लेकिन सरकार ने पानीपत की फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी के निस्तारण के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया है. वहीं पानीपत निवासी प्रदीप ने बताया कि गंदे पानी की वजह से सड़कें भी टूट गई हैं. राजकुमार नाम के दुकानदार का कहना है कि बरसात की वजह से उसकी चाय ब्रेड की दुकान है. वो कई बार बारिश के दिनों में फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी में गिर गया, जिसकी वजह से उसका सारा सामान खराब हो गया.
साथ ही वार्ड पार्षद दुष्यंत भट्ट का कहना है कि यहां प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है. बारिश आते ही फैक्ट्री वाले सड़कों पर गंदा पानी छोड़ देते हैं. उनका कहना है कि पानीपत में ये समस्या कोई आज की समस्या नहीं है. करीब 15 सालों से शहर का यही हाल है. हर साल यहां फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी की वजह से मलेरिया, टाइफाइड जैसी खतरनाक बीमारियों फैलती हैं और लोग बीमार होते हैं.
वहीं डाई हाउस के प्रधान भीम राणा दावा का दावा है कि शहर में दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं. जो पूरी तरह से पानी का निस्तारण कर देते हैं. पानी के निस्तारण के बाद ये पानी ड्रेन नंबर-1 में छोड़ दिया जाता है, लेकिन जब पानीपत शहर के फैक्ट्रियों वाले एरिया में जाएंगे तो आपको कहीं पर भी फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी के जोड़ह नजर आ जाएंगे.
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वैसे आपको बता दें कि पानीपत में 21-21 एमएलडी के दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं. साथ ही प्रशासन की ओर से पानी की निकासी के लिए जो सीवर के काम ठप पड़े थे, उनको भी 17 करोड़ की लागत से ठीक करवाया गया. बावजूद इसके शहर में जगह-जगह गंदे पानी के जोहड़ बन गए हैं. एशिया की सबसे बड़ी टैक्सटाइल इंडस्ट्री होने के बाद पानीपत शहर का ये हाल है.