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बारिश में हर साल देश से कट जाता है हरियाणा का ये गांव, ट्यूब की नांव बनाकर बच्चे जाते हैं स्कूल

तेजी से बदलते दौर में हरियाणा का एक गांव (rahimpur khedi village haryana) ऐसा भी है जो मानसून के दिनों में एक टापू में तब्दील हो जाता है. यहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है और वो ट्यूब की नांव बनाकर स्कूल जाते हैं. इतनी सारी समस्याएं होने के बावजूद सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है.

Panipat people cross Yamuna river with tyre tube
बारिश में हर साल देश से कट जाता है हरियाणा का ये गांव, ट्यूब की नांव बनाकर बच्चे जाते हैं स्कूल
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Published : Jul 30, 2021, 10:52 PM IST

पानीपत: आज हम भले ही 21वीं सदी में आधुनिक जीवन जीने की बात करते हो लेकिन हरियाणा में एक गांव ऐसा भी है जिसकी तस्वीरें देखकर आप चौंक जाएंगे की यहां सड़क, पीने का पानी, पक्के मकान तो दूर की बात है. बल्कि यहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. ये बच्चे जब घर से निकलते हैं तो परिजनों को ये डर लगा रहता है कि उनके जिगर का टूकड़ा आज वापस घर लौटेगा भी या नहीं.

दरअसल रहीमपुर खेड़ी गांव (rahimpur khedi) पानीपत जिले में यमुना नदी की तलहटी से सटा हुआ है. यहां मानसून के दिनों में हर साल ऐसी ही स्थिति होती है. बारिश के बाद यहां पैदल चलने के लिए भी रास्ता नहीं बचता और अन्य जिलों से संपर्क भी टूट जाता है. रहीमपुर खेड़ी में करीब 80 घर हैं लेकिन बद से बदतर होते हालातों की वजह से आधे से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं. हर साल बारिश के दिनों में 60 साल पुराना ये गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

बारिश में हर साल देश से कट जाता है हरियाणा का ये गांव, ट्यूब की नांव बनाकर बच्चे जाते हैं स्कूल

ये भी पढ़ें: बारिश में डूबा आधा से ज्यादा हरियाणा का ये जिला! ढह गई दुकान, चारों तरफ जलभराव

अगर किसी व्यक्ति को पड़ोसी गांव मुर्जापुर तक जाना हो या फिर बच्चों को स्कूल जाना हो तो उन्हें ट्रैक्टर के टायर की ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल ये ही हालात होते हैं और वो कई बार सरकार से यहां पुल बनाने की मांग कर चुके हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता और अब ये उनकी मजबूरी बन चुकी है. इस गावं के बच्चों को स्कूल के लिए भी अपनी जान जोखिम डालनी पड़ती है. बच्चों का कहना है कि ट्यूब पर बैठ कर नदी पार करते वक्त बहुत डर लगता है. उन्हें नदी पार करवाने के लिए परिजन उनके साथ जाते हैं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में भारी बारिश से भरभरा कर गिरा मकान का हिस्सा, देखें वीडियो

वहीं गांव के बड़े बुजर्गों का कहना है कि इस गांव में न स्कूल और ना ही कोई अन्य सुविधाएं है. यहां बिजली भी 6 साल पहले 2014 में ही आई है. लेकिन अब सरकार आंखें मूंदे बैठी है और हमें कोई सुविधाएं नहीं दे रही है. लोगों का कहना है कि हर साल बारिश की वजह से उनकी फसल भी खराब हो जाती है लेकिन प्रशासन का हमारी मांगों को अनसुना कर दता है. इन दिनों यमुना नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और आने वाले दिनों में यमुना और विकराल रूप ले सकती है. लोगों का कहना है कि अगर सकार उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान दें तो उनकी मुश्किलें थोड़ी कम हो जाएगी.

पानीपत: आज हम भले ही 21वीं सदी में आधुनिक जीवन जीने की बात करते हो लेकिन हरियाणा में एक गांव ऐसा भी है जिसकी तस्वीरें देखकर आप चौंक जाएंगे की यहां सड़क, पीने का पानी, पक्के मकान तो दूर की बात है. बल्कि यहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. ये बच्चे जब घर से निकलते हैं तो परिजनों को ये डर लगा रहता है कि उनके जिगर का टूकड़ा आज वापस घर लौटेगा भी या नहीं.

दरअसल रहीमपुर खेड़ी गांव (rahimpur khedi) पानीपत जिले में यमुना नदी की तलहटी से सटा हुआ है. यहां मानसून के दिनों में हर साल ऐसी ही स्थिति होती है. बारिश के बाद यहां पैदल चलने के लिए भी रास्ता नहीं बचता और अन्य जिलों से संपर्क भी टूट जाता है. रहीमपुर खेड़ी में करीब 80 घर हैं लेकिन बद से बदतर होते हालातों की वजह से आधे से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं. हर साल बारिश के दिनों में 60 साल पुराना ये गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

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अगर किसी व्यक्ति को पड़ोसी गांव मुर्जापुर तक जाना हो या फिर बच्चों को स्कूल जाना हो तो उन्हें ट्रैक्टर के टायर की ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल ये ही हालात होते हैं और वो कई बार सरकार से यहां पुल बनाने की मांग कर चुके हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता और अब ये उनकी मजबूरी बन चुकी है. इस गावं के बच्चों को स्कूल के लिए भी अपनी जान जोखिम डालनी पड़ती है. बच्चों का कहना है कि ट्यूब पर बैठ कर नदी पार करते वक्त बहुत डर लगता है. उन्हें नदी पार करवाने के लिए परिजन उनके साथ जाते हैं.

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वहीं गांव के बड़े बुजर्गों का कहना है कि इस गांव में न स्कूल और ना ही कोई अन्य सुविधाएं है. यहां बिजली भी 6 साल पहले 2014 में ही आई है. लेकिन अब सरकार आंखें मूंदे बैठी है और हमें कोई सुविधाएं नहीं दे रही है. लोगों का कहना है कि हर साल बारिश की वजह से उनकी फसल भी खराब हो जाती है लेकिन प्रशासन का हमारी मांगों को अनसुना कर दता है. इन दिनों यमुना नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और आने वाले दिनों में यमुना और विकराल रूप ले सकती है. लोगों का कहना है कि अगर सकार उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान दें तो उनकी मुश्किलें थोड़ी कम हो जाएगी.

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