पानीपत: लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ उद्योगों को खोलने की अनुमति दी है, लेकिन परमिशन मिलने के बाद भी पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दरअसल सरकार ने उद्योग खोलने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजा जा रहा है. ऐसे में अगर मजदूर ही नहीं होंगे तो भला फैक्ट्रियों में काम कैसे होगा? साथ ही अगर फैक्ट्री में कम मजदूर काम करेंगे तो प्रोडक्शन भी कम होगा, जिससे फैक्ट्री मालिकों को घाटा होना तय है.
पानीपत के टेक्सटाइल उद्योग से सालाना 70 हजार करोड़ का कारोबार होता है, लेकिन ये उद्योग भी लॉकडाउन की वजह से 40 दिनों तक बंद था. अब जब हरियाणा सरकार ने टेक्सटाइल कंपनियों को खोलने की अनुमति दी है तो ऐसे हालात में प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक पानीपत में करीब 3 लाख से ज्यादा मजदूर काम करते हैं और अभी सिर्फ 15 हजार मजदूर ही दोबारा काम पर लौटे हैं. उद्योगपतियों की मांग हैं कि जल्द से बंद पड़ी यूनिटों को शुरू किया जाए, नहीं तो मजदूर जब अपने घर चले जाएंगे तो वापस आना असंभव हो जाएगा. जिससे 3 महीने तक उद्योग दोबारा बंद हो सकता है.
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वहीं स्पिनिंग मिल और अन्य यूनिट के मालिक चाहते हैं कि सरकार मजदूरों को रोकने के लिए कुछ इंतजाम करे. पानीपत इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सचदेवा ने कहा कि जो मजदूर पानीपत में हैं, वो सब घर जाना चाहते हैं. सरकार की ओर से फैक्ट्री में सिर्फ 50% मजदूरों को काम करने की अनुमति मिली हुई हैं. उनकी संख्या बढ़ाई जाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो आधे मजदूरों के साथ काम करने पर फैक्ट्री का प्रोडक्शन कम हो जाएगा.