पानीपत जींद फोरलेन प्रोजेक्ट में फिर से रुकावट आ गई है. दरअसल इस सड़क के निर्माण में वन विभाग की जमीन का इस्तेमाल होगा. इस पर लगे पेड़ काटने होंगे. ऐसे में वन विभाग ने जिला प्रशासन से रोड में इस्तेमाल होने वाली जमीन के बदले 32 एकड़ भूमि की मांग की है. जब तक जमीन नहीं दी जाएगी. प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाएगा. अब पानीपत जिला प्रशासन वन विभाग को देने के लिए पंचायती जमीन तलाश रहा है.
इसके लिए रोड के आस पास जमीन की तलाश की जा रही है. पानीपत की सीमा के बाद जींद जिले की सीमा होती है. ऐसी ही समस्या जींद जिला प्रशासन के भी साथ है. जींद जिला प्रशासन को वन विभाग को 37 एकड़ जमीन बदले में देनी होगी. इसी कारण प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. करीब 65 किलोमीटर बनने वाला ये रोड पानीपत से सफीदों तक फोरलेन बनेगा. रोड की चौड़ाई 15 मीटर की होगी. पानीपत जिले की सीमा में करीब 23 किलोमीटर रोड का निर्माण होना है.
सफीदों से जींद तक ये रोड 10 मीटर चौड़ा हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर 184.44 करोड़ रुपये का खर्च होगा. ये फंड केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से मार्च 2023 में जारी रही हो चुका है. इस रोड निर्माण के लिए करीब 5000 पेड़ काटने पड़ेंगे. पानीपत जींद रोड फोरलेन प्रोजेक्ट को लेकर रेलवे और सिंचाई विभाग ने नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया है. जबकि वन विभाग से NOC बाकी है. इस प्रोजेक्ट के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनी है.
कमेटी में डीसी, एडीसी, DFO और PWD समेत कई विभागों के अधिकारी शामिल हैं. इस कमेटी द्वारा मासिक बैठक की जाती है. 19 बार ये बैठक हो चुकी है. इसके बावजूद भी प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पा रहा है. वहीं जिला उपायुक्त विरेंद्र दहिया ने बताया कि पानीपत-सफीदों-जींद रोड को फोरलेन कराया जाना है. इस पर स्क्रीनिंग कमेटी की लगातार बैठक हो रही है. वन विभाग को 32 एकड़ जमीन देनी है. रोड के आस पास के गांव के पंचायत की जमीन दी जाएगी. जिला राजस्व अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं. जल्द ही जमीन वन विभाग को दे दी जाएगी.