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Panipat Ghevar Specialty: 60 दिन के सीजन की मिठाई, ...इसलिए मशहूर है पानीपत के समालखा का घेवर - पानीपत का घेवर मशहूर

बस अब सावन का महीना शुरू ही होने वाला है. सावन माह की बात हो और पानीपत के घेवर की चर्चा ना हो यह भला कैसे संभव है. पानीपत के समालखा का घेवर लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. आखिर समालखा के घेवर की क्या खासियत है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (Panipat ghevar specialty)

Panipat Ghevar Specialty
पानीपत का घेवर मशहूर.
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Published : Jul 2, 2023, 12:16 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 12:41 PM IST

पानीपत के समालखा का घेवर.

पानीपत: अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं और आपने हरियाणा के पानीपत जिले के खंड समालखा का मशहूर घेवर नहीं खाया तो समझिए आपने कुछ नहीं खाया. सावन माह की शुरुआत से ही समालखा का बाजार घेवर की मिठाई से सज जाता है प्रदेश के हर कोने में समालखा का बना घेवर ही बिकता है. दूसरे राज्यों के लोग और नेशनल हाईवे-44 से गुजरने वाले सभी लोग इस घेवर का स्वाद चखने के लिए समालखा में जरूर आते हैं.

ये भी पढ़ें: Neeraj Chopra Won Gold Medal: नीरज चोपड़ा ने डायमंड लीग में जीता गोल्ड तो गांव में दौड़ी खुशी की लहर, चाचा बोले- हर बच्चा उसके जैसा बनना चाहता है

क्यों खास है पानीपत का घेवर?: कई दशकों से समालखा का घेवर मशहूर है दरअसल साथ लगते जिले सोनीपत में इस मिठाई को बनाने की शुरुआत की गई थी यह घेवर सिर्फ हरियाणा में ही बनता है और बिकता है पर जिस जिले में इस मिठाई की शुरुआत हुई वहां के बने घेवर का स्वाद पानीपत जिले के समालखा खंड के बने घेवर के सामने फीका पड़ जाता है. इस मिठाई को बनाने वाले दुकानदार और हलवाई बताते हैं कि यहां के पानी से इस मिठाई का स्वाद और बढ़ जाता है क्योंकि यहां का पानी मीठा होने के चलते इस मिठाई में नमी रहती है और यह अधिक स्वादिष्ट बनती है.

Panipat Ghevar Specialty
पानीपत जिले के समालखा का घेवर मशहूर.

दूर-दूर से लेने पहुंचते हैं लोग: पानीपत का समालखा खंड कश्मीर से कन्याकुमारी जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-44 पर बसा हुआ है. हर समय व्यस्त रहने वाले इस रोड पर दूर-दूर के लोग सफर करते हैं. जिन लोगों को पता है वह यहां से गुजरते हुए एलिवेटेड हाईवे का प्रयोग ना करके बल्कि नीचे से सर्विस रोड से समालखा के घेवर स्वाद चखने के लिए जरूर आते हैं. इतना ही नहीं यहां से थोक के भाव में घेवर सप्लाई किया जाता है. वह हरियाणा के हर कोने में पहुंचता है और लोगों को पता लगते ही लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं कि यह समालखा का घेवर है.

Panipat Ghevar Specialty
दूर-दूर से समालखा का घेवर लेने आते हैं लोग.

ये भी पढ़ें: पानीपत में बारिश से धान की रोपाई ने पकड़ी रफ्तार, जिले में 70,000 हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य

घेवर मिठाई सिर्फ 60 दिन के सीजन की मिठाई है. यह सावन का महीना शुरू होते ही दुकानों में बनने लगती है. जन्माष्टमी तक इस मिठाई को बनाया जाता है. अगर इस मिठाई को जन्माष्टमी के बाद बनाया जाए तो यह अच्छे ढंग से नहीं बनती और ना ही स्वाद आता है. - दिनेश, दुकानदार

क्या कहते हैं दुकानदार?: दुकानदार दिनेश कुमार बताते हैं कि, उनकी तीन पीढ़ियां इसी कार्य में लगी हुई है. पहले उसके दादाजी घेवर बनाते थे और यही समालखा के बाजार में बेचते थे फिर उसके बाद उनके पिता ने भी यही कार्य शुरू कर दिया अब वह भी इसी कार्य को ही करते हैं. दिनेश ने बताया कि यह मिठाई सिर्फ 60 दिन के सीजन की मिठाई है. यह सावन शुरू होते ही दुकानों पर बनना शुरू हो जाती है और जन्माष्टमी तक इस मिठाई को बनाया जाता है. दिनेश ने बताया कि अगर इस मिठाई को जन्माष्टमी के बाद बनाया जाए तो यह अच्छे ढंग से नहीं बन पाती है.

Panipat Ghevar Specialty
पानीपत जिले के समालखा का घेवर मशहूर.

घेवर 150 से 700 रुपये किलो: सावन में आने वाले त्योहार तीज घेवर का बड़ा महत्व है माता पिता की घर से बेटी के घर से पहुंचने वाली मिठाइयों में घेवर का रोल अहम होता है और इस दिन घेवर की बिक्री भी ज्यादा होती है. अगर रेट की बात करें तो 150 रुपए से लेकर ₹700 प्रति किलो की कीमत के घेवर यहां बनते हैं. ज्यादा बिक्री दूध से बनने वाले लाल घेवर की होती है. इसके अलावा सफेद घेवर, केसर घेवर के अलावा कई और घेवर भी मार्केट में बिकता है.

Panipat Ghevar Specialty
हरियाणा समेत कई जगहों पर समालखा के घेवर की सप्लाई.

पानीपत के समालखा का घेवर.

पानीपत: अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं और आपने हरियाणा के पानीपत जिले के खंड समालखा का मशहूर घेवर नहीं खाया तो समझिए आपने कुछ नहीं खाया. सावन माह की शुरुआत से ही समालखा का बाजार घेवर की मिठाई से सज जाता है प्रदेश के हर कोने में समालखा का बना घेवर ही बिकता है. दूसरे राज्यों के लोग और नेशनल हाईवे-44 से गुजरने वाले सभी लोग इस घेवर का स्वाद चखने के लिए समालखा में जरूर आते हैं.

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क्यों खास है पानीपत का घेवर?: कई दशकों से समालखा का घेवर मशहूर है दरअसल साथ लगते जिले सोनीपत में इस मिठाई को बनाने की शुरुआत की गई थी यह घेवर सिर्फ हरियाणा में ही बनता है और बिकता है पर जिस जिले में इस मिठाई की शुरुआत हुई वहां के बने घेवर का स्वाद पानीपत जिले के समालखा खंड के बने घेवर के सामने फीका पड़ जाता है. इस मिठाई को बनाने वाले दुकानदार और हलवाई बताते हैं कि यहां के पानी से इस मिठाई का स्वाद और बढ़ जाता है क्योंकि यहां का पानी मीठा होने के चलते इस मिठाई में नमी रहती है और यह अधिक स्वादिष्ट बनती है.

Panipat Ghevar Specialty
पानीपत जिले के समालखा का घेवर मशहूर.

दूर-दूर से लेने पहुंचते हैं लोग: पानीपत का समालखा खंड कश्मीर से कन्याकुमारी जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-44 पर बसा हुआ है. हर समय व्यस्त रहने वाले इस रोड पर दूर-दूर के लोग सफर करते हैं. जिन लोगों को पता है वह यहां से गुजरते हुए एलिवेटेड हाईवे का प्रयोग ना करके बल्कि नीचे से सर्विस रोड से समालखा के घेवर स्वाद चखने के लिए जरूर आते हैं. इतना ही नहीं यहां से थोक के भाव में घेवर सप्लाई किया जाता है. वह हरियाणा के हर कोने में पहुंचता है और लोगों को पता लगते ही लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं कि यह समालखा का घेवर है.

Panipat Ghevar Specialty
दूर-दूर से समालखा का घेवर लेने आते हैं लोग.

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घेवर मिठाई सिर्फ 60 दिन के सीजन की मिठाई है. यह सावन का महीना शुरू होते ही दुकानों में बनने लगती है. जन्माष्टमी तक इस मिठाई को बनाया जाता है. अगर इस मिठाई को जन्माष्टमी के बाद बनाया जाए तो यह अच्छे ढंग से नहीं बनती और ना ही स्वाद आता है. - दिनेश, दुकानदार

क्या कहते हैं दुकानदार?: दुकानदार दिनेश कुमार बताते हैं कि, उनकी तीन पीढ़ियां इसी कार्य में लगी हुई है. पहले उसके दादाजी घेवर बनाते थे और यही समालखा के बाजार में बेचते थे फिर उसके बाद उनके पिता ने भी यही कार्य शुरू कर दिया अब वह भी इसी कार्य को ही करते हैं. दिनेश ने बताया कि यह मिठाई सिर्फ 60 दिन के सीजन की मिठाई है. यह सावन शुरू होते ही दुकानों पर बनना शुरू हो जाती है और जन्माष्टमी तक इस मिठाई को बनाया जाता है. दिनेश ने बताया कि अगर इस मिठाई को जन्माष्टमी के बाद बनाया जाए तो यह अच्छे ढंग से नहीं बन पाती है.

Panipat Ghevar Specialty
पानीपत जिले के समालखा का घेवर मशहूर.

घेवर 150 से 700 रुपये किलो: सावन में आने वाले त्योहार तीज घेवर का बड़ा महत्व है माता पिता की घर से बेटी के घर से पहुंचने वाली मिठाइयों में घेवर का रोल अहम होता है और इस दिन घेवर की बिक्री भी ज्यादा होती है. अगर रेट की बात करें तो 150 रुपए से लेकर ₹700 प्रति किलो की कीमत के घेवर यहां बनते हैं. ज्यादा बिक्री दूध से बनने वाले लाल घेवर की होती है. इसके अलावा सफेद घेवर, केसर घेवर के अलावा कई और घेवर भी मार्केट में बिकता है.

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हरियाणा समेत कई जगहों पर समालखा के घेवर की सप्लाई.
Last Updated : Jul 2, 2023, 12:41 PM IST
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