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महंगाई और मंदी की मार झेल रहा पानीपत कंबल उद्योग, 60 प्रतिशत तक मंदा हुआ व्यापार

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Published : Jul 26, 2022, 10:16 AM IST

Updated : Jul 26, 2022, 10:58 AM IST

बढ़ती महंगाई और मंदी की मार ने पानीपत के कंबल उद्योग (Panipat blanket industry) को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस साल मिंक और पोलर कंबल की मांग में भारी गिरावट देखी गई है. इस वजह से प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं.

Panipat blanket industry hit by Recession
महंगाई और मंदी की मार झेल रहा पानीपत कंबल उद्योग, 60 प्रतिशत तक मंदा हुआ व्यापार

पानीपत: पानीपत का हैंडलूम उद्योग भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां बनने वाली कंबल और चादरें पूरी दुनिया के बाजारों में अपनी एक पहचान रखती है. लेकिन अब ये इंडस्ट्री पिछड़ती चली जा रही है. कारण है मंदी और बढ़ती महंगाई जिसकी वजह से पूरी इंडस्ट्री संकट में आ खड़ी (Panipat blanket industry hit by Recession) है. अब इस इंडस्ट्री को केवल और केवल सरकार से ही राहत की उम्मीद है.

दरअसल मंदी की मार झेल रहा पानीपत का कंबल उद्योग धागा के रेट बढ़ने के कारण एक बार फिर खत्म होने की कगार पर है. जबकि इसी कंबल इंडस्ट्री ने करोना काल के बाद चीन को पछाड़ते हुए पानीपत में कंबल व्यापार को बारह हजार करोड़ रुपये से लेकर बीस हजार करोड़ तक पहुंचा दिया था. लेकिन अब क्रूड ऑयल के दामों में इजाफा होने के कारण महंगाई बढ़ी (Panipat blanket industry hit by inflation) है जिससे धागे के रेट भी बढ़ गए हैं. इसकी वजह से साठ प्रतिशत फैक्ट्रियों में काम काज प्रभावित हो चुका है. जबकि चालीस प्रतिशत फैक्ट्रियों में महज 12 घंटे का काम चल रहा है.

महंगाई और मंदी की मार झेल रहा पानीपत कंबल उद्योग, 60 प्रतिशत तक मंदा हुआ व्यापार

बंद हो चुका है मशहूर एक्रेलिक कंबल का व्यापार- कभी पानीपत एक्रेलिक कंबलों के लिए मशहूर हुआ करता (Panipat famous for acrylic blankets) था लेकिन अब इस कंबल का व्यापार सिमट कर रह चुका है. इसके सिमटने के पीछे भी धागों के रेट में उतार चढ़ाव था. पिछले 15 से 16 सालों के दौरान करीब सवा दोसौ बड़ी एक्रेलिक कंबलो की फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. अब एक्रेलिक कंबल की मात्र 25 फैक्ट्रियां ही बची हैं. बाकी एक्रेलिक कंबल की जगह में पोलर कंबल का उत्पादन शुरू हो चुका है.

Panipat blanket industry hit by Recession
पानीपत का कंबल उद्योग धागा के रेट बढ़ने के कारण एक बार फिर खत्म होने की कगार पर है

मिंक कंबल का उत्पादन कर रही सैकड़ों फैक्ट्रियां- पानीपत में इन दिनों सैकड़ों फैक्ट्रियां 150 से 200 टन तक मिंक कंबल का उत्पादन कर रही (Mink Blanket Production Panipat) है. इसे बनाने के विदेशों से मशीनें भी मंगाई जा रही है. मिंक कंबल बनाने वाले धागे का रेट भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. धागे के रेट बढ़ने के कारण मिंक कंबल के उत्पादन में भी कमी आई है.

Panipat blanket industry hit by Recession
पानीपत में बनने वाले कंबल के धागों की क्वालीटी काफी कमतर आंकी जाती है.

इसके पीछे दो कारण है. पहला यह कि मार्केट में चीन में बने कंबलों की मांग एक फिर से बढ़ रही है. दूसरा यह कि चीन के मुकाबले पानीपत में बनने वाले कंबलों में प्रयोग होने वाले धागों की क्वालिटी काफी कम मानी जा रही है. बढ़ते धागों के दाम की वजह से पानीपत में बनने वाले कंबल की लागत में भी इजाफा हो रहा है जिसके कारण यहां का कंबल महंगा हो जाता है.

स्टॉक के लिए अप्रैल में शुरू हो जाती थी फैक्ट्रियां- फेडरेशन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Federation Industries Association) के चेयरमैन भीम राणा ने बताया कि अप्रैल महीने के अंतिम में ही मिंक कंबल और पोलर कंबल की फैक्ट्रियां शुरू हो जाती थी. एक्सपोर्टर का इतना ज्यादा ऑर्डर उनके पास होता था कि चौबीस घंटे मशीने चलती रहती थी. लेकिन अब जुलाई खत्म होने को है पर पचास प्रतिशत फैक्ट्रियां बंद पड़ी है. जो चालू है उनमें भी सिर्फ 12 घंटे की ही शिफ्ट में काम लिया जा रहा है.

Panipat blanket industry hit by Recession
फैक्ट्रियों में सिर्फ 12 घंटे ही काम चल रहा है.

सरकार की अनदेखी नीतियां बनी मंदी का कारण- भीम राणा ने बताया कि पांच से सात साल पहले पचास हजार करोड़ रुपये का कंबल और बेडशीट भारत से एक्सपोर्ट किया जाता था. परंतु इस समय ऐसी कंडीशन आ गई कि पानीपत से कंबल और बेडशीट एक्सपोर्ट किया जाने लगा परंतु सरकार की कुछ अनदेखी नीतियों के कारण यह फिर से मंदी के कगार पर आ गया है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

सुनसान पड़ा है कंबल मार्केट- कंबल व्यापार मंडल अध्यक्ष सुरेश बवेजा बताते हैं कि पानीपत का डोमेस्टिक मार्केट (Domestic Market Panipat) जहां से पूरे भारत देश में कंबल की सप्लाई की जाती थी वहां भी इस समय महंगाई के कारण हालात बदल चुके हैं लोकल छोटे व्यापारी भी माल खरीदने के लिए नहीं पहुंच रहे. इन दिनों मार्केट में भारत देश से आए हुए खरीदारों की चहल-पहल हुआ करती थी परंतु अभी मार्केट सुनसान पड़ा है.

पानीपत: पानीपत का हैंडलूम उद्योग भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां बनने वाली कंबल और चादरें पूरी दुनिया के बाजारों में अपनी एक पहचान रखती है. लेकिन अब ये इंडस्ट्री पिछड़ती चली जा रही है. कारण है मंदी और बढ़ती महंगाई जिसकी वजह से पूरी इंडस्ट्री संकट में आ खड़ी (Panipat blanket industry hit by Recession) है. अब इस इंडस्ट्री को केवल और केवल सरकार से ही राहत की उम्मीद है.

दरअसल मंदी की मार झेल रहा पानीपत का कंबल उद्योग धागा के रेट बढ़ने के कारण एक बार फिर खत्म होने की कगार पर है. जबकि इसी कंबल इंडस्ट्री ने करोना काल के बाद चीन को पछाड़ते हुए पानीपत में कंबल व्यापार को बारह हजार करोड़ रुपये से लेकर बीस हजार करोड़ तक पहुंचा दिया था. लेकिन अब क्रूड ऑयल के दामों में इजाफा होने के कारण महंगाई बढ़ी (Panipat blanket industry hit by inflation) है जिससे धागे के रेट भी बढ़ गए हैं. इसकी वजह से साठ प्रतिशत फैक्ट्रियों में काम काज प्रभावित हो चुका है. जबकि चालीस प्रतिशत फैक्ट्रियों में महज 12 घंटे का काम चल रहा है.

महंगाई और मंदी की मार झेल रहा पानीपत कंबल उद्योग, 60 प्रतिशत तक मंदा हुआ व्यापार

बंद हो चुका है मशहूर एक्रेलिक कंबल का व्यापार- कभी पानीपत एक्रेलिक कंबलों के लिए मशहूर हुआ करता (Panipat famous for acrylic blankets) था लेकिन अब इस कंबल का व्यापार सिमट कर रह चुका है. इसके सिमटने के पीछे भी धागों के रेट में उतार चढ़ाव था. पिछले 15 से 16 सालों के दौरान करीब सवा दोसौ बड़ी एक्रेलिक कंबलो की फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. अब एक्रेलिक कंबल की मात्र 25 फैक्ट्रियां ही बची हैं. बाकी एक्रेलिक कंबल की जगह में पोलर कंबल का उत्पादन शुरू हो चुका है.

Panipat blanket industry hit by Recession
पानीपत का कंबल उद्योग धागा के रेट बढ़ने के कारण एक बार फिर खत्म होने की कगार पर है

मिंक कंबल का उत्पादन कर रही सैकड़ों फैक्ट्रियां- पानीपत में इन दिनों सैकड़ों फैक्ट्रियां 150 से 200 टन तक मिंक कंबल का उत्पादन कर रही (Mink Blanket Production Panipat) है. इसे बनाने के विदेशों से मशीनें भी मंगाई जा रही है. मिंक कंबल बनाने वाले धागे का रेट भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. धागे के रेट बढ़ने के कारण मिंक कंबल के उत्पादन में भी कमी आई है.

Panipat blanket industry hit by Recession
पानीपत में बनने वाले कंबल के धागों की क्वालीटी काफी कमतर आंकी जाती है.

इसके पीछे दो कारण है. पहला यह कि मार्केट में चीन में बने कंबलों की मांग एक फिर से बढ़ रही है. दूसरा यह कि चीन के मुकाबले पानीपत में बनने वाले कंबलों में प्रयोग होने वाले धागों की क्वालिटी काफी कम मानी जा रही है. बढ़ते धागों के दाम की वजह से पानीपत में बनने वाले कंबल की लागत में भी इजाफा हो रहा है जिसके कारण यहां का कंबल महंगा हो जाता है.

स्टॉक के लिए अप्रैल में शुरू हो जाती थी फैक्ट्रियां- फेडरेशन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Federation Industries Association) के चेयरमैन भीम राणा ने बताया कि अप्रैल महीने के अंतिम में ही मिंक कंबल और पोलर कंबल की फैक्ट्रियां शुरू हो जाती थी. एक्सपोर्टर का इतना ज्यादा ऑर्डर उनके पास होता था कि चौबीस घंटे मशीने चलती रहती थी. लेकिन अब जुलाई खत्म होने को है पर पचास प्रतिशत फैक्ट्रियां बंद पड़ी है. जो चालू है उनमें भी सिर्फ 12 घंटे की ही शिफ्ट में काम लिया जा रहा है.

Panipat blanket industry hit by Recession
फैक्ट्रियों में सिर्फ 12 घंटे ही काम चल रहा है.

सरकार की अनदेखी नीतियां बनी मंदी का कारण- भीम राणा ने बताया कि पांच से सात साल पहले पचास हजार करोड़ रुपये का कंबल और बेडशीट भारत से एक्सपोर्ट किया जाता था. परंतु इस समय ऐसी कंडीशन आ गई कि पानीपत से कंबल और बेडशीट एक्सपोर्ट किया जाने लगा परंतु सरकार की कुछ अनदेखी नीतियों के कारण यह फिर से मंदी के कगार पर आ गया है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

सुनसान पड़ा है कंबल मार्केट- कंबल व्यापार मंडल अध्यक्ष सुरेश बवेजा बताते हैं कि पानीपत का डोमेस्टिक मार्केट (Domestic Market Panipat) जहां से पूरे भारत देश में कंबल की सप्लाई की जाती थी वहां भी इस समय महंगाई के कारण हालात बदल चुके हैं लोकल छोटे व्यापारी भी माल खरीदने के लिए नहीं पहुंच रहे. इन दिनों मार्केट में भारत देश से आए हुए खरीदारों की चहल-पहल हुआ करती थी परंतु अभी मार्केट सुनसान पड़ा है.

Last Updated : Jul 26, 2022, 10:58 AM IST
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