पानीपत: राजस्थान के बीकानेर में भेड़ की ऊन की मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है. लेकिन भारत की आजादी से पहले हरियाणा के पानीपत में बनी भेड़ की ऊन की मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडी हुआ करती थी. लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं की अब इस मंडी में सिर्फ 2 प्रतिशत काम रह गया है. कभी इस मंडी में 15 से 20 लाख किलो उन की आवक होती थी लेकिन अब ये केवल 1 लाख किलो तक ही रह गई है. कभी यहां 30 से 40 आढ़ती हमेशा माल की बोली के लिए खड़े रहते थे लेकिन अब सिर्फ दो-चार आढ़ती ही रह गए हैं.
इस मंडी में मौजूद ऊन के व्यापारियों ने सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार की अनदेखी के कारण उनकी ये दुर्दशा हुई है. उन्होंने बताया कि जब देश के सभी राज्यों में भेड की ऊन पर वैट नहीं था तब भी हरियाणा सरकार भेड़ की उन पर वैट लगाती थी और आज भी लगाया जाता है जिससे ये मंडी राजस्थान में शिफ्ट हो गई और वहां सरकार द्वारा सारी सुविधाएं दी जाती है.
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व्यापारियों का कहना है कि हरियाणा में जमीन महंगी है जिसकी वजह से आढ़ती अपना व्यवसाय को नहीं बढ़ा सके. उनका कहना है कि आजादी से पहले जब यहां हैंडलूम का काम शुरू हुआ था तो भेड़ की ऊन से बनने वाले गलीचों की बहुत मांग थी. उन्होंने कहा कि कई बार राज्य सरकार को पत्र लिखने के बाद भी इस मंडी की तरह कोई ध्यान नहीं दिया गया और धीरे-धीरे ये मंडी राजस्थान के बीकानेर में शिफ्ट होती चली गई.
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व्यापारियों का कहना है कि चाहे वो मौजूदा सरकार हो या फिर पहले की सरकारें, उनकी अनदेखी के कारण ये दुर्दशा हुई है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अब भी उनके व्यवसाय पर ध्यान दें तो वो रिकवरी भी कर सकते हैं, अपने काम को बढ़ा कर दोबारा से इस मंडी की तरफ लोगों को आकर्षित कर सकते हैं और इससे उनपर रोजी-रोटी का संकट भी नहीं मंडराएगा. अब यहां केवल गिने-चुने ऊन के व्यापारी बचे हैं जो सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.