पानीपत: कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में छोटे-बड़े सभी उद्योग बंद हो गए थे. ऐसे में मनरेगा स्कीम के तहत मजदूरी करने वाले मजदूरों की संख्या काफी बढ़ गई थी. अगर हम हरियाणा के पानीपत जिले की बात करें, तो साल 2019 में जून से अगस्त के महीने में 15 हजार लोगों ने मनरेगा योजना का फायदा उठाया.
वहीं साल 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 40 हजार तक हो गया है. ऐसे में साफ है कि लॉकडाउन में मनरेगा ग्रामीण इलाकों में मजदूरों के लिए सबसे फायदेमंद योजना साबित हुई. मनरेगा योजना के अंतर्गत सरकार ने पानीपत जिले को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए टारगेट दिया था. जिसे विभाग द्वारा दो बार हासिल कर लिया गया. वहीं अभी 3 महीने बाकी हैं. ऐसे में विभाग को पूरी उम्मीद है कि टारगेट अच्छा और रिकॉर्ड तोड़ होगा.
अप्रैल के बाद दिखा जबरदस्त उछाल
आंकड़ों की मानें तो पानीपत में सरकार ने अप्रैल, मई, जून और जुलाई में मनरेगा के मजदूरों को 6 करोड़ 96 लाख रुपये की मजदूरी दी. वहीं खास बात ये है कि अप्रैल महीने में सरकार ने 2 लाख 5 हजार रुपये मजदूरी दी थी, लेकिन मई और जून महीने में इसमें जबरदस्त उछाल देखने को मिला. मई और जून महीने में सरकार ने 5 करोड़ 4 लाख रुपये मजदूरी थी. ऐसे में साफ है कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों ने मनरेगा स्कीम का खूब लाभ उठाया.
लॉकडाउन में लोगों ने मनरेगा का लाभ
गौरतलब है कि हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय से एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2020 में मनरेगा के तहत दिए जाने वाले रोजगार में साल 2019 की तुलना में करीब-करीब 85 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. हरियाणा में साल 2019 में मनरेगा स्कीम में 3.64 लाख वर्कर्स को काम दिया गया, जबकि साल 2020 में 5.62 लाख लोगों को काम दिया जा चुका है.
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अब इस स्कीम के तहत किए गए खर्च की बात करें तो सरकार ने इस स्कीम के तहत साल 2019 में 388 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि साल 2020 में कोविड के बावजूद 621 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. जिससे ये साबित होता है कि हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेश पलायन कर लौटे मजदूरों ने मनरेगा स्कीम का लाभ उठाया और अपने अपन ही गांव के विकास में सहयोग देकर जीवनयापन के लिए रोजगार हासिल किया.