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18 साल बाद खुली मजदूरों के आंदोलन की फाइल, गिरफ्तार हो सकते हैं बड़सत रोड जाम करने वाले व्यापारी

पानीपत में मजदूर आंदोलन की फाइल 18 साल बाद खुल गई है. अब इस मामले में कई उद्योगपतियों की गिरफ्तारी हो सकती है. जानें क्या है पूरा मामला

labour movement case in panipat
labour movement case in panipat
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Published : Apr 30, 2023, 8:29 PM IST

पानीपत: जिला पुलिस ने जो फाइल अनट्रेस बता कर करीब दो दशक पहले बंद कर दी थी. अब वहीं फाइल दोबारा खुल गई है. लोकायुक्त कोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की शिकायत पर ये केस रिओपन हो गया है. जिसके बाद पानीपत के कई उद्योगपतियों की गिरफ्तारी हो सकती है. पानीपत में करीब 18 साल पहले 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड के सामने 4 घंटे तक जीटी रोड को जाम करने वाले उद्योगपतियों को सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है. तत्कालीन सिटी थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह ने जाम लगाने वाले उद्योगपतियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने फरवरी 2007 में इस केस को अनट्रेस बता कर बंद कर दिया था. साल 2017 में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जीटी रोड जाम करने की न्यूज क्लिपिंग (जिनमें फैक्ट्री मालिकों के चेहरे साफ पहचाने जा रहे थे) समेत शिकायत लोकायुक्त को दी. जिसमें उन्होंने सभी फैक्ट्री मालिकों को अरेस्ट करने और इन्हें क्लीन चिट देने वाले सभी पुलिस जांच अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की. लोकायुक्त जांच के बाद अब ये केस दोबारा खुल गया है. 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरी पाल वर्मा के सामने पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह पेश हुए.

उन्होंने बताया कि सीजेएम संदीप सिंह की कोर्ट ने पुलिस द्वारा इस केस की अनट्रेस क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है. मामला कोर्ट में लंबित है और अब इसमें आगामी जांच होगी. करीब 18 साल पहले पानीपत में मजदूर नेता पीपी कपूर की अगुआई में टैक्सटाइल मजदूरों ने बड़ा आंदोलन किया था. इस दौरान फैक्ट्री मालिकों और मजदूरों में भारी टकराव हुआ. कई दिनों तक धरना प्रदर्शन चला. हड़तालें हुई. हालात इतने बिगड़े कि पानीपत में हिंसक घटनाएं भी हुई. 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड पर एक फैक्ट्री में मालिकों और मजदूरों के बीच झगड़ा हुआ.

जिसके बाद श्रमिक नेता पीपी कपूर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर फैक्ट्री मालिकों ने जीटी रोड पर चार घंटे तक जाम लगा दिया. पीपी कपूर और उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद ही जाम खोला गया. इस दौरान तत्कालीन एसएचओ पानीपत सिटी लक्ष्मण सिंह ने कई फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ जीटी रोड जाम करने के जुर्म में केस दर्ज कर लिया. एक ओर जहां कपूर को करीब सवा साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया. पीपी कपूर को करीब सवा दो साल जेल में रहना पड़ा. वहीं पुलिस ने जीटी रोड जाम करने के सभी आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए केस को अनट्रेस बताते हुए बंद कर दिया.

इसके बाद पीपी कपूर ने आरटीआई में सारा रिकॉर्ड निकलवा कर और घटना के वक्त की अखबारों की न्यूज़ क्लिपिंग लगा कर लोकायुक्त को अगस्त 2017 में शिकायत कर दी. लोकायुक्त द्वारा कराई गई जांच में एसपी पानीपत ने पहले तो बताया कि केस को अनट्रेस होने पर कोर्ट में रिपोर्ट दे दी थी और कोर्ट से केस बंद हो चुका है. जब लोकायुक्त ने पानीपत पुलिस से कोर्ट में केस बंद होने की क्लोजर रिपोर्ट मांगी, तो पुलिस नहीं दे पाई. जब लोकायुक्त ने जिला पुलिस से अपनी क्लोजर रिपोर्ट और केस फाइल मांगी तो पुलिस वो भी नहीं दे पाई.

ये भी पढ़ें- बाइक की बैटरी को लेकर दो गुटों में खूनी झड़प: बुजुर्ग की मौत, तीन घायल

इसके अलावा पुलिस जीटी रोड जाम की फोटो समेत सबूतों का कोई जवाब नहीं दे पाई. लोकायुक्त रजिस्ट्रार ने अपनी जांच में इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही बताते हुए पूरे मामले की किसी सीनियर आईपीएस के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच कराने की सिफारिश की. 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा के सामने सुनवाई में पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह ने बताया कि इस केस में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट संदीप चौहान की अदालत ने पुलिस द्वारा पेश की गई अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है. इस मामले की अभी आगे जांच होगी.

पानीपत: जिला पुलिस ने जो फाइल अनट्रेस बता कर करीब दो दशक पहले बंद कर दी थी. अब वहीं फाइल दोबारा खुल गई है. लोकायुक्त कोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की शिकायत पर ये केस रिओपन हो गया है. जिसके बाद पानीपत के कई उद्योगपतियों की गिरफ्तारी हो सकती है. पानीपत में करीब 18 साल पहले 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड के सामने 4 घंटे तक जीटी रोड को जाम करने वाले उद्योगपतियों को सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है. तत्कालीन सिटी थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह ने जाम लगाने वाले उद्योगपतियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने फरवरी 2007 में इस केस को अनट्रेस बता कर बंद कर दिया था. साल 2017 में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जीटी रोड जाम करने की न्यूज क्लिपिंग (जिनमें फैक्ट्री मालिकों के चेहरे साफ पहचाने जा रहे थे) समेत शिकायत लोकायुक्त को दी. जिसमें उन्होंने सभी फैक्ट्री मालिकों को अरेस्ट करने और इन्हें क्लीन चिट देने वाले सभी पुलिस जांच अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की. लोकायुक्त जांच के बाद अब ये केस दोबारा खुल गया है. 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरी पाल वर्मा के सामने पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह पेश हुए.

उन्होंने बताया कि सीजेएम संदीप सिंह की कोर्ट ने पुलिस द्वारा इस केस की अनट्रेस क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है. मामला कोर्ट में लंबित है और अब इसमें आगामी जांच होगी. करीब 18 साल पहले पानीपत में मजदूर नेता पीपी कपूर की अगुआई में टैक्सटाइल मजदूरों ने बड़ा आंदोलन किया था. इस दौरान फैक्ट्री मालिकों और मजदूरों में भारी टकराव हुआ. कई दिनों तक धरना प्रदर्शन चला. हड़तालें हुई. हालात इतने बिगड़े कि पानीपत में हिंसक घटनाएं भी हुई. 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड पर एक फैक्ट्री में मालिकों और मजदूरों के बीच झगड़ा हुआ.

जिसके बाद श्रमिक नेता पीपी कपूर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर फैक्ट्री मालिकों ने जीटी रोड पर चार घंटे तक जाम लगा दिया. पीपी कपूर और उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद ही जाम खोला गया. इस दौरान तत्कालीन एसएचओ पानीपत सिटी लक्ष्मण सिंह ने कई फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ जीटी रोड जाम करने के जुर्म में केस दर्ज कर लिया. एक ओर जहां कपूर को करीब सवा साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया. पीपी कपूर को करीब सवा दो साल जेल में रहना पड़ा. वहीं पुलिस ने जीटी रोड जाम करने के सभी आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए केस को अनट्रेस बताते हुए बंद कर दिया.

इसके बाद पीपी कपूर ने आरटीआई में सारा रिकॉर्ड निकलवा कर और घटना के वक्त की अखबारों की न्यूज़ क्लिपिंग लगा कर लोकायुक्त को अगस्त 2017 में शिकायत कर दी. लोकायुक्त द्वारा कराई गई जांच में एसपी पानीपत ने पहले तो बताया कि केस को अनट्रेस होने पर कोर्ट में रिपोर्ट दे दी थी और कोर्ट से केस बंद हो चुका है. जब लोकायुक्त ने पानीपत पुलिस से कोर्ट में केस बंद होने की क्लोजर रिपोर्ट मांगी, तो पुलिस नहीं दे पाई. जब लोकायुक्त ने जिला पुलिस से अपनी क्लोजर रिपोर्ट और केस फाइल मांगी तो पुलिस वो भी नहीं दे पाई.

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इसके अलावा पुलिस जीटी रोड जाम की फोटो समेत सबूतों का कोई जवाब नहीं दे पाई. लोकायुक्त रजिस्ट्रार ने अपनी जांच में इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही बताते हुए पूरे मामले की किसी सीनियर आईपीएस के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच कराने की सिफारिश की. 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा के सामने सुनवाई में पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह ने बताया कि इस केस में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट संदीप चौहान की अदालत ने पुलिस द्वारा पेश की गई अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है. इस मामले की अभी आगे जांच होगी.

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