पानीपत: देश को आजाद कराने के लिए बहुत से देशभक्तों ने अपनी जान को कुर्बान कर दिया. देश के लिए जान न्योछावर करने वाले अनेक शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को हम स्वतंत्रता दिवस पर याद करते हैं और कइयों के नाम तो हमारी जुबान पर इस कदर रटे हुए हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उन का नाम जेहन में आ जाता है. लेकिन, कुछ ऐसे फ्रीडम फाइटर भी हैं जिन्होंने, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से आवाज उठाई थी. स्वतंत्रता दिवस पर हम पानीपत के ऐसे शहीद के बारे में बता रहे हैं, जो भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काम कर चुके थे.
पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार, जिन्हें 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल में गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए आवाज उठाने लगे.
क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साढ़े 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए. क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज था. हंसराज नाम का एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रख दिया. जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर किया करते थे.
ये भी पढ़ें: Awas Navinikaran Yojana: भीमराव अंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना के तहत ले सकते हैं आर्थिक सहायता, जानें क्या है प्रक्रिया
क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे. विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे. 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान पनपी हिंसा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया था.
देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार आज सरकारी तंत्र बिल्कुल भूल चुका है. इतना ही नहीं क्रांति कुमार के दोनों बेटे में से एक लगभग 2017 में पानीपत में रहा करते थे, एक बेटा दिव्यांग हो चुका था. वहीं, दूसरा बेटा होटलों पर जूठा बर्तन धोता देखा गया था, मीडिया में काफी चर्चाओं के बाद कांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया.